प्लास्टिक मुक्त हो गांव, इसलिए कार्यक्रम में एक भी प्लास्टिक की वस्तुओं का उपयोग नहीं किया गया

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महू तहसील के ग्राम भगवतखेड़ी ने एक बार फिर आदर्श गांव की मिसाल पेश की है। पूर्व में इस गांव के ग्रामीणों द्वारा कोरोना संक्रमण को गांव में फैलाने नहीं दिया गया था, एक भी कोरोना का मरीज अस्पताल में भर्ती नहीं हुआ और न ही इस गॉव में कोई कोरोना संक्रमण से मरा। ऐसी व्यवस्था भगवतखेड़ी गांव के ग्रामवासियों ने की थी। कोरोना संक्रमण को ग्राम में नहीं फैलने के बाद मध्यप्रदेश शासन के मंत्रीयों तुलसी सिलावट व उषा ठाकुर सहित कई अधिकारियों ने ग्राम भगवतखेड़ी का दौरा भी किया था। मंत्री ने भगवतखेड़ी गांव को एक आदर्श मॉडल के रूप में पूरे प्रदेश में लागू करने की भी बात कही थी।

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उसके बाद एक बार पुनः भगवतखेड़ी गांव के ग्रामीणों ने आदर्श प्रस्तुत किया है। भगवतखेड़ी गांव के वरिष्ठजनों ने जानकारी देते हुए बताया कि भागवतखेड़ी गांव में एक प्राचीन हनुमान का मंदिर है। काफी समय से गांव में इसी जगह पर शिव परिवार की स्थापना की मांग हो रही थी। कोरोना के कारण कार्य रुका हुआ था, किंतु अब मंदिर बनाकर शिव परिवार की प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई है। इस पूरे मंदिर निर्माण को ग्रामवासियों ने मिलकर बनाया है। तीन दिन 9 जुलाई से 11 जुलाई 2021 तक प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न हुआ। पूरा कार्यक्रम भगवतखेड़ी ग्राम की समिति द्वारा किया गया। इसमें प्रथम दिन कलश यात्रा, दूसरे दिन हवन यज्ञ तथा तीसरे दिन प्राणप्रतिष्ठा व भंडारे के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।

कार्यक्रम में विशेष बात यह रही कि ग्रामीणों ने प्राण प्रतिष्ठा के पूरे आयोजन में प्लास्टिक की किसी भी वस्तु का उपयोग नहीं किया। वहीं ग्राम की समिति ने यह भी बताया की अब गांव में आगे होने वाले किसी भी कार्यक्रम में प्लास्टिक की चीजों का प्रयोग नहीं किया जाएगा।

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ग्राम समिति की टोली ने जानकारी देते हुए बताया कि पूरे कार्यक्रम को व्यवस्थित रूप से सफल करने के लिये यज्ञशाला, भंडारा, वाहन पार्किंग, जूते चप्पल आदि कहां हो उसके लिए भी स्थान तय किये गये और इन स्थानों पर प्रत्येक व्यक्ति को योजना के साथ तैनात किया गया।

भंडारे में हुआ केले के पत्ते व स्टील के गिलासों का उपयोग
प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर पर रविवार को भंडारे का भी आयोजन किया गया। इस भंडारे में पूरे भगवतखेड़ी गांव के लोगों ने प्रसादी ग्रहण की। खास बात यह रही कि इस दिन पूरे गांव में किसी के यहां पर भी चूल्हा नहीं जला।
भंडारे में 500 से ज्यादा केले के पत्तों का उपयोग किया गया। एक पत्ते के तीन हिस्से करके भोजन की पत्तल बनाई गई, जिस पर भोजन करवाया गया। वहीं पीने के पानी के लिए स्टील के गिलासों का उपयोग किया गया, स्टील के गिलास उपलब्ध ना होने पर गांव के ही लोगों द्वारा स्टील के 300 ग्लास मंदिर पर दान किए गए।

गांव के वरिष्ठ जनों ने प्रण लिया कि अब भगवतखेड़ी गांव में किसी भी कार्यक्रम में प्लास्टिक की किसी भी वस्तुओं का उपयोग नहीं किया जाएगा।

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