अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च)

भारतीय संस्कृति में नारी को अत्याधिक महत्व दिया गया है, कारण आदिशक्ति को ही हमारे धार्मिक ग्रंथो में इस सृष्टि की रचयिता ही नही अपितु समस्त देवो की सृजन करता भी माना जाता है।

संस्कृत में नारी के सम्मान को दर्शाते हुए लिखा है “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः” भारतीय संस्कृति के चमकते हुए नभ में अनगिनत नक्षत्र है जिनका नाम लिए बिना अपने विचारो को आगे शब्दों में पिरोना संभव नही है, जैसे देवी अहिल्या बाई होलकर, मदर टेरेसा, इलाभट्ट महादेवी वर्मा, राजकुमारी अमृत कौर, अरुणा आसफअली, सुचेता कृपलानी इन जग प्रसिद्ध महिलाओं ने देश में ही नही अपितु सारे संसार में प्रसिद्धि प्राप्त की है।

महिला, समाज और परिवार का अत्यंत मजबूत और अभिन्न अंग है वर्तमान दौर में आर्थिक सामाजिक एवं राजनैतिक, सभी पृष्ठभूमि में महिलाये अपना सर्वोत्तम योगदान देकर देश की अस्मिता में चार चाँद लगा रही है।

आज की महिलाये शिक्षिका, डॉक्टर, वकील, जज, पायलट, क्लीनर, ड्राईवर इतना ही नही विद्युत् मंडल में चालू लाइन में खम्बे पर चढ़कर कार्य करने से भी गुरेज नही रखती है। साथ खेल जगत में भी अपनी चमक बरक़रार रखी है, आज ऐसा कोई स्थान नही है जहाँ महिलाओं का वर्चस्व नही है।

माँ बच्चे की प्रथम गुरु है ऐसा इसीलिए कहा जाता है कि यदि एक बिटिया पढेगी तो वह दो खानदानो का नाम रोशन करेगी और एक पीढ़ी को भी वह संस्कारवान बनाएगी ।

हमारे देश में नारी को मातृशक्ति के नाम से जाना जाता है। नवदुर्गा में नारी के सभी रूपों के दर्शन होते है।

इस कड़ी में स्व. श्रीमती सुषमा स्वराज का नाम अग्रणी है जिन्होंने हमारे देश में ही नही बल्कि विदेशों में भी भारत को नए आयाम प्रदान किये।

श्रीमती आरती निघोजकर

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