
नवभगीरथ पुस्तक विमोचन कार्यक्रम
गिरीश प्रभुणे — यह पुस्तक लिखने में मुझे काफी कठिनाई हुई , लगा हम जिनपर लिख रहें हैं उन्हें दुनिया में वंचित ,पीड़ित कहते हैं किंतु जब उनके पास गए तो पता चला कि कि वे तो आधुनिक है ।
उपनिषद कालीन व्यवस्था उनके पास हैं किंतु वैचारिक आक्रमण ने उनके गौरव को ध्वस्त कर दिया । महेश जी शर्मा ने उसी गौरव का पुनर्जागरण किया उन्होंने वनवासी समाज को ऋतू ,जल ,नक्षत्र के विषय में बताया और वे गौरव जागरण के नव भगीरथ बन गए ।

मान सरकार्यवाह — गिरीश जी केवल पेन खोलकर लिखने वाले लेखक नहीं हैं वरन एक संवेदनशील मन हैं ,एक विचार बुद्धि हैं ।
शिवगंगा में शिव भी हैं ,गंगा भी हैं और संयोग से महेश भी हैं । भगीरथ शब्द से आशय एक ऐसे प्रयत्न से हैं जिसमे कुछ असीम हैं , जिसमे सफलता प्राप्त करना हैं । सगर से जो प्रयत्न प्रारम्भ हुआ वह भगीरथ के समय सफल हुआ ।
जल का मूल्य नहीं चुकाया जा सकता , जल का मूल्य जीवन हैं ,उसी प्रकार गाँव ,वनस्पति ,जैविक कृषि का कोई मूल्य नहीं हैं उसका मूल्य हो भी तो परिश्रम हो सकता है और यह परिश्रम महेश शर्मा जी ने किया हैं ।

झाबुआ में जो परिवर्तन लाने के लिए जो प्रयास किया जा रहा उसकी सफलता के विषय में चिंता नहीं वरन उसकी सफलता के विषय में विश्वास रख कार्य करने की आवश्यकता हैं ।
महेश शर्मा जी ने झाबुआ में जो हैं उसे ही वहाँ के नागरिकों को दिखाने का प्रयास किया हैं । गिरीश प्रभुणे जी ने उस भागीरथी प्रयास का कृतिरूप में दर्शन कराने का प्रयास किया हैं
सरकार्यवाह जी ने कहा कि गिरीश जी ने इसे मराठी में लिखा और मोहन जी बांडे ने इसका हिंदी अनुवाद किया और मराठी संस्करण से पूर्व हिंदी अनुवाद का आना सौभाग्य की ही बात हैं जिससे पुस्तक को पढ़ना सभी के लिए पढ़ना सुलभ होगा ।
उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने गिरीश प्रभुणे द्वारा लिखित पुस्तक \”नवभगीरथ\” के विमोचन कार्यक्रम मे प्रस्तुत किए। विमोचन कार्यक्रम अ. भा . ग्राहक पंचायत के कार्यालय मे हुआ। जिसमे सह सरकार्यवाह मुकुंदा जी, प्रांत प्रचारक बलिराम जी पटेल तथा प्रांत अन्य अधिकारी उपस्थित रहें। अध्यक्षता महेश शर्मा (शिवगंगा) तथा संचालन नितिन धाकड़ ने किया।
