क्या सच मे हिन्दू असहिष्णु हैं ?

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हिन्दूओ की भावना कितनी कमजोर हैं न ….छोटे छोटे मुद्दों पर आहत हो जाती हैं ,अरे भिया किसी standup comadian ने रामसीता पर जोक कर दिया तो इसमें एसा क्या हो गया ,एक वेब सीरीज में शिवजी ने दो चार भद्दी बाते क्या कर दी टूट पड़ें मुखर हिन्दू होन , हिदू धर्म इतना आसहिष्णु है क्या ,अरे तुम्हारे शास्त्र तो देखो पहले खजुराहो की कलाकृतियाँ देखो ,विद्यापति को पदो ,अरे कामशास्त्र कहा लिखा गया .भारत में ही न तो फिर क्या समस्या देवी देवताओ के कुछ दृश्यों से ,राम सीता पर जोक से और हिन्दू संतो को ढोंगी बताने से …………एसा में नही कह रहा ,एक वर्ग हैं जो इस प्रकार की बातें कर हैं जिसमे कुछ सेलेब्रिटी हैं ,कुछ बुद्धिजीवी हैं ,पत्रकार हैं और अन्य क्षेत्रो के कुछ लोग हैं जेसे स्वरा भास्कर आदि आदि …….तो क्या सच में हिन्दू असहिष्णु हैं चलिए पता करते हैं

ये जोक से क्या सच में एसा होता हैं क्या
यदि आप सोचते हैं की इन जोक से ,फिल्मो से क्या होता हैं तो सुनिए …झूट बार बार बोलने पर भी भले ही झूट रहे किन्तु वह सत्य जैसा दिखने लगता हैं जैसे फिल्मो ने हमेशा बताया की ताज महल प्रेम का प्रतीक हैं और इतनी बार बताया ,हीरो ने हीरोइन को हमेशा गिफ्ट में ताजमहल ही दिया ,जिसके कारण धीरे धीरे हमारे यहां ताज महल को गिफ्ट में देने की आदत होने लगी ,लेकिन बाद में पता चला कि ये तो अय्याशी का प्रतीक हैं न जाने कौन से नंबर कि रानी और जिस स्मारक को मजदूरों ने बनाया उनके हाथ काट दिए ,किन्तु यह नहीं पता चला क्योकि इसे बताया नहीं गया ,आज भी कई घरो के बैडरूम में ताजमहल के पोस्टर व फोटो हैं ,अब घर में कब्र का फोटो रखोगे तो कलह तो होगी ही न
अभी वैलेंटाइन वीक चल रहा हैं इस वैलेंटाइन कि प्रासंगिकता भी फिल्मो और धारावाहिक यानी सेरिअल्स ने ही तो देश में बड़ाई ,और पार्क में बैठकर अश्लील कृत्य करने कि बुद्धि युवाओ में वही से आई और जो देशभक्त संगठन इन्हे रोकने लगें उन्हें निम्न वृत्ति का दिखने का कार्य भी इन्ही छोटे -बड़े पर्दे के निम्न लोगो ने किया .
क्या आप जानते हैं फिल्मो ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली पंथ के लोगो को बेवकूफ और मजाकिया बनाकर छोड़ दिया ,में सिक्खो कि बात कर रहा हूँ ,इस देश कि सांस्कृतिक एकता के लिए जिसे गुरुनानक देव जी ने बनाया और जिन सीखो का अतीत और वर्तमान राष्ट्रभक्ति और बलिदान कि कथा से भरा हुआ हैं उन्हें संता बनता के जोक और हर जोक में सरदार हर फिल्म में बेवकूफ कोमेडियन सरदार को ही बताया गया ,उसने हमारे मन पर ये प्रभाव डाला कि हम हर सरदार को ऐसा समझने लगें हैं हमारे ग्रुप में कोई सरदार यार होता हैं तो हम उससे कहते हैं चल एक जोक सुना ,जिन पगड़ियों के सामने सम्मान से सर झुका करते थे उन्हें इन्ही माचिस के खोखे पर लिखे जोक ,फिल्मो के दृश्यों ने क्या बना दिया हैं ये सत्य आपके सामने हैं .

पिछले ७ दशक में फिल्मो के दृश्यों के साथ साथ हर जगह कुछ naraativ जो इस २१ वि सदी कि genration के मन में ठुस दिए गए और वे ही इस genration को सत्य लगते हैं पहला सभी मुसलमान भोले होते हैं और वे इमां पर ही चलते हैं ,फिल्मो में लगभग ८२%मुसलमानो को बहुत ईमानदार दिखाया गया हैं ,इसलिए वे महिलाओ के उपयोग कि सामग्री बेचने हमारे घर तक आ गए उसके बाद क्या हुआ आप जानते ही हैं ,निकाह हुए और फिर भविष्य के सुनहरे स्वप्न बुनने वाली एक बिटिया का जीवन कैसे यातनाओ से भर गया बताने कि जरूरत नहीं .

किसी धोती कुरता पहने हुए विद्वान को ये नए लड़के लड़किया ओल्ड मेन क्यों कहते हैं और क्यों मंदिरो से ये दूर हो रहें हैं अन्य पंतञ्हो कि उपासना पद्धति को क्यों मान रहें हैं क्योकि अमिताभ बच्चन फिल्म में मजार कि चादर को ओड लेते हैं तो बंदूक कि गोली उनका कुछ नहीं कर पाती ,लेकिन ८४% से अधिक ब्राह्मणो को फिल्मो ने भृष्ट बताया शायद आपको पता नहीं हैं ,धोती कुरता पहनने वाले को ,भगवा वस्त्र ओढे व्यक्ति को भृष्ट व ढोंगी इन्ही फिल्मो ने बताया हैं ,
कोई विद्व्वान कह रहें थे कि पिछले सत्तर सालो कि सबसे बड़ी गलती में से एक यह हैं कि एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री ऐसे लोगो के हाथ लग गई जो जिहादी वृत्ति के हैं यानी जो इस देश कि संस्कृति को हींन बताने पर तुले हुए हो , जिनके कारन लव जिहाद और धर्म परिवर्तन के कारण इस देश में उपजे ,
इंडस्ट्री में जब केवल ऐसे ही लोगो का बोलबाला था तब कोई भी व्यक्ति जो सांस्कृतिक चेतना या इस देश के इतिहास के बारे में कोई फिल्म या धारावाहिक बनानां चाहता तो उसे आगे नहीं बढ़ने दिया जाता जो बढ़ जाता उसे मिटा दिया जाता ,गुलशन कुमार कि हत्या इसी का उदाहरण हैं .

आपको क्या लगता हैं कि फ्रांस में पैगंबर पर एक कार्टून पर दुनिया में इतने लोग सड़क पर क्यों उत्तर आये ,क्यों आंदोलन हुए ,एक कार्टून ही तो था ,गणेश जी पर तो लाखो कार्टून हैं फिर ऐसा क्या हो गया ,ऐसा इसलिए क्योकि वे जानते है कि किसी भी इस प्रकार के कार्य को शुरू होने पर ही दबा दो ,अब क्रिएटिव लोग सोचेंगे कि जब एक कार्टून पर इतना कुछ हंगामा हो गया तो अन्य कुछ तो करने कि भी नहीं सोच सकते ,caa nrc में केवल भृम फैलाया गया था उसमे पुरे देश में आंदोलन से दंगे तक कर दिया सोचिये वे कितना सोचते हैं अपने वर्ग के बारे में
इस देश का बहुसंख्यक समाज सोया रहा तो समस्या खड़ी हुई हिन्दुओ का देश ,फिर ग्रीक ,डच ,फ़्रांसिसी ,पुर्तगाली ,उनसे भी पहले हून ,शक फिर च्गेज़ ,मुघल ,पठान और अंगेज इन्होंने इस देश पर आक्रमण किया ,हाथो की उंगलियों के कट कम पड जाए इतने आक्रमण ,किन्तु देखिये भारत खड़ा हैं कोई कुछ नही बिगाड पाया ….वो कवी भी कहते हैं न मिस्त्र ,रोम ,यूनान सब मिट गये जहाँ से ,कुछ बात हैं की हस्ती मिटती नही हमारी , और हम उसी भ्रम में हैं अरे भिया पाकिस्तान ,बांग्लादेश ,अफगानिस्तान जाकर तो देखो बस्ती दिखती नही हमारी ,आये दिन हम खबर सुनते है पाकिस्तान में मन्दिर जला दिया ,बांग्लादेश में किसी हिन्दू परिवार को प्रताड़ित किया जा रहा हैं ये सब भारत के ही तो भाग थे न ,भविष्य में भी भारत के ही होंगे लेकिन तब जब इस धीमे जहर को हिन्दू अपनी संस्कृति के नर्वस सिस्टम में प्रवेश न करने दे इसलिए वे लोग वे मुखर हिन्दू जिन्हे आप ओल्ड मेंटालिटी के कहते हैं वे लोग ठीक कार्य कर रहें हैं उनका साथ दीजिये टांग मत खींचिए क्योकि ये कब्बडी नहीं दंगल हैं अब आउट हो गए तो फिर कभी ज़िंदा नहीं हो पाओगे ,वरना जैसे राम मंदिर विध्वंस हुआ था वैसे ही महाकाल और अन्य मंदिरो के आसपास भी वे कब्जा कर रहें हैं बेगमबाग में रामभक्तों पर पथराव तो याद ही होगा
,और बुद्धिजीवियों खजुराहो कि कलाकृतियों के रहश्य को तो जानो ,जानो कामाख्या के तंत्र शास्त्र को फिर उनके विषय में बोलना ..बुरा लगा हो तो क्षमा करें …..इस वीडियो में हम व वो का उपयोग मेने स्थिति को स्पष्ट करने के लिए किया हैं अन्य किसी प्रकार कि भावना से नहीं

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