पंजाब केसरी महाराजा रणजीत सिंह के बलिदान दिवस पर नमन

पंजाब केसरी महाराजा रणजीत सिंह ऐसे प्रथम वीर योद्धा थे जिन्होंने अपने शौर्य एवं कूटनीति से उत्तर से होने वाले आक्रमणों को रोका ही नहीं वरन उल्टे इन्हीं दर्रे से होकर हिंदू कुश और अफगानिस्तान तक अपने राज्य की स्थापना की। उनके साम्राज्य का एक सिरा तिब्बत और दूसरा शिकारपुर सिंध तक तीसरा सुलेमान पर्वत तक और चौथा सिरा सतलज नदी तक था। अंग्रेजों का भारत के अधिकांश भाग पर अपना कब्जा था। किंतु उनमें इतनी शक्ति नहीं थी कि महाराजा रणजीत सिंह के रहते हुए वह पंजाब की ओर आंख उठाकर देख सकते अतः उन्होंने पंजाब केसरी के साथ मित्रता बनाए रखने में ही अपना हित समझा।

पिता के गुजर जाने के बाद 10 वर्ष की अवस्था में उन्होंने अपने दादा चढतसिंह घुड़सवारी का अभ्यास किया था। भले ही उन्हें किताबी ज्ञान प्राप्त नहीं हुआ किंतु रण कौशल कूटनीति प्रशासन व्यवस्था एवं व्यवहार की विधाओं से वे पूरी तरह कुशल थे। कूटनीति में उनकी तुलना चाणक्य और कौटिल्य तथा शिवाजी से की जाती है।

18 वर्ष की आयु में एक रात चलते कुछ नौजवानों को लेकर वे लाहौर के समन बुर्ज के पास जा पहुंचे और लाहौर के शासक आलम शाह जमात को ललकारा – \”ओ अहमद शाह के पोते और चढत सिंह के पोते के दो हाथ देख यह सिंह गर्जना कोई हंसी मजाक नहीं था बल्कि उदय के संकल्प की आवाज थी। मात्र 18 वर्ष की आयु में लाहौर पर अपना अधिकार कर लिया। इसके 40 वर्ष बाद 27 जून 1839 को उनकी अर्थी लाहौर किले से बाहर निकली।

पूरा पंजाब 12 छोटे-छोटे भागों में बटा था जो आपस में लड़ते झगड़ते रहते थे इनकी आपसी फूट के कारण विदेशियों को पंजाब पर आक्रमण करने का साहस होता था। महाराजा रंजीत सिंह ने इस फूट से होने वाले परिणामों को भलीभांति समझते हुए पंजाब को एकता के सूत्र में बांधने का काम किया। उन्होंने 12 मित्तलों के शासकों को हराकर अपनी मित्तल में शामिल किया गया और संपूर्ण पंजाब एक पताका एक निशान और एक विधान की स्थापना की। अपने शौर्य सैन्य संगठन और कूटनीति के बल पर शत्रु की सभी चालो को विफल कर पंजाब में एक्य के स्थापन किया

बचपन में चेचक के कारण उनकी एक आंख की रोशनी जाती रही। उनके चेचक के दागों से भरे और एक आंख वाले चेहरे में कोई विशेष आकर्षण न था। लेकिन उन जैसा वीर योद्धा भला अपने रंग रूप की चिंता क्यों करने लगा। एक प्रसंग था एक बार महाराज की कुरूपता की ओर संकेत करते हुए उनकी एक रूपवती पत्नी ने मजाक में पूछा – \”महाराज, जब भगवान सौंदर्य बांट रहे थे तब आप कहां थे?\” महाराज ने तुरंत उत्तर दिया- \”तब मेरे बदले रूप की भीख मांगने भगवान के पास तुम पहुंच गई थी और मैं अपने लिए एक साम्राज्य की स्थापना की चिंता में डूबा हुआ था।\” साहस, शौर्य, योग्यता एवं अन्य गुणों ने किसी प्रकार उनके चेहरे की कुरूपता को ढक लिया था। एक बार गवर्नर जनरल ने महाराज के एक सरदार से पूछा- तुम्हारे राणा की कौन सी आंख खराब है? उत्तर में सरदार बोला- यह कोई नहीं जानता, क्योंकि किसी ने इतना साहस किसी में इतना साहस है, कि महाराज की ओर आंख उठाकर भी देख सकें। एक अंग्रेज इतिहासकार ने लिखा- उनके मुख पर तेज था कि देखने वाले के ह्रदय पर उनकी वीरता की धाक जम जाती थी। महाराज की सफेद दाढ़ी उनकी नाभि तक पहुंचती थी जिससे चेहरे चेहरा भरा हुआ नजर आता था उनका शरीर चुस्त और फुर्तीला था।

महाराज बहुत सरल जीवन व्यतीत करते थे मंत्री से लेकर घर के साधारण नौकर तक हर कोई बिना किसी भय के उनसे बात कर सकते थे। स्मरण शक्ति इतनी तीव्र थी कि साधारण सेवकों तक के नाम याद रखते थे। अवसर के अनुसार बड़ों के साथ बड़े और छोटों के साथ छोटे बन जाते थे दुखियों की प्रार्थना वे स्वयं सुनते थे उनका साहस बढ़ाते थे और हर तरह से मदद करते थे इसी कारण लोकप्रिय थे।

कोहिनूर हीरा अफगानिस्तान के शासक शाह सूजा के पास था उसे पुनः स्वदेश लाने के लिए महाराजा रणजीत सिंह कैसे सफल हुए इसका भी रोचक प्रसंग है- 19वीं शताब्दी में शाह सूजा परिस्थितियों से विवश होकर पंजाब आ गया था और लुधियाना में रह रहा था। वह कोहिनूर को सदा अपनी पगड़ी के भीतर रखता था। महाराज ने उसके साथ मित्रता पैदा कर ली थी। दोनों पर परस्पर पगड़ी बदलने को तैयार हो गए। महाराज प्रखर बुद्धि के तो थे ही उन्होंने ऐसी स्थिति पैदा कर दी की शाह शुजा को एक क्षण के लिए कुछ सोचने विचारने का अवसर न मिल सका परिणाम स्वरुप वह प्राचीन बहुमूल्य हीरा पुनः स्वदेश लौटा।

एक बार एक वृद्धा को 1 बोरा गेहूं सहायता से दिया गया वह बोझ उठाना उसके लिए कठिन था वह बाजार में अपनी सहायता के लिए इधर उधर देख रही थी की वेशभूषा बदले महाराज रणजीतसिंह वहां आ पहुंचे उन्होंने बुढ़िया का बोरा उठा लिया और उसके घर पहुंचा आए जब बुढ़िया ने उन्हें कुछ मजदूरी देने की बातचीत कर रही थी कि पास खड़े एक व्यक्ति ने महाराज को पहचान लिया। बुढिया यह जानकर चकित रह गई कि उसका बोझ उठाने वाला भी कोई सामान्य मजदूर नहीं बल्कि उसका अन्नदाता ही था।

महाराजा रणजीत सिंह ने अपनी सेना को पश्चिमी ढंग से सुसज्जित किया था। अपने सैनिकों को आधुनिक अस्त्र-शस्त्रों का उपयोग सिखाने के लिए कई अंग्रेज और फ्रांसीसी अधिकारी नियुक्त किए थे। उनके सेना में 50000 पैदल, 10,000 घुड़सवार, 400 तोपे और 200 जम्बुरे थे। सेना में बिना जातीय भेदभाव के केवल इमानदारी, योग्यता और वफादारी के आधार पर व्यक्ति को नियुक्त किया जाता था। सेना में विदेशी लोग भी थे सेना में फ्रांसीसी अधिकारी भी था जो कभी नेपोलियन के नेतृत्व में भी काम कर चुका था। सैनिकों को चाहे वे भारतीय हो चाहे विदेशी गौ मांस खाने, तंबाकू पीने और अन्य किसी प्रकार की नशा खाने की अनुमति नहीं थी। उनका मुख्य सेनापति डोगरा और हरी सिंह था। एक बार महाराज को समाचार मिला कि सीमा प्रांत में कबाइलियो के दल पेशावर तक आ पहुंचे हैं तथा उन्होंने उस क्षेत्र में लूटमार का बाजार गर्म कर रखा है। उन्होंने अपने सेनापति को बुलाया और पूछा कि पेशावर तक कबाईली सैनिक कैसे पहुंचने में सफल हो गए सेनापति ने जवाब दिया – महाराज पेशावर में हमारे सैनिकों की संख्या केवल 150 थी और कबायली 1500 थे इसलिए हम उन्हें खदेड़ नहीं सके आक्रोश में महाराज का चेहरा तमतमा उठा तुरंत में घोड़े पर सवार हुए और केवल 150 सिपाही लेकर लुटेरे कबाइलियो पर जबरदस्त आक्रमण कर दिया। महाराज के भाले के सामने वे लुटेरे ठहर ना सके और प्राण बचाकर भागने में सफल हुए। तब महाराज ने पुनः सेनापति को बुलाया और और कहां – \”मूर्ख क्या तुम्हें पता नहीं कि एक सिख सवा लाख के बराबर होता है प्रमाण देख लिया ना तुमने।\”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

gaziantep escort bayangaziantep escortkayseri escortbakırköy escort şişli escort aksaray escort arnavutköy escort ataköy escort avcılar escort avcılar türbanlı escort avrupa yakası escort bağcılar escort bahçelievler escort bahçeşehir escort bakırköy escort başakşehir escort bayrampaşa escort beşiktaş escort beykent escort beylikdüzü escort beylikdüzü türbanlı escort beyoğlu escort büyükçekmece escort cevizlibağ escort çapa escort çatalca escort esenler escort esenyurt escort esenyurt türbanlı escort etiler escort eyüp escort fatih escort fındıkzade escort florya escort gaziosmanpaşa escort güneşli escort güngören escort halkalı escort ikitelli escort istanbul escort kağıthane escort kayaşehir escort küçükçekmece escort mecidiyeköy escort merter escort nişantaşı escort sarıyer escort sefaköy escort silivri escort sultangazi escort suriyeli escort şirinevler escort şişli escort taksim escort topkapı escort yenibosna escort zeytinburnu escort