मीराबाई चानू के धर्मनिष्ठ हिंदू होने का मतलब

\"\"

पांडव जब अपना 12 वर्षीय वनवास भोग रहे थे तो इस अवसर का सदुपयोग उन्होंने भारत भ्रमण में किया। अपनी यात्राओं के क्रम में वो पूर्वोत्तर भारत भी गये थे और वहां नागा-प्रदेश और मणिपुर की यात्रा की थी।

मणिपुर में पांडव वीर अर्जुन ने वहां की राजकुमारी चित्रांगदा से विवाह किया था और उन दोनों को बभ्रुवाहन नाम का एक पुत्र हुआ जो बड़ा पराक्रमी था।

अर्जुन पुत्र बभ्रुवाहन बाद में कई वर्षों तक मणिपुर के शासक रहे। पांडववंशी शासक के वहां राज करने का प्रभाव भी स्पष्ट दिखता है, मणिपुरी भाषा साहित्य की दृष्टि से बेहद प्रभावी मानी जाती है, इतना ही नहीं मणिपुर की नृत्य शैली, वहां की सामाजिक व्यवस्था और महिला प्रधानता भी बेहद प्रभावित करती हैं, प्राकृतिक सौंदर्य तो खैर उसके पास है ही।

मणिपुर पूर्वोत्तर में वैष्णव पंथ प्रसार का भी बड़ा केंद्र रहा है, वहां के एक जिले का नाम विष्णुपुर है जहाँ भगवान विष्णु का छः सौ साल पुराना मंदिर है। इम्फाल में गोविन्द देव जी का एक विशाल मंदिर है जहाँ हर वर्ष भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

गौरवान्वित करने वाली इतनी चीजों से भरा मणिपुर भी दुर्भाग्य से उन्हीं संकटों से घिरा है जिससे आज पूरा का पूरा पूर्वोत्तर जूझ रहा है। मणिपुर भौगोलिक रूप से पहाड़ी तथा मैदानी दो हिस्सों में बंटा है और संविधान के कुछ प्रावधानों के अनुसार पहाड़ी लोगों को मैदानी लोगों की तुलना में कुछ विशेष सुविधायें प्राप्त हैं इसलिये राष्ट्रविरोधी शक्तियों ने इस बात को आधार बना लिया और वहां मैदानी और पहाड़ी का संघर्ष खड़ा कर दिया। फिर इनके शह पर पहाड़ी इलाकों में जमकर मतांतरण करवाया गया। जब कनवर्टेड की संख्या बढ़ गई तो भाषा विवाद पैदा कर दिया।

मैदानी लोगों की इच्छा थी कि राज्यभाषा के रूप में मणिपुरी स्वीकृत की जाये वहीं कन्वर्ट हो चुके लोगों ने ये स्थान अंग्रेजी को देने की मांग उठा दी। जिसके कारण संघर्ष बढ़ता ही चला गया। जब पहाड़ी लोगों का मतांतरण कार्य पूरा हो गया फिर उनका रुख मैदानी इलाकों की ओर हुआ।

सदियों से हिन्दू धर्म के वैष्णव पंथ को मान रहे भोले-भाले लोगों को ये सिखाया कि तुम लोग हिन्दू नहीं हो बल्कि मैतेई हो जो हिन्दू धर्म से न सिर्फ अलग है बल्कि अपनी अलग परंपरा और संस्कृति भी रखता है, हिन्दू हमलावरों ने तुम पर हिन्दू धर्म थोप रखा है। अपने इस जहर को फैलाने के लिये इन्होनें \’मैतेई मरुप\’ नाम से एक संस्था बना रखी है जो दिन-रात हिन्दू विश्वासों पर आधात करती है तथा वहां के वैष्णवों को हिन्दू धर्म के खिलाफ भड़काती है। इस संस्था के उकसावे पर वहां 60 के दशक में भगवत गीता जलाने की भी घटनायें हुई थी। राष्ट्रवादी विचार वाले लोग मणिपुर के समस्याओं को न तो समय रहते पहचान पाये और न ही उसके लिये कुछ करने को आगे आ सके इसलिये \’मैतेई मरुप\’ का जहर मणिपुर में निरंतर फैलता ही चला गया जिसकी परिणति अलगाववाद और भारत-विरोध के रूप में सामने आया। मणिपुर पूर्वोत्तर का सबसे अशांत प्रदेश रहा है जहाँ आज कम से कम दो दर्जन आतंकी संगठन सक्रिय हैं, यहाँ शायद ही कोई बैंक शाखा होगी जिसे लूटा न गया हो, ये उग्रवादी संगठन हर विकास कार्य में रोड़ा डालतें हैं और उद्योग-धंधे लगने नहीं देते।

मणिपुर की समस्याओं का अंत यहीं नहीं है, नागालैंड में सक्रिय एन० एस० सी० एन० का उग्रवादी नेता मुइवा मणिपुर का ही रहने वाला है जिसे पश्चिमी देशों ने खड़ा किया था। एन० एस० सी० एन० की गतिविधियों के चलते आये दिन मणिपुर में आर्थिक नाकेबंदी रहती है जिसके कारण दैनिक जरूरतों के सामानों के दाम आसमान छूते रहतें हैं, पूर्वोत्तर के बाकी राज्यों की तरह मणिपुर भी बांग्लादेश से हो रहे निरंतर घुसपैठ से अभिशप्त है जिनकी कुल आबादी आज मणिपुर में 25 प्रतिशत से भी अधिक हो चुकी है। मणिपुर के अधिकांश उपजाऊ जमीनें अब इन घुसपैठियों के कब्जे में है। अवैध आव्रजन के चलते यहाँ आई०एस०आई० भी अपना व्यापक आधार बना चुका है।

कभी द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण मणिपुर में स्यमंतक मणि की खोज करते हुए आये थे और जब यहाँ से गये थे तो इस प्रदेश से वैष्णव भक्ति धारा बह निकली थी।

अब कृष्ण के राज्य में जन्में एक शख्स ने पूरब के इस स्वर्ग में 2017 में जब कमल खिलाया तो काफी चीजें वहां बदलने लगी है।

अभी इसी मणिपुर के नोंगपेक काकचिंग गांव में जन्मी बिटिया ने भारत को जब ओलंपिक में पदक दिलाया तो मुझे सबसे खुशी इसलिए हुई क्योंकि कि ये बच्ची सनातन हिंदू संस्कारों से पूर्णत: आबद्ध है क्योंकि ये बच्ची भी उसी \”मैतेई\” समाज से है जिसे आज अहिंदू घोषित करने की मुहिम चल रही है और उस प्रदेश से है जो मतांतरण, अलगाववाद, आतंकवाद और बंगलादेश से हो रहे अवैध आव्रजन के चलते लगातार निशाने पर है।

हनुमान चालीसा पढ़ने वाली, पूजा की थाली सजाकर दुनिया के सामने आने वाली मीराबाई का पदक जीतना तो गौरव है ही है पर उससे भी अधिक गौरव इस बात का है कि वो मणिपुर के विघटनकारी ताकतों का भी उत्तर है।

पूर्व के इस राज्य में मद्धिम पड़ चुकी कृष्ण भक्ति का सूर्योदय कर चुकी है अपनी \”मीरा\”।

इसलिए आगे आकर इसका अभिनंदन कीजिए। गर्व कीजिए कि वो सनातन की प्रचारिका और प्रतिनिधि है

अभिजीत सिंह (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार है)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

gaziantep escort bayangaziantep escortkayseri escortbakırköy escort şişli escort aksaray escort arnavutköy escort ataköy escort avcılar escort avcılar türbanlı escort avrupa yakası escort bağcılar escort bahçelievler escort bahçeşehir escort bakırköy escort başakşehir escort bayrampaşa escort beşiktaş escort beykent escort beylikdüzü escort beylikdüzü türbanlı escort beyoğlu escort büyükçekmece escort cevizlibağ escort çapa escort çatalca escort esenler escort esenyurt escort esenyurt türbanlı escort etiler escort eyüp escort fatih escort fındıkzade escort florya escort gaziosmanpaşa escort güneşli escort güngören escort halkalı escort ikitelli escort istanbul escort kağıthane escort kayaşehir escort küçükçekmece escort mecidiyeköy escort merter escort nişantaşı escort sarıyer escort sefaköy escort silivri escort sultangazi escort suriyeli escort şirinevler escort şişli escort taksim escort topkapı escort yenibosna escort zeytinburnu escort