मालवा -निमाड़ के सभी 15 जिलों में समलैंगिक विवाह कानून का भारी विरोध, महिलाओ के नेतृत्व में दिए गए ज्ञापन।

सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन, “अभारतीय” विचार से ग्रस्त, भारतीय समाज की रीढ़ “परिवार परम्परा” और “विवाह संस्था” को समाप्त करने की साजिश से युक्त “समलैंगिक विवाह कानून” के विरोध में अब समाज सड़को पर आ गया है।

मालवा -निमाड़ के सभी 15 जिलों – 1.देवास,2.शाजापुर,3.उज्जैन, 4.आगर-मालवा,5.मंदसौर,6.नीमच,7.रतलाम,8.झाबुआ,9.धार, 10.आलीराजपुर, 11.इंदौर, 12. खरगोन, 13.बड़वानी, 14. खंडवा, 15. ब्रह्मपुर (बुरहानपुर) में मातृशक्ति के नेतृत्व में महामहिम राष्ट्रपति, माननीय प्रधानमंत्री तथा मुख्य न्यायाधीश के नाम इस कानून को रोकने की मांग को लेकर कई संगठनों एक साथ आकर ज्ञापन सौंपे है।

देवास में 30 संगठनों ने गिरते पानी में एक साथ आकर विशाल रैली निकालकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

शाजापुर में 10 संगठनों ने सकल हिंदू समाज, मातृशक्ति के बैनर तलें कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

इंदौर में तो 46 संगठनों की 2500 से अधिक मातृशक्ति ने एक साथ आकर कलेक्टर को आकर ज्ञापन सौंपा।

इंदौर जैसे महानगर की बात तो और है, “झाबुआ” में लगभग 42 संगठनों ने एक साथ, बड़ी संख्या में आकर कलेक्टर को इस कानून को रोकने का ज्ञापन सौंपा।

उज्जैन में 7, आगर मालवा में 12, मंदसौर में 18,नीमच में 11,रतलाम में 11, धार में 7,आलीराजपुर में 2,खरगोन में 6, बड़वानी में 15, खंडवा में 12, ब्रह्मपुर में 4 संगठनों बी ज्ञापन सौंपा।

इस तरह पूरे मालवा-निमाड़ में अन्यतम संगठनों ने एक साथ आकर, जिलाधिशो को ज्ञापन सौंपा। अन्य संगठन भी अब ज्ञापन -प्रदर्शन कर रहें है।

सभी ज्ञापन में एक बात स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुई कि -उच्चतम न्यायालय – पश्चिमी, अभारतीय और वामपंथी विचार से ग्रस्त है। सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन कर भारत की रीढ़ परिवार परम्परा और विवाह संस्था को समाप्त करने का कुत्सित प्रयास कर रहा है और इस कानून से भविष्य में होने वाले दुष्प्रभावों को नज़र अंदाज़ कर रहीं हैं।

#No_to_SameSexMarriage
#समलैंगिकविवाह_अस्वीकार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *