जम्मू कश्मीर. प्रशासन ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी से संबंधित ट्रस्ट फलाह-ए-आम से जुड़े सभी स्कूलों में अकादमिक गतिविधियों पर रोक लगाने का निर्देश जारी किया है. स्कूलों पर प्रतिबंध लगने के बाद से अब इन स्कूलों में कोई भी नया दाखिला नहीं होगा, ना ही कोई नई रजिस्ट्रेशन होगी. साथ ही प्रशासन द्वारा मुख्य शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए गए हैं कि जिला प्रशासन के साथ मिलकर स्कूल का पूरा ब्योरा तैयार करें कि ट्रस्ट के स्कूलों की संपत्ति का क्या किया जाए.
ट्रस्ट के स्कूलों पर प्रतिबंध की तलवार फरवरी 2019 में ही लटकने लगी थी, जब प्रदेश सरकार ने प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाया था. प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी से संबद्ध फलाह-ए-आम (एफएटी) की ओर से जम्मू-कश्मीर में संचालित सभी स्कूलों को बंद करने का सरकार ने आदेश जारी किया है. इन सभी स्कूलों को 15 दिन में सील कर दिया जाएगा. इनमें अध्ययनरत विद्यार्थियों को पास के स्कूलों में समायोजित किया जाएगा.
राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) की जांच के बाद स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव बीके सिंह की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि जिला प्रशासन के परामर्श से इन स्कूलों को सील किया जाए. उन्होंने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारी, प्रधानाचार्य तथा जोनल अफसरों से विद्यार्थियों की दाखिला प्रक्रिया में हर संभव मदद करने को कहा है. इन स्कूलों के बारे में व्यापक पैमाने पर जागरूकता फैलाने को कहा गया है.
एसआईए की जांच में एफएटी द्वारा अवैध कार्य किए जाने, धोखाधड़ी, बड़े पैमाने पर सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने के आरोप लगे थे. एफएटी कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी से संबद्ध है, जिसे गृह मंत्रालय ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्रतिबंधित किया है.
अधिकारियों ने बताया कि ज्यादातर एफएटी स्कूलों, मदरसों, अनाथालयों, मस्जिदों से अपना काम चलाता है. इस तरह के संस्थानों ने 2008, 2010 और 2016 में बड़े पैमाने पर अशांति फैलाने में विनाशकारी भूमिका निभाई थी, जिससे आम लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ी.
एफएटी के 300 से अधिक स्कूल अवैध रूप से अधिगृहित सरकारी और सामुदायिक भूमि पर पाए गए हैं, जहां जमीन पर जबरदस्ती व बंदूक के बल पर कब्जा किया गया था. साथ ही राजस्व अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर धोखाधड़ी व जालसाजी करके राजस्व दस्तावेजों में गलत संस्थाएं बनाईं गईं.
एसआईए ने पहले ही इस तरह के मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है. एजेंसी जांच के दायरे का विस्तार कर रही है, ताकि उन सभी धोखाधड़ी, अनधिकृत संस्थाओं और जालसाजी का पता लगाया जा सके जो पिछले 30 वर्षों में आतंकवादियों के इशारे पर की गई हैं.