उज्जैन मातृभूमि व हिंदुत्व के रक्षक मारवाड़ के वीर सपूत व सेनापति वीर दुर्गादासजी राठौड़, जिन्होंने जीवन के अंतिम समय में सन्यासी रहते हुए उज्जैन में देह त्यागी, उन वीर शिरोमणि के 303वें महाप्रयाण दिवस पर क्षिप्रातट स्थित वीर दुर्गादासजी की छत्री पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मालवा प्रान्त के प्रान्त कार्यवाह श्री शम्भूप्रसादजी गिरि एवं प्रान्त कुटुम्ब प्रबोधन संयोजक श्री विजयजी केवलिया का उद्बोधन प्राप्त हुआ। इस अवसर पर केशवनगर सहकार्यवाह श्री आशीषजी नाटानी (संगठन सचिव, मालवाप्रान्त भारतीय इतिहास संकलन समिति) एवं नगर कार्यकारिणी बन्धु व स्वयंसेवक एवं समाजजन उपस्थित रहे।
ध्यातव्य है कि वीर दुर्गादास जी राठौड़ (राठौर) एक महान योद्धा थे जिन्होंने अपनी मातृभूमि मारवाड़ (जोधपुर) को मुगलों के आधिपत्य से मुक्त करवाया और हिन्दू धर्म की रक्षा की। वीर दुर्गादासजी मारवाड़ के राजकुमार अजीतसिंह को औरंगज़ेब के चंगुल से मुक्त करवाकर दिल्ली से मारवाड़ लाये और लगातार कई वर्षों तक मुगलों से संघर्ष कर अजीतसिंह को मारवाड़ का राजा बनवाया। उन्हें मारवाड़ का रक्षक और मारवाड़ उद्धारक भी कहा जाता है। उनकी वीरता, कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी के किस्से न सिर्फ मारवाड़ में बल्कि पूरे राजस्थान में गाए जाते हैं। आज भी राजस्थान में कहा जाता है-
‘‘माई ऐहड़ौ पूत जण, जेहड़ौ दुर्गादास‘‘
अर्थात् हे माता! यदि किसी पुत्र को जन्म देना तो दुर्गादास जैसे पुत्र को ही जन्म देना।