स्वतंत्रता के बाद भारत के इंजीनियरो ने जो आविष्कार किए वह अद्भुत है अभियांत्रिकी के पहियों पर आगे बढता भारत स्वतंत्रता के बाद नये भारत के निर्माण में इंजिनियरिंग और इससे जुड़े लोगों की भूमिका उल्लेखनीय है। स्वतंत्रता के पूर्व भारत की अर्थव्यवस्था में बडा हिस्सा प्राथमिक क्षेत्र परंपरागत कृषि का था, इस कारण स्वाभाविक रूप से अर्थव्यवस्था का आकार और विकास दर संतोषदायक नही थी।परंपरा के साथ ही तर्क और विज्ञान को स्वीकार करने वाले भारत ने अपने समक्ष खडी बढती जनसंख्या और आधुनिक सुख-सुविधाओं की कमी जैसी चुनौतियों का सफल सामना अपनी बौद्धिक प्रतिभा के बूते किया।इसमें भी बडी भूमिका इंजिनियरिंग क्षेत्र की है।
स्वतंत्रता के बाद के सात दशकों में औद्योगिक इकाइयों के विस्तार के साथ ही मानवीय संसाधन के विकास का उल्लेखनीय प्रयास किया गया।देश में इस समय 23 आईआईटी, 31 एनआईटी और 25 ट्रीपल आईटी इंजिनियरिंग क्षेत्र के लिये उत्कृष्ट मानवीय संसाधन विकसित कर रहे है। इनके अतिरिक्त लगभग 3500 इंजिनियरिंग कालेज, 3400 पालिटेक्निक एवं दौ सो से अधिक आर्किटेक्चर कालेज नये भारत के लिये अभियंताओं की नई पीढ़ी तैयार कर रहे है।स्टील उत्पादन में भारत ने आत्मनिर्भरता प्राप्त की है, वहीं दूसरी और भारत का आटोमोबाइल उत्पादन भी भारत की अर्थव्यवस्था को सुदृढ कर रहा है।सिविल इंजिनियर्स ने देश में पुलों, बाँधों और सडकों का जाल बिछा दिया है, जिससे व्यापार-व्यवसाय सुगम और विस्तारित हुआ है।जहाँ एक ओर साफ्टवेयर उद्योग ने भारत को प्रतिष्ठा, धन और आत्मविश्वास दिलाया है, वहीं दूसरी ओर कृषि इंजिनियरिंग के सफल प्रयासों से भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर के साथ निर्यातक भी हो गया है। कृषि इंजिनियरिंग के कारण ही भारत भूखमरी और गरीबी के रेगिस्तान से बाहर निकल पाया है। रेगिस्तान में इंजिनियरिंग के बूते प्राकृतिक तेल और गैस निकालना वाला भारत समुद्र के गर्भ से तेल और रत्न निकाल रहा है।अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने के लिये कई देश भारत पर निर्भर है, तो रिमोट साइंस और जियो फिजिक्स/इंजिनियरिंग के बूते धरती के नीचे दबी खनिज संपदा का उपयोग मानव जीवन को सरल और सुविधायुक्त बनाने में भारत समर्थ है।नवीकरणीय ऊर्जा के दोहन में भारत का अनुसंधान कार्यक्रम जारी है, जो भविष्य के लिये सुखद संकेत है।हमारे इंजिनियर्स (अभियंताओं) ने इंजिनियरिंग उपागम को सीमाओं में नही बाँधा। मशीनी दुनिया से बाहर चिकित्सा क्षेत्र के लिये उपकरण और बायोटेक्नालाजी, फार्मेसी सहित अर्थशास्त्र और वित्तीय क्षेत्र में भी इंजिनियरिंग एप्रोच का सफल प्रयोग लाभकारी ही सिद्ध हो रहा है।वर्तमान समय में नये इंजिनियर स्वयं के उद्योगों को खडा कर आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के जुट गये है। इंजिनियरिंग प्रतिभा के बलबूते ही हमारे परंपरागत व्यापार, कौशल और उत्पादन प्रक्रमों में नयी क्रांति आ रही है, जिसके सुखद परिणाम सामने भी आने लगे है।

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