क्रिसमस को स्कूलों में बच्चों पर थोपने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में क्रिसमस की आड़ में कन्वर्जन के षड्यंत्र का हो रहा प्रखर विरोध

२५ दिसम्बर को आने वाले क्रिसमस से पूर्व विद्यालयों में बच्चों को क्रिसमस पर लाल कपडे इत्यादि पहनकर आने के लिए दबाव बनाया जा रहा है साथ ही कुछ स्थानों पर जनजातीय क्षेत्रो में क्रिसमस के आयोजन की आड़ में कन्वर्जन करने के षड्यंत्र भी सामने आ रहे है.

बडवानी के जयपुरिया स्कुल में बच्चो को सांता बनाकर, उनसे विभिन्न कार्यक्रम करवाए जा रहे थे, पालको के एक व्हाट्सअप समूह में विद्यालय की ओर से संदेश प्रसारित किया गया था,जिसमे बच्चो को लाल अथवा सफ़ेद पोशाक में आना था और सांता की टोपी लगाना था.
सामजिक संगठनों के प्रदर्शन के बाद कार्यक्रम को स्थगित किया गया.

इसी तरह धार के सरदारपुर में जनजाति विकास मंच ने एसडीएम को ज्ञापन सोंपकर  सौंपकर धर्मांतरण कार्यक्रम पर लगाए जाने की मांग की है। जनजाति विकास मंच द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में बताया कि जनजातीय क्षेत्र चालनीमाता, अमझर, सिरोदा, उटावा और आसपास के गांव मजरों में ईसाई मिशनरी द्वारा भोले भाले जनजातीय समाज के लोगों को कई प्रकार के प्रलोभन, बीमारियों के नाम से डराने और ईसाई मिशनरी के द्वारा प्राकृतिक आपदा का डर बताकर धर्मांतरण कार्यक्रम किया जा रहा है, जो पैसा एक्ट लागू होने पर बिना ग्राम समिति के अनुमति के किया जा रहा है और प्रकृति पूजक और हिन्दू धर्म में आस्था एवं विश्वास रखने एवं सनातन धार्मिक जनजातीय समाज को उनके द्वारा सदियों से पुजे जा रहे देवताओं का अपमान करने के लिए प्रेरित किया जाता है। समाज के लोगों की आस्था पर चोट पहुंचाई जाती रही है।

रचा जाता है धर्मांतरण का कर्मकांड

जनजाति विकास मंच द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में यह भी बताया कि हर साल इन गांवों में क्रिसमस के आसपास ही धर्मांतरण का कर्मकाण्ड रचा जाता है। जिसका कई बार जनजातीय समाज विरोध कर प्रशासन को भी इस बारे में अवगत करवाया जाता है। लेकिन इस बार फिर ईसाई मिशनरी द्वारा क्रिसमस के मौके पर इन्हीं गांवों और आसपास के मजरों में धर्मांतरण का कर्मकाण्ड रखा जा रहा है। जहां पर भोले भाले जनजातीय समाज के लोगों का धर्मांतरण किया जाने की पूर्ण संभावना है।

इसी तरह इंदौर और उज्जैन के नगर और ग्रामीण क्षेत्रों से क्रिसमस के नाम पर कन्वर्जन करनें के षड्यंत्र उजागर हो रहे है.

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