उपरोक्त वाक्य में कोई अतिश्योक्ति नहीं है पिछले कई दशकों से सेवा कार्य में, आपदा राहत में, युद्ध में, महामारी में, बाढ़ में, प्राकृतिक आपदा में, कहीं भी कोई भी विपदा की परिस्थिति में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा अग्रणी रहा है और इसके स्वयंसेवक सर्वप्रथम सेवा कार्य में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं समाज को उत्साहित करने का, आपदा से लड़ने का साहस और वातावरण स्वयंसेवक अपने कार्यों से करते हैं ।इसी प्रकार वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ने इसकी सावधानी व इससे बचाव और जो इस बीमारी की चपेट में आ गए हैं उनके लिए राहत कार्य यह बीमारी और ना फैले इस हेतु बचाव कार्य, लाकडाउन की स्थिति में (जब भारत सरकार ने सभी व्यक्तियों को अपने घरों में ही रहने का आग्रह किया है) उस स्थिति में उनकी दैनंदिन आवश्यकताओं की पूर्ति, बीमारियों में उनकी दवाइयों की व्यवस्था भी जरूरी है। बच्चे बूढ़े बीमार छात्र-छात्राएं आदि हर श्रेणी और समाज के हर वर्ग की अपनी अपनी आवश्यकता होती है। कमजोर से श्रेष्ठ वर्ग सभी आवश्यकता रहती है। जो निरन्तर चल रहे समाज से पूरी होती है। रोज खाने कमाने वालों की भी और फैक्टरी मालिकों की भी इन सभी आवश्यकताओं की पूर्ति समाज के संपन्न वर्ग से लेकर अक्षम वर्ग तक पहुंचाने का कार्य सरकार और समाज के बीच में सेतु का कार्य संघ के स्वयंसेवकों ने किया है।जानते है पूरे मालवा प्रांत मैं इनके सेवा कार्यों पर एक दृष्टि। यह जो सेवा कार्य हुए हैं स्वयंसेवकों से प्राप्त जानकारी के आधार पर है और अधिकांश कार्यों की जानकारी हमें प्राप्त नहीं हुई है जो प्राप्त हुई है, वो इस प्रकार है।मध्य प्रदेश का इंदौर और उज्जैन संभाग जिसे संघ की दृष्टि में मालवा प्रांत कहा जाता है इसमें मालवा और निर्माण का संपूर्ण क्षेत्र आता है जो बुरहानपुर से लेकर नीमच तक का रहता है जिसमें प्रमुखता देवास उज्जैन मंदसौर रतलाम धार इंदौर खरगोन खंडवा विभाग है।विभाग के 151 नगरी क्षेत्र व 3099 ग्रामीण केंद्रो में सेवा कार्य अनवरत जारी है या यूं कहें 3241 स्थानों पर 13885 कार्यकर्ताओं के माध्यम से 82082 राशन सामग्रियों का वितरण किया गया यह सामग्री उन लोगों को दी गई है जो रोज कमाते और रोज खाते हैं। आम भाषा में कहे तो दिहाड़ी मजदूर श्रमिक लोग और इसी प्रकार करीबन 986957 भोजन पैकेट का वितरण किया जा चुका है और निरंतर जारी है भोजन पैकेट (जैसा कि भारत सरकार ने बताया था कि जो जहां है वहीं रुक जाए) उन लोगों को दिए गए जो दूसरे स्थान पर नहीं जा सकते थे। छात्र-छात्राएं, एकल बुजुर्ग, सेवा बस्ती में रहने वाले कमजोर वर्ग के लोग जो अपना भोजन नहीं बना सकते थे दूसरों पर आश्रित रहते थे भोजनालय में और टिफिन में खाने वाले लोग ट्रक ड्राइवर, स्वास्थ्यकर्मी, स्वच्छताकर्मी, पुलिसकर्मी जो दिन-रात सेवा कार्य में लगे रहते हैं इन लोगों के भोजन की चिंता भी संघ के स्वयंसेवकों ने की। इसी प्रकार सुदूर क्षेत्रों में जहां भोजन तो मिल रहा था लेकिन जो बच्चे हैं बुजुर्ग हैं बीमार हैं उन लोगों के लिए दूध की व्यवस्था और हरी सब्जी की व्यवस्था भी 30782 लोगों की गई।पहली आवश्यकता भोजन उसके बाद दूसरा पड़ाव सावधानी व बचाव का है* 121653 मास्क का वितरण अब तक किया जा चुका है और साथ ही 2564 दस्ताने स्वास्थ्यकर्मी सुरक्षाकर्मियों, वितरण करने वालो को दिए गए हैं। सैनिटाइजर व साबुन 30111 वितरित किए गए हैं इसी प्रकार सेनीटाइजर छिड़काव 2175 स्थानों पर किया गया है। सुरक्षा की सर्वश्रेष्ठ मानी जाने वाली पीपीई किट का वितरण भी 613 की संख्या में किया गया है।
दवाई वितरणवही दिन रात इस कार्य में लगे हुए लोगों को अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक काढ़ा बनाकर 73282 लोगों को दिया गया है। विभिन्न आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक चिकित्सकों से प्राप्त रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतु दवा का वितरण भी 2128 लोगों को किया गया ।अन्य बीमारियां बीपी, शुगर, थायराइड जो पहले से ही जिन व्यक्तियों में रहती है। उनको प्रतिदिन दवाई लेना होती है।1190 लोगों को बीपी शुगर की दवाई का वितरण किया गया।सामान्य बीमारियों से बचाव हेतु चिकित्सा परामर्श केंद्र 77 स्थानों पर बनाए गए।
चलित रक्तदान शिविरदूसरी बहुत बड़ी आवश्यकता रक्त की रहती है,विभिन्न स्थानों पर 182 यूनिट एकत्रित करके हॉस्पिटल को दिए । उज्जैन में चलित रक्तदान एंबुलेंस माधव सेवा न्यास द्वारा चलाई गई जिसमें स्वयंसेवकों के परिवार से और लोगों से आग्रह कर उनके घर पर पहुंच कर उनसे रक्तदान लिया गया और इसी प्रकार पूरे प्रांत में भी स्वेच्छा से रक्तदान हुआ संख्या 182 यूनिट की रही।
कोरोना से जानकारी ही बचाव
ग्रामीण जनों में कोरोना से बचाव के और जागरण के सावधानी वाले कर पत्रको का वितरण किया गया 30, 459संख्या में।आकस्मिक सहायता केंद्र 142 स्थानों पर संचालित होते हैं और सुरक्षा व्यवस्था 2017 स्थानों पर हुई है पुलिस, स्वास्थ्यकर्मी, स्वच्छता कर्मी को जलपान में सहयोग किया 253 स्थानों पर वही समाज को स्वस्थ रखने वाले ऐसे स्वच्छता कर्मियों का सम्मान 95 स्थानों पर किया गया।।दूसरे प्रांतों के लोगों की सहायता जिनकी 30081 संख्या थी। पैदल आवागमन से बाहर से अपने गाँव जाने वाले अपने श्रमिक बंधु 146 स्थान से आये 42431 व्यक्तियों को भोजन कराकर इनकी वाहन व्यवस्था प्रशासन के सहयोग से, की गई ।
सामाजिक दूरी के लिए रेखांकनरेखांकन अति आवश्यक था जिसमें सार्वजनिक स्थानों पर जैसे सब्जी मंडी, सार्वजनिक पानी भरने का केंद्र, चिकित्सा केंद्र, बैंक आदि जगहों पर रेखांकन करके 1 मीटर की दूरी पर व्यक्तियों को खड़ा किया गया। यह कार्य करीबन 1000 स्थानों पर किया गया।।
सेवा कार्य की अनुभूति हुई जिनमें एक प्रसंग एलाइड टावर इंदौर का है। मधु जी अग्रवाल अपनी वृद्ध माता और पुत्री के साथ निवास करती है। उनकी माता का निधन हो गया और अंतिम संस्कार के लिए वह परेशान हो रही थी रिश्तेदारों को परिचितों को सूचना कर दी गई। कोई समय पर नही आ पा रहा था । ऐसे में ही उसी बिल्डिंग में रहने वाले संघ के स्वयंसेवक को पता चला तो उन्होंने अपने पास के कार्यकर्ताओं को सूचना की परिवार भाव से अंतिम संस्कार की संपूर्ण प्रक्रिया उनकी रीति नीति से की गई । इस कार्य से मधु जी अग्रवाल को इतनी आत्मिक संतुष्टि हुई और उन्होंने हमारे द्वारा किए गए कार्य को जाना और विषम परिस्थिति में भी अपनी ओर से ₹15000 का दान दिया और कहा कि आप लोग बिरले हो।
दूसरा उदाहरण बनारस की छात्रा दीक्षा सिंह का है जो यहां उच्च अध्ययन के लिए रुकी हुई है भोजन व्यवस्था से परेशान हमारे द्वारा दिए गए नंबर पर कॉल करने पर अपने कार्यकर्ता भूपेन जी राठौर के संपर्क में आई और उन्होंने उनकी सारी व्यवस्था दूर की परिवार भाव से उनकी मदद की गई इससे इतनी अभिभूत हुई छात्रा होते हुए भी उन्होंने सेवा भारती का अकाउंट लेकर उसमें अंशदान के रूप में राशि दूसरे दिन ही जमा करवाई जबकि ने यह कहकर मना किया क्या आप छात्रा है आपको आवश्यकता लगेगी।
अन्य उदाहरण चैन सिंह का बगीचा में रहने वाले श्री राम जी जुनेजा का है जो अपने दोनों बेटे लव और कुश दोनों बहुएं और पूरे परिवार के साथ प्रतिदिन 90 से 100 परिवार का भोजन बनाते हैं और उसे संघ के स्वयंसेवक के माध्यम से वितरित करवाते हैं जिनमें 24 घंटे ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मी स्वच्छता कर्मी स्वास्थ्य कर्मी और विपरीत परिस्थितियों में फंसे हुए व्यक्ति रहते हैं। जिन्हें भोजन की अति जरूरत होती है।। एमरजेंसी में भी एमरजेंसी
कोरोना के डर से कोई हॉस्पिटल जाना पसंद नही कर रहा है ऐसी विकट परिस्तिथि में एम. वाय. हास्पिटल में भर्ती नीतू पति धर्मेन्द्र प्रजापति जिनका प्रसव होना था लेकिन प्लेटलेट्स काउंट 28000 के लगभग ही थे जिससे माँ और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों का ही जीवन खतरे में था ।एक संस्था द्वारा स्वंयसेवक मौसमजी वाडिया को जानकारी देते हुए रक्त दान का आग्रह किया जिसे सहज भाव से स्वीकार कर आधी रात को 1 बजे घर से निकल गए इस दौरान परिजनों के साथ कई ब्लड बैंको में गए कइयों ने मना कर दिया कई संस्थाओं के द्वारा ब्लड बैंको में फोन लगाकर प्रयास किये जाने पर प्रात: 04 बजे अरविंदो जाकर SDP (जिसमे 3 लीटर के लगभग ब्लड को फिल्टर कर उसमे से प्लाज्मा निकाला जाता है) का डोनेशन किया जो प्रात:06 बजे के लगभग एम वाय हास्पिटल में उक्त महिला को लगाया गया जिससे प्लेटलेट्स में बढ़ोतरी हुई और प्रात: 08:00 बजे नार्मल प्रसव में एक बालक का जन्म हुआ जिससे माँ और एक बच्चे को नया जीवन दिया। उक्त परिवार जीवन भर ऋणी रहने का वाक्य कहकर अपना आभार प्रकट किया।