
प्रबुद्ध नागरिक मंच इंदौर द्वारा बंगाल चुनाव के उपरांत हुई हिंसा के विरोध में इंदौर शहर के 170 प्रबुद्ध नागरिकों एवं समाज प्रमुखों के हस्ताक्षर सहित राष्ट्रपति के नाम जिलाधीश महोदय को ज्ञापन दिया गया। कोविड़ प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए मंच के गिरीश पटवर्धन (अधिवक्ता), सीए विनोद जी रुणवाल, डॉ अरुण जी अग्रवाल, रवि जी नंदी (बंगाली समाज), सुप्रसिद्ध आर्किटेक्ट पुनीत जी पांडे, कमल जी शिन्दे, विनोद जी मोहिने, राधेश्याम जी जामले, विक्रम जी मस्कुले ने यह ज्ञापन दिया।
ज्ञापन में बताया गया की विगत दिनों पश्चिम बंगाल में हुए चुनाव के दौरान तथा चुनाव के उपरांत हुई हिंसा ने एक भयावह रूप ग्रहण कर लिया है। चुनाव परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद आरम्भ हुई यह हिंसा अबतक निरंतर जारी है। पहले सप्ताह में ही 3000 से अधिक गांवों में हिंसक घटनाएं हुई हैं। जिनमें 70,000 लोग प्रभावित हुए हैं। 3886 मकान व दुकान को क्षति पहुंची है। अनेक मकान तो बुलडोजर से ध्वस्त कर दिये गये।
तृणमूल कांग्रेस के जेहादी गुण्डों ने 39 महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया, इनमें से केवल 4 के साथ बलात्कार की पुष्टि हो पाई है क्योंकि शेष की पुलिस ने मेडिकल जांच कराने से ही इंकार कर दिया। केवल सत्ताधारी पार्टी के विरोध में काम करने के अपराध में 2157 कार्यकर्ताओं पर हमले हुए हैं। इन कार्यकर्ताओं के 692 परिजनों पर भी प्राणघातक हमले हुए हैं। 23 की हत्या अब तक दर्ज हुई है। इनमें से 11 एकदम निर्धन तथा अनुसूचित जाति व जनजाति के हैं व 3 महिलाएं हैं। अपने व परिवार की सुरक्षा के लिए 6779 कार्यकर्ता अभी बंगाल में ही अपना गांव व घर छोड़ कर शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। 1800 से अधिक कार्यकर्ता आसाम में शरण लेने को विवश हुए हैं।
बंगाल की इन घटनाओं में हुई इस हिंसा के पीछे केवल राजनैतिक पक्ष विपक्ष ही एकमात्र कारण नहीं है। हिंसक भीड़ द्वारा लगाये गये साम्प्रदायिक नारों से इन हमलों की प्रकृति एकदम स्पष्ट हो जाती है। जनसंख्या असंतुलन और जेहादी मानसिकता के कारण उपजी अलगाववादी मानसिकता व वृहद बांग्लादेश जैसी देश विरोधी सोच इसके मूल में स्पष्ट दिखाई देती है। बांग्लादेशी घुसपैठियों व रोहिंग्या शरणार्थियों की सक्रियता खतरनाक भविष्य की ओर संकेत कर रहे हैं।
हिंसा को सत्ता धारी दल व प्रशासन का समर्थन: चुनाव के दौरान ही अनेक घटनाओं में प्रशासन व पुलिस का पक्षपाती रवैया स्पष्ट ही दिखाई दे रहा था। किंतु परिणाम घोषित होने के बाद जेहादी भीड़ के द्वारा हो रही हिंसक हमलों पर पुलिस प्रशासन मूक दर्शक बन कर देखता रहा। घटनाओं की एफ आई आर दर्ज करने में आनाकानी करता रहा। फरियादी का मेडिकल कराने से साफ इंकार कर दिया। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी राज्य के राज्यपाल को स्वयं जनता के बीच जाकर उनकी पीड़ा सुनने की आवश्यकता पडी हो। यही नहीं राज्यपाल महोदय को ही स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों के असहयोग व रोकटोक का सामना करना पड़ा हो।
प्रबुद्ध नागरिक मंच द्वारा महामहिम राष्ट्रपति जी से निवेदन किया गया कि आप पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को अपने संवैधानिक अधिकारों के तहत निर्देशित करें कि वह राज्य सरकार को पीड़ित लोगों की भावनाओं से अवगत करावें। राज्यपाल अपने संवैधानिक अधिकार का उपयोग कर प्रदेश सरकार को निर्देशित करें कि वह दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करें। प्रभावित लोगों को शीघ्र न्याय दिलवाने के कार्य के साथ उचित मुआवजे की भी व्यवस्था करें। साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो इस हेतु शीघ्र कठोर कदम उठाएं। हिंसा की सभी घटनाओं की केन्द्रीय एजेंसी अथवा न्यायिक जांच हो। दोषियों तथा घटनाओं के पीछे लगी षड्यंत्रकारी शक्तियों, संगठनों तथा व्यक्तियों की पहचान कर उन पर प्रकरण दर्ज किये जायें। भारत की अखण्डता व सम्प्रभुता को खतरे में डालने वाले इस घटनाक्रम पर स्वतः संज्ञान में लें।
ज्ञापन मे मुख्य हस्ताक्षरकर्ताओं के रूप में जस्टिस आई एस श्रीवास्तव जी, मिरंजन नेगी जी, अखिल हार्डिया जी, प्रतीक्षा नय्यर जी, श्यामली चटर्जी जी, प्रियंका मोक्षमार्ग जी, परितोष जी साहा, राजकुमार जी जैन, असीम त्रिवेदी जी, कर्नल मनोज जी बर्मन, अमिताभ जी विजयवर्गीय, डॉ नरेंद्र जी पाटीदार ने अपने हस्ताक्षर किए।