भारत माता के मुकुट में जगमगा रहे रत्न है नानाजी देशमुख – उमाश्री भारती

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स्वार्थ के लिए नहीं, सेवा के लिए है राजनीति, मुझे नानाजी ने सिखाया- उमाश्री भारती

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चित्रकूट के लिए विकास का पर्याय हैं भारत रत्न नानाजी – प्रभात झा

चित्रकूट 27 फरवरी 2020/ नानाजी मेरे पिता तुल्य थे, मेरा नानाजी से बहुत घनिष्ठ संबंध रहा है, नानाजी आज होते तो 104 वर्ष के होते हैं। मेरे और उनकी उम्र के बीच बहुत बड़ा अंतर था फिर भी वह मुझे अम्मा कहकर पुकारते थे। यह क्षण था भारत रत्न नानाजी देशमुख की 10 वीं पुण्यतिथि के श्रद्धांजलि कार्यक्रम अवसर का। जहां भाव विभोर होकर मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमाश्री भारती ने अपने उद्बोधन में कहीं।
भारतरत्न नानाजी देशमुख की 10 वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष में चित्रकूट में दीनदयाल परिसर में आयोजित पोषण एवं जल संस्कृति पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर एवं नानाजी को श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मलूक पीठेश्वर वृंदावन के पूज्य संत श्री राजेंद्र दास जी महाराज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी जी, दीनदयाल शोध संस्थान के संरक्षक मदन दास जी, मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमाश्री भारती, राज्यसभा सदस्य प्रभात झा, मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, उत्तर प्रदेश सरकार के लोक निर्माण मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय, विधायक रीवा राजेंद्र शुक्ला, विधायक मऊ उषा ठाकुर, विधायक नीमच संजय मारू, छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री चंद्रशेखर साहू, विधायक मुकेश तिवारी, दीनदयाल शोध संस्थान के अध्यक्ष वीरेंद्र जीत सिंह, उपाध्यक्ष डॉ नरेश शर्मा, डॉ भरत पाठक एवं प्रधान सचिव अतुल जैन, संगठन सचिव अभय महाजन प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
इनके अलावा 10 विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं 10 सामाजिक संस्थाओं से प्रमुख व्यक्ति भी उपस्थित रहे।

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नानाजी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राज्यसभा सदस्य प्रभात झा ने कहा कि नानाजी चित्रकूट के विकास के पर्याय हैं। उन्होंने एक अनूठा उदाहरण पेश किया है कि किस तरह समाज के सहयोग से ही इतना बड़ा काम खड़ा किया जा सकता है। उनके चेहरे पर एक ही भाव दिखता था समृद्ध गांव, उनका मानना था कि गांव सर्वोपरि है उनका सुदृढ़ होना जरूरी है। आज उनके पुण्यतिथि अवसर पर हम सब उनके कार्यों को आगे बढ़ाने का संकल्प लेंगे यही नानाजी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
इस अवसर पर मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमाश्री भारती ने कहा कि मैंने मंच पंसे एक सभा में कहा था कि मैं अब चुनाव नहीं लडूंगी तो मीडिया ने समझ लिया कि मैंने राजनीति छोड़ दी। हमें नानाजी जैसे व्यक्तित्व से ही समझ आता है कि राजनीति चुनाव का विषय नहीं है, राजनीति सेवा के लिए हैं, स्वार्थ के लिए नहीं। सेवा में सार्थकता का बोध होता है। मेरा जन्म गंगा के लिए हुआ है। मैंने गंगा को नहीं पकड़ा, गंगा ने मुझे पकड़ा है। गंगा मूलतः समाज की और संतों की धारा है। हमें गंगा के प्रति श्रद्धा और जिम्मेदारी दोनों का भाव लाना पड़ेगा। मुझे लगता है मैं इसी के लिए ही जिऊंगी और इसी के लिए ही मरूंगी क्योंकि मैं नानाजी जी की ही बेटी हूं।
नानाजी एक अद्वितीय व्यक्तित्व थे, जब जब शरद पूर्णिमा आती है मैं उनको याद करती हूं, शरद के चांद की तरह उनमें प्रकाश और शीतलता दोनों थी।
सुश्री भारती ने कहा कि उनकी जिंदगी में कर्मकांड नहीं था उनका जीवन आध्यात्मिक था, नानाजी ने बहुत से लोगों को खड़ा किया, चाहे वह व्यक्ति हो या संस्थाएं, और उन लोगों ने सृष्टि के लिए बहुत कुछ किया। उस दृष्टि से वास्तव में नानाजी भारत माता के मुकुट में जगमगा रहे भारतरत्न है।
उत्तर प्रदेश सरकार के लोक निर्माण मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने कहा कि नानाजी का हर काम एक अभिनव प्रयोग की तरह होता था चाहे वह गोंडा जनपद में बांस के पाइप से सिंचाई का प्रयोग हो या देसी उन्नत किस्मों व बीजों के संरक्षण का हो। मुझे जनप्रतिनिधि के नाते कई बार स्वाबलंबन केंद्रों पर जाने का अवसर मिला है वास्तव में गांव गांव में हो रहे उनके सारे काम अनुकरणीय हैं, एक मिसाल हैं।
इस दौरान संस्थान के प्रधान सचिव अतुल जैन ने संचालन करते हुए कहा कि नानाजी का मानना था कि हमारे विकास का मॉडल देशानुकूल भी होना चाहिए और साथ में युगानुकूल भी होना चाहिए। इसलिए इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के माध्यम से वनवासी बंधुओं की जो भौतिक संपदा है उस को रेखांकित करते हुए जनजाति लोगों का सामाजिक आर्थिक विकास की दृष्टि से ट्राइफ्रेड के माध्यम से प्रधानमंत्री जी की वन धन योजना का लोकार्पण भी किया गया।
अपने आशीर्वचन में मलूक पीठेश्वर संत श्री राजेंद्र दास जी महाराज ने नानाजी को अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि यहां आकर हमारे गुरुजी और नानाजी के साथ की आत्मीय संबंधों की स्मृतियां ताजा हुई है। नानाजी महापुरुष थे, महापुरुष जो होते हैं वह सुख दुख एवं संपत्ति विपत्ति में एक समान होते हैं। भारतरत्न नानाजी जैसे व्यक्ति इस युग के ऋषि हैं। पीड़ित मानवता की वेदना रूपी जो विचार है, वह उनके ह्रदय में प्रकट हुआ और संपूर्ण मानव जाति की सेवा की।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए संस्थान के अध्यक्ष वीरेंद्रजीत सिंह ने कहा कि नानाजी मंत्र दृष्टा थे पंडित दीनदयाल जी ने जो दर्शन हमारे सामने प्रस्तुत किया, उसको साकार रूप में देखने के लिए नानाजी के कार्यों को नजदीक से देखना होगा।

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