आज जावरा नगर के स्कालर्स पब्लिक स्कूल में 17 मई से प्रारंभ हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मालवा प्रांत के संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष विद्यार्थी का प्रकट उत्सव एवं समापन समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ ध्वजारोहण कर संघ प्रार्थना कर किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डा श्री आई एल चंदेलकर (सेवानिवृत्त वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी ) , मुख्य वक्ता श्री बलिराम जी पटेल प्रांत प्रचारक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मालवा प्रांत, श्री नंदराम पाटीदार माननीय जिला संघ चालक जावरा, श्री विकास आचार्य वर्गाधिकारी मंचासीन थे।
मुख्य अतिथि डा चंदेलकर जी ने संघ गीत एवं स्वयंसेवको का प्रदर्शन देखकर कहा कि राष्ट्र के विघटनकारी तत्वों की पूर्व में पहचान करके राष्ट्र की रक्षा करने का दायित्व स्वयंसेवकों पर है।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता श्री बलिराम जी ने कहा कि आज हम संघ स्थापना के शताब्दी वर्ष की ओर अग्रसर है इन 100 वर्षों में संघ का एक मात्र उद्देश्य हिन्दू समाज का संगठन एवं राष्ट्र को परम वैभव की ओर ले जाना है। 1925 में संघ की स्थापना के समय डा केशव बलिराम हेडगेवार जी के अंतर्मन में यही ध्येय था कि समाज जागरण, अंग्रेजो से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद अन्य कोई माँ भारती को पुनः परतंत्रता की बेडियो में न जकड़ सके इसके लिए समस्त हिंदू समाज का जागरण आवश्यक है।
स्वतंत्रता के 75 वें अमृतमहोत्सव काल में देश को अपनी संसद मिली तथा लोक कल्याणकारी राज्य के लिए भारतीय चिंतन के अनुरूप सेंगोल के रूप में धर्मदंड की स्थापना हुई।
आज संघ अपने विराट रूप में है, संघ का कार्य 40 से अधिक देशों में चल रहा है, इसके 50 से अधिक समवैचारिक संगठन समाज से किसी न किसी रूप में सेवा और स्वावलंबन में जुड़े हैं।
राष्ट्र और समाज की सेवा हेतु संघ का प्रत्येक स्वयंसेवक तत्पर है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण उडीसा के बालासोर में हुई दुखद रेल दुर्घटना में देखने को मिलता है जहाँ राहत कार्य में प्रशासन से पहले संघ के स्वयंसेवकों ने दूर्घटना स्थल पर पहुँच कर बिना किसी का धर्म देखे समभाव से सेवा कार्य आरंभ किया, अधिक लोगों के हताहत होने के कारण सेकड़ो की संख्या में रक्तदान कर कई घायल बंधुओं के प्राणों की रक्षा की। यही संघ के संस्कार है। आज सेवा भारती के माध्यम से 72000 से अधिक नियमित सेवा कार्य चल रहे हैं।
मनुष्य ने प्रकृति का बहुत दोहन कर लिया अब प्रकृति को लौटाने का समय है, पर्यावरण गतिविधि के माध्यम से समाज में यह संस्कार का प्रसार किया जा रहा है।
आपने बताया कि संघ समाज में समानता की भावना का प्रसार करता है और यह संदेश देता है कि वर्ण, जाति, कुल, गोत्र और क्षेत्र के आधार पर कही भी भेदभाव नही होना चाहिए, परंतु फिर कही कही पर विषमता के उदाहरण देखने सुनने में आ जाते हैं।
तृतीय सरसंघचालक श्री बालासाहेब देवरस जी ने कहा था कि “यदि अस्पृश्यता पाप नहीं तो दुनिया में कुछ भी पाप नहीं ” संघ की शाखा में जाने वाला प्रत्येक स्वयंसेवक समाज के समरसता के लिए तत्पर है।
आपने आव्हान किया कि यह वर्ष छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्यारोहण के 350 वें वर्ष को समर्पित है, वर्ष पर्यन्त शिवाजी महाराज के राज्य कौशल, शौर्य और पराक्रम को स्मरण कराने वाले कार्यक्रम होना चाहिए। इस वर्ष महावीर स्वामी जी के 2550 वें निर्वाण वर्ष एवं आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द सरस्वती जी का 200 वां जन्म वर्ष मनाया जाना है।
समाज में राष्ट्र विरोधी शक्तियाँ समय समय पर नकारात्मक विमर्श स्थापित करने के षड्यंत्र में लगी रहती है आम समाज के वयक्ति का भी कर्तव्य बन जाता है कि संचार के नव माध्यमों से ऐसे कुत्सित प्रयास विफल करे।
विषय को आगे बढाते हुए आपने कहा कि भारत में मातृशक्ति का इतिहास बहुत गौरवमयी रहा है, आवश्यकता पड़ने पर सदैव उन्होंने समाज को मार्गदर्शन प्रदान करने के साथ अपने प्राणों को भी आहुत करने में संकोच नहीं किया। वर्तमान में विधर्मियों द्वारा बहन- बेटियों को निशाना बना कर अनेक षड्यंत्र रचे जा रहे हैं तो मातृशक्ति का भी कर्तव्य बनता है कि समाज की बेटियों को जीजा माता और मणिकर्णिका के शौर्य और तेज़ से परिचित कराये ताकि कोई मलेच्छ उन्हें भ्रमित न कर पाए।
प्रकट कार्यक्रम में शिविरार्थियों ने वर्ग में सीखे गये दंड संचालन,यष्टि,नियुद्ध, पिरामिड, घोष, सामुहिक समता आदि का प्रदर्शन किया। समापन पर बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक एवं मातृशक्ति उपस्थित रही।