जिन पारम्परिक व्यवसाय को हिंदुओ ने छोड़ा ,मुस्लिमों ने उनमें साम्राज्य खड़ा कर लिया

पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें जावेद हबीब अपने सलून में एक महिला के बाल काटते समय पानी के स्थान पर अपने थूक का प्रयोग कर रहा है, या सीधे-सीधे शब्दों में कहें थूक रहा है। इस घटना का सोशल मीडिया पर विरोध हो रहा है।
आखिर है कौन यह जावेद हबीब…??
नाम से तो मुस्लिम दिखता है लेकिन आप नहीं जानते कि वर्तमान में जावेद हबीब के 24 राज्यों और 110 शहरों में एयर कंडीशन सैलून चल रहे हैं। यही नहीं सिंगापुर, केन्या, दुबई, बांग्लादेश और नेपाल में भी सेंटर है। हमारे इंदौर में ही 10 सैलून है। हिंदुओं का जो सेन समाज है वह परंपरागत रूप से इस कार्य को करता आया है लेकिन दुर्भाग्य देखिए एक मुस्लिम इस धंधे में घुसकर एक तरह से अपना साम्राज्य खड़ा कर देता है और हिंदु नाई दलित OBC बन के नौकरी खोज रहा।

26 राज्यो सहित 30 देशों में चमड़े के जूते और चप्पलों का कारोबार करने वाली 600 करोड़ की कंपनी मेट्रोशूज के मालिक फराहमलिक आज अरबपति बन गया है और हमारा चर्मकार समाज केबल राजनीति के चलते हैं अपने मूल व्यवसाय को छोड़कर आरक्षण और नौकरी के चक्कर में अपना समय व्यर्थ गंवा रहा है।

देश विदेश में चमड़ों और जूते चप्पलों का कारोबार करके मिर्जा चप्पल के मालिक मिर्जा बन्धु अरबपति हो गए ..

शहनाज अख्तर का नाम तो आपने सुना ही होगा जो कॉस्मेटिक और महिलाओं के प्रसाधनों का कार्य करती है आज उसका भी व्यापार भारत ही नहीं पूरी गल्फ कंट्री और अमेरिका तक फैला हुआ है।
हिमालया हर्बल हेल्थ केयर कंपनी अपने आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए भारतीय नहीं बल्कि पूरे विश्व में जानी जाती है। विश्व के 106 देशों में हिमालया के प्रोडक्ट बेचे जाते हैं और वहां की जनता के द्वारा पहली प्राथमिकता के आधार पर खरीदे जाते हैं आप जानते हैं इस कंपनी का मालिक कौन है।

ज्यादा दूर जाने की आवश्यकता नहीं है इंदौर में ही देख लीजिए पाकीजा नाम की एक छोटी सी दुकान आज इंदौर की सबसे बड़ी कपड़ा निर्माण करने वाली और उन कपड़ों से रेडीमेड कपड़े बेचने वाली कंपनी बन गई है और जिसके आउटलेट सिर्फ इंदौर ही नहीं मध्य प्रदेश के अन्य शहरों में भी खुल गए हैं।
बोहरा समाज को देखिए उनके यहां का कोई भी व्यक्ति नौकरी नहीं करता है सभी लोग सिर्फ और सिर्फ व्यवसाय करते हैं वे आरक्षण की भीख कभी नहीं मांगते और हमारा हिंदू समाज सिर्फ आरक्षण के पीछे और सरकारी नौकरियों के पीछे पड़ा हुआ है जो एक बहुत बड़ी साजिश है और इसी साजिश का यह परिणाम है की हिंदू आज बेरोजगार है।

कभी दलितों का एकाधिकार वाले चमड़े, जूते चप्पलें बार्बर शॉप आदि वामपंथियो मुस्लिमो और फर्जी अम्बेडकरवादियों के साजिश से कब दलितों के हाथ से निकलकर मुस्लिमो के हाथ मे चली गयी पता भी नहीं चला….. एक समय खादिम शूज वाले बर्मन परिवार ने इनको अच्छी टक्कर दी थी लेकिन आफताब अंसारी ने उनका अपहरण कर लिया करोड़ो की फिरौती वसूली गयी फिर उन्होंने दशकों तक विस्तार नही किया अब कर रहे है जब इस मार्केट में एकाधिकार हो चुका है….
पूरे भारत में स्वर्ण आभूषणों के निर्माण में लगने वाले सारे कारीगर आज मुस्लिम है आभूषण निर्माण ही नहीं ऐसे अन्य कई व्यवसाय है जहां पर मुस्लिमों का एकाधिकार हो चुका है और यह सारा का सारा कार्य पहले हिंदुओं की पिछड़ी और दलित जातियों के द्वारा किए जाने वाले कार्य थे।
उदाहरण के लिए अगर हम आज नाई समाज को ही लें तो हमें समझ में आएगा कि किस तरह वोट बैंक माफिया और उसके पैसों से पैदा किए हुए नमाजवादियों व दलितवादी नेताओं ने हिन्दू नाई से कहा
ब्राह्मण जनसंख्या में इतने कम हैं
पर सबसे अधिक सत्ता के मजे
यही ले रहे हैं।
तुमको सदियों सदियों तक नाई बनाकर रखना चाहते हैं
मत करो ये काम।
बच्चों को तो पढ़ाओ लिखाओ
सरकारी नौकरी दिलवाओ
और सुनो
जाति प्रमाण पत्र बनवा लो
कांग्रेस तुमको OBC में जोड़ देगी
आरक्षण दे देगी
मौज करो
इन ब्राह्मणों पंडितों के चक्कर में मत फंसो।
हिन्दू नाई ने
आरक्षण मिलेगा
सरकारी नौकरी मिलेगी
इसलिए दुकान बंद कर दी
शहर चला गया
अपना बड़ा सा घर छोड़ा
किराए पर एक कमरे में गुजारा किया
बच्चों को गली के अंग्रेजी स्कूल में डाला
जब बच्चे जॉनी जॉनी यस पापा गाते थे
हिन्दू नाई सोचता था
बच्चे कम से कम IAS तो कर ही जाएँगे
उसने एक फैक्ट्री में 7000 में गार्ड की नौकरी कर ली
जब जब खान्ग्रेसियों और नमाज़वादी नेताओं ने बुलाया
धरने प्रदर्शन आंदोलन में गया भी
सरकारी नौकरी कितने नाईयों लुहारों बढ़इयों धोबियों को मिल सकेगी
बेटे बेरोजगार घूमने लगे तो घर में झगड़ा बढ़ने लगा।
जो भी हो
20 साल बीत गए
बच्चे अब भी बेरोजगार थे।
हिन्दू नाई से रात को सेक्यूरिटी गार्ड की नौकरी होती नहीं थी
नींद लग जाती थी
नौकरी छूट गयी।
हिन्दू नाई वापस गाँव लौट आया
उसने फिर से अपनी बाल काटने की दुकान खोलनी चाही
पास के कस्बे में जाकर देखा
20 साल पहले 2 सैलून थे
वो भी हिन्दू नाईयों के
अब उसी कस्बे में 50 सैलून खुल चुके थे
और सारे के सारे सैलून मियों के थे
हिन्दू नाई ने रोजगार छोड़ा
मियों ने कब्ज़ा कर लिया
हिन्दू बढ़ई ने अपना काम छोड़ा
मिएँ ने बाजार पर कब्जा कर लिया।
हिन्दू लुहार ने अपना काम छोड़ा
मियों ने वेल्डिंग की दुकानें खोल कर पूरा बाजार कब्ज़ा लिया
हिन्दू धोबी ने सरकारी नौकरी के चक्कर में कपड़े धोने छोड़े
गाँव के घर घर से परिचय टूटा
नाते टूटे
मिएँ ड्राई क्लीन और जीन्स की रंगाई में छा गए।
हिन्दू SC ने जूते बनाने छोड़ दिए
आज अरबों रुपए का चमड़े मांस चर्बी हड्डी और सारा का सारा जूता बाजार मियों के कब्जे में है मिएँ OBC और SC/ST के पेट पर लात मार रहे हैं
पंडितों का काम पूजा पाठ है
पुरोहिताई है
ये काम मिएँ कभी नहीं करेंगे
लिख लो।
आरक्षण और सरकारी नौकरी के लालच में कितने लोगों को रोजगार मिला करोड़ों युवा मैकाले सिस्टम में फंसकर एक डिग्री लेकर सड़क पर घूम रहे हैं
हम हिन्दुओं के पारंपरिक रोजगार इतने बुरे थे क्यो…..????

उपरोक्त सारी बातों पर विचार जरूर कीजिए सिर्फ सरकार पर जवाबदेही डालकर हम बच नहीं सकते यह भी सच है कि सरकार सभी लोगों को रोजगार दे नहीं सकती लेकिन जो हमारे परंपरागत व्यवसाय हैं उन व्यवस्थाओं को फिर से अपनाकर हम अपना और साथ ही देश का भी विकास और उत्थान कर सकते हैं।

श्रीपाद कुलकर्णी बांगर

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