सामाजिक समरसता का अनुपम केंद्र बनेगा श्रीराम जन्मभूमि मंदिर – मिलिंद परांडे

नई दिल्ली. विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के केन्द्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा कि मुझे ख़ुशी है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मभूमि के सम्बन्ध में यह पत्रकार वार्ता आज एक ऐसे पावन स्थल पर हो रही है, जहां से डॉ. हेडगेवार जी द्वारा संघ-गंगा तथा डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर जी की दीक्षा भूमि से समता-गंगा का उद्गम हुआ. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने सामाजिक समरसता और सशक्तिकरण का संदेश स्वयं के जीवन से दिया. उनके मंदिर के पूजन में प्रयुक्त होने वाले, देशभर की हजारों पवित्र नदियों का जल व पावन तीर्थों की रज, सम्पूर्ण भारत को, एकाकार कर राष्ट्रीय एकात्मता का दर्शन कराएंगे.
उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम द्वारा अहिल्या उद्धार, शबरी और निषादराज से मित्रता व प्रेम सामाजिक समरसता के अनुपम उदाहरण हैं. श्री राम जन्मभूमि का शिलान्यास 1989 में अनेक पूज्य संतों की उपस्थिति में अनुसूचित जाति के कामेश्वर चौपाल के कर कमलों से ही संपन्न हुआ था, जो आज श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास के न्यासी भी हैं.
उन्होंने कहा कि हजारों पवित्र तीर्थ क्षेत्रों की पावन माटी एवं पवित्र नदियों का जल, आनंद व हर्षोल्लास के वातावरण में, श्रीराम जन्मभूमि पूजन हेतु, देशभर से भेजा जा रहा है. बात चाहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उद्गम स्थल नागपुर की हो या संत रविदास जी के काशी स्थित जन्मस्थली की, सीतामढ़ी उत्तर प्रदेश से महर्षि वाल्मीकि आश्रम की हो या विदर्भ (महाराष्ट्र) के गोंदिया जिलान्तर्गत कचारगड की, झारखंड के रामरेखाधाम की हो या मध्यप्रदेश के टंट्या भील की पुण्य भूमि की, श्री हरमंदिर साहिब अमृतसर पंजाब की हो या डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के जन्मस्थान महू की, दिल्ली के जैन लाल मंदिर की हो या उस वाल्मीकि मंदिर की, जहां महात्मा गांधी 72 दिन रहे थे, ये सब मात्र कतिपय उदाहरण ही हैं.
विहिप महामंत्री ने आह्वान किया कि पांच अगस्त को हम सभी राम भक्त अपने-अपने घरों, प्रतिष्ठानों, मठ-मन्दिरों, आश्रमों इत्यादि स्थानों पर ही यथासम्भव सामूहिक बैठकर प्रातः 10.30 बजे से अपने-अपने आराध्य देव का भजन-पूजन कीर्तन स्मरण करें, पुष्प समर्पित करें, आरती करें तथा प्रसाद बाँटें. अयोध्या के कार्यक्रम को समाज को लाइव दिखाने की यथासम्भव व्यवस्था करें. घरों, मुहल्लों, ग्रामों, बाज़ारों, मठ-मन्दिरों, गुरुद्वारों, आश्रमों इत्यादि में साज-सज्जा कर सायंकाल में दीप जलाएं. मंदिर निर्माण के लिए यथाशक्ति दान का संकल्प लें. प्रचार के सभी साधनों का उपयोग करते हुए समाज के अधिकाधिक लोगों तक भव्य कार्यक्रम को पहुँचाएं. साथ ही इन सभी योजनाओं व कार्यकर्मों में कोरोना से रक्षा के सभी साधन अपनाएं तथा इस सम्बन्ध में आए सरकारी व प्रशासनिक दिशा-निर्देशों का पालन करें.

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