राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा, बेंगलुरु

संघ शताब्दी के उपलक्ष्य में संकल्प
 
विश्व शांति और समृद्धि के लिए समरस और संगठित हिन्दू समाज का निर्माण
 
अनंत काल से ही हिंदू समाज एक प्रदीर्घ और अविस्मरणीय यात्रा में साधनारत रहा है, जिसका उद्देश्य मानव एकता और विश्व कल्याण हैI तेजस्वी मातृशक्ति सहित संतों, धर्माचार्यों, तथा महापुरुषों के आशीर्वाद एवं कर्तृत्व के कारण हमारा राष्ट्र कई प्रकार के उतार–चढ़ावों के उपरांत भी निरंतर आगे बढ रहा है।
 
काल के प्रवाह में राष्ट्र जीवन आए अनेक दोषों को दूर कर एक संगठित, चारित्र्यसंपन्न और सामर्थ्यवान राष्ट्र के रूप में भारत को परम वैभव तक ले जाने हेतु परम पूजनीय डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने सन 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य प्रारम्भ किया। संघकार्य का बीजारोपण करते हुए, डॉ हेडगेवार ने दैनिक शाखा के रूप में व्यक्ति निर्माण की एक अनूठी कार्यपद्धति विकसित की, जो हमारी सनातन परंपराओं व मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्र निर्माण का नि:स्वार्थ तप बन गया। डॉ उनके के जीवनकाल में ही इस कार्य का एक राष्ट्रव्यापी स्वरूप विकसित हो गयाI द्वितीय सरसंघचालक पूजनीय श्री गुरुजी (माधव सदाशिव गोलवलकर) के दूरदर्शी नेतृत्व में राष्ट्रीय जीवन के विविध क्षेत्रों में शाश्वत चिंतन के प्रकाश में कालसुसंगत युगानुकूल रचनाओं के निर्माण की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई।
 
सौ वर्ष की इस यात्रा में संघ ने दैनिक शाखा द्वारा अर्जित संस्कारों से समाज का अटूट विश्वास और स्नेह प्राप्त किया। इस कालखंड में संघ के स्वयंसेवकों ने प्रेम और आत्मीयता के बल पर मान–अपमान और राग–द्वेष से ऊपर उठ कर सबको साथ लेकर चलने का प्रयास किया। संघकार्य की शताब्दी के अवसर पर हमारा कर्त्तव्य है कि पूज्य संत और समाज की सज्जन शक्ति जिनका आशीर्वाद और सहयोग हर परिस्थिति में हमारा संबल बना, जीवन समर्पित करने वाले निःस्वार्थ कार्यकर्ता और मौन साधना में रत स्वयंसेवक परिवारों का स्मरण करें।
 
अपनी प्राचीन संस्कृति और समृद्ध परंपराओं के चलते सौहार्दपूर्ण विश्व का निर्माण करने के लिए भारत के पास अनुभवजनित ज्ञान उपलब्ध है। हमारा चिंतन विभेदकारी और आत्मघाती प्रवृत्तियों से मनुष्य को सुरक्षित रखते हुए चराचर जगत में एकत्व की भावना तथा शांति सुनिश्चित करता है।
 
संघ का यह मानना है कि धर्म के अधिष्ठान पर आत्मविश्वास से परिपूर्ण संगठित सामूहिक जीवन के आधार पर ही हिंदू समाज अपने वैश्विक दायित्व का निर्वाह प्रभावी रूप से कर सकेगा। अतः हमारा कर्त्तव्य है कि सभी प्रकार के भेंदों को नकारने वाला समरसता युक्त आचरण , पर्यावरणपूरक जीवनशैली पर आधारित मूल्याधिष्ठित परिवार, ‘स्व’बोध से ओतप्रोत और नागरिक कर्तव्यों के लिए प्रतिबद्ध समाज, का चित्र खड़ा करने के लिए हम सब संकल्प करते हैं । हम इसके आधार पर समाज के सब प्रश्नों का समाधान, चुनौतियों का उत्तर देते हुए भौतिक समृद्धि एवं आध्यात्मिकता से परिपूर्ण समर्थ राष्ट्रजीवन खड़ा कर सकेंगे।
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा सज्जन शक्ति के नेतृत्व में संपूर्ण समाज को साथ लेकर विश्व के सम्मुख उदाहरण प्रस्तुत करने वाला समरस और संगठित भारत का निर्माण करने हेतु संकल्प करती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *