मध्यप्रदेश – धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2021 विधानसभा में पारित, छल-कपट, जबरन, लालच देकर धर्म परिवर्तन पर सजा

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मध्यप्रदेश धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2021 सोमवार को विधानसभा में बहुमत से पारित हो गया. इससे पहले सदन में विधेयक के प्रस्ताव पर करीब डेढ़ घंटे तक बहस हुई. विपक्षी दल कांग्रेस ने प्रावधानों को लेकर सवाल खड़े किए. सत्ता पक्ष की ओर से कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि – हम ‘लव’ के नहीं, ‘जिहाद’ के खिलाफ हैं. विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि कानून की आवश्यकता सबसे अधिक वनवासी क्षेत्र में रहने वाली बेटियों को है, क्योंकि इन्हें बहला-फुसला कर ईसाई और मुसलमान बनाया जा रहा है. इसकी आड़ में सरकारी योजनाओं का लाभ भी लिया जा रहा है.

सरकार ने कानून को 6 माह की अवधि के लिए अध्यादेश के माध्यम से 9 जनवरी, 2021 को प्रदेश में लागू किया था. इसमें प्रलोभन देकर, बहलाकर, बलपूर्वक, धोखे से मतांतरण करवाकर विवाह करने या करवाने वाले को एक से लेकर दस साल के कारावास और अधिकतम एक लाख रुपये तक अर्थदंड से दंडित करने का प्रावधान है. अध्यादेश लागू होने के बाद से प्रदेश में 11 फरवरी तक 23 प्रकरण दर्ज हुए. सर्वाधिक भोपाल संभाग में सात, इंदौर संभाग में पांच, जबलपुर व रीवा संभाग में चार-चार और ग्वालियर संभाग में तीन मामले दर्ज हो चुके हैं.

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस देश में तुष्टीकरण की राजनीति करने के लिए भ्रम फैलाने का काम कर रही है. पहले CAA और फिर धारा 370 हटाए जाने पर लोगों को गुमराह करने का काम किया. अब मप्र सरकार धर्म स्वातंत्र्य कानून बना रही है तो इसके बारे में भ्रम फैलाया जा रहा है.

कानून में प्रावधान –

– धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन देना होगा.

– बगैर आवेदन दिए धर्मांतरण करवाने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान है.

– बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबर्दस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान. यह गैर जमानती अपराध होगा.

– धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत पीड़ित, माता-पिता, परिजन या गार्जियन द्वारा की जा सकती है.

– सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा. उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी.

– जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा.

– इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन भी रद्द होगा.

– अपने धर्म में वापसी करने पर इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा.

– पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण का हक हासिल करने का प्रावधान है.

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