रामसेतु के संबंध में और अधिक जानकारी जुटाने के लिए एक कार्ययोजना पर तेजी से काम चल रहा है। इसकी जानकारी राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (एनआईओ) ने दी है।
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रामायणकालीन रामसेतु रेत से ढक गया है। ऐसा समुद्र के स्तर में वृद्धि और रामसेतु पर रेत के जमा होने से हुआ है। इस रेत को हटाकर रामसेतु के बारे में और विशेष जानकारी जुटाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए कार्ययोजना बनाई गई है और इस पर अमल करने का दायित्व पणजी स्थित राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (एनआईओ) और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को दिया गया है। राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील कुमार सिंह ने बताया है कि रामसेतु को लेकर कार्य चल रहा है। इसके साथ ही एक ऐसी योजना बनाई जा रही है कि 2023 में रामसेतु के आसपास हल्के स्तर की खुदाई की जाएगी। इसके बाद रामसेतु के बारे में और विशेष जानकारी लोगों को मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि सोनिया—मनमोहन की सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में दिए एक शपथपत्र में भगवान राम के अस्तित्व को ही नकार दिया था। उस सरकार का तर्क था कि जब राम ही नहीं थे, तो वे सेतु कैसे बना सकते हैं! दरअसल, इस आड़ में सोनिया—मनमोहन सरकार रामसेतु को तोड़ना चाहती थी। इसके बाद देशभर में रामसेतु के समर्थन में लोग सड़कों पर उतरे थे। जितने भी हिेंदुत्वनिष्ठ संगठन हैं, उन्होंने सरकार के इस तर्क का विरोध किया और इसका असर ऐसा हुआ कि सरकार रामसेतु को तोड़ नहीं सकी।
2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर रामसेतु के बारे में कई ठोस निर्णय लिए गए। उन्हीें निर्णयों के कारण रामसेतु के बारे में विशेष अध्ययन किया जा रहा है, ताकि इसका संरक्षण अच्छी तरह किया जा सके।