हिंदू हित यानी राष्ट्रहित हमारी प्राथमिकता : मोहन भागवत

बुधवार देर शाम श्रीरामनगरम, जीवा कैंप्स में श्री भागवत ने लोगों से आह्वान किया कि आप ऐसी किसी भी चीज़ में शामिल नहीं होंगे, जो हमें लड़ने के लिए उकसाती हो। हम किसी ऐसी बात में भी नहीं जाएंगे, जो अतातायी बनाने या डरपोक बनाने वाली हो। हम स्वाभिमान से जिएंगे और सृष्टि का पालन पोषण करेंगे। इस प्रकार का जीवन जीने का संकल्प हमारा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरा अपना हित, मेरी जाति, परिवार, भाषा, प्रांत और पंथ का हित यह सब हमेशा दूसरे नंबर पर हैं। पहला नंबर हिन्दू हित यानी राष्ट्र हित।

सरसंघचालक मोहन भागवत जी

‘अगर हमें समाप्त होना होता तो 1000 साल में हो जाते’
उन्होंने कहा, ‘हमारे पास ऐसा सामर्थ्य है कि हमारे सामने खड़े होने की ताकत किसी में नहीं है। हमें समाप्त करने का बहुत प्रयास किया गया। अगर हमें समाप्त होना होता तो हम पिछले 1000 साल में हो जाते लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जो हमको नष्ट करने पर तुले थे उनके पैर खोखले हो रहे हैं। हम वैसे के वैसे हैं। आज भी भारत में 5000 साल पुराना सनातम धर्म भारत में वैसे का वैसा देखने को मिलता है।’

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