राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चतुर्थसरसंघचालक प्रो राजेन्द्र सिंह जी “रज्जु भैया” की पुण्यतिथि पर नमन….

श्री\”बालासाहब_देवरस\” के स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्होंने 11 मार्च 1994 को पूजनीय श्री \”राजेंद्र सिंह\”जी को अपना #उत्तराधिकारी नियुक्त किया। संघ के इतिहास की यह पहली घटना थी कि सरसंघचालक के जीवित रहते उनके उत्तराधिकारी की घोषणा की गई। उस दिन से पूजनीय श्री \”राजेंद्र सिंह\”जी जिनको सारे लोग \”रज्जू भैया\” के नाम से जानते हैं संघ के चतुर्थ सरसंघचालक बने।

पूजनीय श्री\”रज्जू भैया\” का जन्म 1922 में हुआ। उनके पिता श्री\”कुंवर बलवीर सिंह\”उत्तर प्रदेश शासन के सिंचाई विभाग में अभियंता थे। वे बाद में मुख्य अभियंता के पद से निवृत हुए। श्री रज्जू भैया की प्राथमिक पढ़ाई नैनीताल में हुई। मेट्रिक की परीक्षा उन्नाव जनपद से प्रथम श्रेणी से उन्होंने उतीर्ण की।| बाद की शिक्षा प्रयाग विश्वविद्यालय में हुई। केवल 21 वर्ष की आयु में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिक शास्त्र में m.sc.की पदवी उन्होंने प्राप्त की। पूरे विश्वविद्यालय में इनका दूसरा क्रमांक था। तुरंत ही वे विश्वविद्यालय में अध्यापक के रूप में नियुक्त किए गए।

उत्तर प्रदेश में संघ कार्य की बढ़ती आवश्यकता को देखकर सन 1966 में श्री रज्जू भैया ने स्वेच्छा से भौतिक शास्त्र विभागाध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया और वे संघ के प्रचारक बन गये। सन 1978 में वह संघ के सरकार्यवाह बने। 1987 तक वे इस पद पर कार्य करते रहे। स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने 1987 में वह पद छोड़ा और नूतन सरकार्यवाह श्री \”हो वे शेषाद्री\” के सहयोगी के रूप में वह सह सरकार्यवाह के नाते कार्य करते रहे। 11 मार्च 1994 को अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में तत्कालीन सरसंघचालक श्री\”बाला साहब देवरस\” जी ने श्री\”राजेंद्र सिंह\”जी को चतुर्थ सरसंघचालक का दायित्व सौंप दिया।

पूजनीय श्री \”राजेंद्र सिंह\”जी ऐसे पहले सरसंघचालक है जिन्होंने विदेश में जाकर वहां के \”हिंदू स्वयंसेवक संघ\” के कार्य का निरीक्षण किया। इस हेतु इंग्लैंड,मॉरिशस, केनिया,दक्षिण अफ्रीका आदि देशो में उनका प्रवास हुआ।

1999 के फरवरी में प्रवास के क्रम में श्री \”रज्जू भैया\”जी जब पुणे में आए तब अचानक गिर जाने से उनके कमर की हड्डियां टूट गई। इसी कारण उस वर्ष की लखनऊ में संपन्न अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में वह उपस्थित नहीं हो सके। बाद में स्वास्थ्य में पूर्ण सुधार ना होने और अधिक बोलने में कठिनाई के अनुभव के कारण उन्होंने अपने दायित्व से मुक्त होने का सोचा और 10 मार्च 2000 को पूजनीय श्री \”कुप्सीसुदर्शन_जी\” को अपना उत्तराधिकारी मनोनीत करने की घोषणा नागपुर के अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में की।

14 जुलाई 2003 को रज्जू भैया जी का पुणे में स्वर्गवास हो गया।

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