धार के रिंगनोद गाँव की गुडी पडवा

धार का रिंगनोद, जनसंख्या लगभग आठ से दस हजार। रिंगनोद जनजाति बहुल है लेकिन लगभग 35 जाति -बिरादरी रिंगनोद में निवास करती है, लेकिन समरसता ऐसी कि क्या ही कहे….

कल वर्ष प्रतिपदा थी, सो सभी घरों पर भगवा पताका लहरा रही थी,विद्युत सज्जा और नववर्ष की बधाई के बैनर लगे हुए थे। गुड़ी पड़वा की सुबह ग्रामीणों ने अलग -अलग 12 स्थानों पर समूहों में भगवान भास्कर को अर्घ्य प्रदान किया।

सूर्यनारायण को अर्घ्य देने के पश्चात मंदिरों में भव्य आरतियों का आयोजन हुआ, आरती के बाद ग्रामीणों ने अदभुत आतिशबाजी की।

इन सबके बाद, दोपहर में समरसता यज्ञ का आयोजन किया गया और दोपहर में समरसता यज्ञ का।

रिंगनोद में सभीं त्यौहार इसी तरह मनते हैं,रिंगनोद हम सभी को अपने कर्तृत्व से संदेश देता है।

रिंगनोद एक जाग्रत गांव है सो वहां इस स्तर का बड़ा आयोजन होना ही है, लेकिन इस बरस की गुड़ी पड़वा तों देश में ही अद्भुत मनी, जैसी कभी नहीं देखी, वैसी…….

1 दिसंबर को मंदिरों पर जाकर वर्षभर के लिए शुभ संकल्प करने वालें, आज कर रहें थे। 1 दिसंबर को चल -अचल संपत्ति क्रय करने वालों ने आज की है। आज पकवान बन रहें हैं, बड़ो के पांव पड़े जा रहें हैं, उत्सव हो रहें हैं और भी न जाने क्या -क्या हो रहा है। सब और शुभ ही शुभ…..

यह भारत का अमृतकाल है। इस अमृतकाल में भारत को अपने “स्व” की ओर लौटना है और भारत इतनी द्रुत गति से लौट रहा….यह अतीव आनंददायक है।

ग्रिगोरियन कैलेंडर को वैश्विक करने हेतु, पश्चिम वालों ने कितने ही षड्यंत्र रचे, जिन्होंने उनके कैलेंडर को नहीं माना उनके लिए अप्रैल फूल जैसा षड्यंत्र भी रचा। लेकिन अब जब भारत का पंचाग वैश्विक होने की ओर अग्रसर हो रहा है, तब भारत कोई षड्यंत्र नहीं रच रहा, चूंकि भारत का पंचांग पूर्णतः खगोलीय घटनाओं पर आधारित हैं, पूर्णतः वैज्ञानिक है, इसलिए भारत के पंचांग का वैश्विक होना तो स्वाभाविक ही है, भारत दुनिया को जीतेगा, लेकिन न सामरिक शक्ति से, न ही बाजार तंत्र से, न ही षड्यंत्र से…..भारत दुनिया को अपने स्वतंत्र भाव से जीतेगा।

और इस वर्ष रामजी से वही कामना जो गुप्त जी ने की थी…….

“भगवान! पूरे विश्व में गूंजे हमारी भारती!!!”

~अमन व्यास ✍️

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