बांग्लादेश में हिंदुओं के विरुद्ध होने वाली हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है | सत्तापरिवर्तन के दौरान हिंदुओं पर कट्टरपंथी मुसलमानों ने भयंकर अत्याचार कीये थे | हिंदुओं को मारा और लूटा गया | घरों को जला दिया गया हिंदू स्त्रियों के साथ बलात्कार जैसे जघन्य अपराध भी हुए | कितने हिंदुओं को मार डाला गया | कई मंदिर तोड़ डाले गए | देवमूर्तियों को भग्न कर अपमानित किया गया |
6 अगस्त को खोलना जिले में इस्कॉन मंदिर को निशाना बनाया गया था, जहां रखी हुई भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों को जला दिया गया | इस हमले के बाद इस्कॉन के सन्यासी चिन्मय कृष्णदास जी ने अन्य मंदिरों की सुरक्षा को भी लेकर के अपनी चिंता जाहिर की थी | इसके बाद से बांग्लादेश के हिंदू समाज में संगठन देखा गया |वे एकत्रित हो कर विरोध प्रदर्शन करने लगे | लेकिन जब-जब भी हिंदुओं ने अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों का विरोध किया, उन्हें फिर इसके हिंसक परिणाम भुगतने पड़े |
25 अक्टूबर को चटगांव के लालदीघी मैदान में हिंदुओं के एक कार्यक्रम में चिन्मय कृष्ण दास ने संबोधित किया था | इस दौरान न्यू मार्केट चौक पर सनातनी लिखा भगवा ध्वज भी फहराया गया | यही बात इस्लामी कट्टरपंथियों को चुभ गई और चिन्मय कृष्णदास उनके निशाने पर आ गए | सोमवार को ढाका के हजरत शाह जलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से बांग्लादेश पुलिस ने चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को बिना वारंट के गिरफ्तार कर लिया |
इस गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश का हिंदू समाज मुखर हुआ है | चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की रिहाई के लिए जगह-जगह प्रदर्शन किया जा रहे हैं | हिंदू इकट्ठा होकर सड़कों पर जाम लगा रहे हैं, और यथाशक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं | किंतु उनके लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना भी आसान नहीं है | स्वयं प्रशासन और कट्टरपंथियों ने हिंदु प्रदर्शनकारियों पर ईंट और पत्थर बरसाए , लाठियां चलाई, रबर बुलेट्स और आंसू गैस के गोले भी दागे गए | इन घटनाओं मे सैकड़ों घायल हो गए | कुछ स्थानों पर गोली चलाने की भी बात सामने आई है |
हिंदुओं की मांगों के विपरीत बांग्लादेश की यूनूस सरकार ने हाईकोर्ट में हिंदुओं को ही कट्टरपंथी बता दिया और उन्हें आतंकवादी घोषित करने के प्रयास किया जा रहे हैं | इस पूरे प्रकरण पर भारत सरकार ने अपनी नाराजगी जाहिर की है | अपने अधिकृत वक्तव्य में विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं लेकिन शांतिपूर्ण सभाओं के जरिए सही मांग करने वाले धार्मिक नेता के खिलाफ मुकदमे चल रहे हैं |
बांग्लादेश मे हो रही घटनाएं केवल राजनीतिक नहीं है | ये वास्तव मे सभ्यताओं का संघर्ष है | हमने अपने इतिहास मे भी ऐसी घटनाएं देखि है | सम्पूर्ण हिंदू समाज को इनसे सीख लेने की आवश्यकता है | साथ ही यह भी जरूरी है की विश्व का हिंदू समाज बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए उठ खड़ा हो |
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