रामलला के विराजमान होने के बाद मनाई गई पहली दीपावली

इस बार अयोध्या की दीपावली विशेष थी | 500 वर्षों बाद यह पहला अवसर था , जब दीपावली पर भगवान रामलल्ला अपने गर्भ गृह में विराजमान थे | इस वर्ष श्रीराम मंदिर में 30 व 31अक्टूबर को दो दिनों तक विशेष उत्सव का माहौल रहा | रामलला को विशेष श्रृंगार कर आकर्षक पोशाक पहनाई गई ,विविध भोग लगाए गए और विशेष आरती व पूजन के कार्यक्रम सम्पन्न हुए | इस हेतु पहले श्रीराम मंदिर परिसर को पूरी भव्यता के साथ सजाया गया था | साथ ही मंदिर भवन मे विविध प्रकार के फूलो , प्रकाश व्यवस्था व रंगोली का मनमोहक द्रश्य दिखाई दिया | मंदिर के गर्भगृह और आसपास, मंदिर ट्रस्ट की ओर से बनवाए गए 300 विशेष दीपक प्रज्ज्वलित किए गए , जबकि 70 एकड़ मंदिर परिसर में सरसों के तेल के दीपक प्रज्ज्वलित किए गए | मंदिर ट्रस्ट के द्वारा भव्य राम मंदिर में पहली दीपावली अद्भुत और अविस्मरणीय बनाने की पूरी तैयारी की गई थी |
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस साल फिर एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया | सरयु के तट पर 28 लाख दीये जलाए गए | विशेष बात यह थी की इस बार इको फ्रेंडली दीयों से राम मंदिर को प्रकाशित किया गया | अयोध्या में जलाए गए दीपों को विशेष रूप से इस तरह तैयार किया गया था कि मंदिर प्रांगण में या मंदिर की दीवारों पर किसी भी तरह का निशान नहीं पड़े और साथ ही, ये दीप लंबे समय तक जलते रहें | सरयु नदी के 55 घाटों पर दीप जलाए गए, जिसके लिए 30,000 से ज्यादा स्वयंसेवी इस कार्य में लगे | 80,000 दीयों से स्वास्तिक का चिन्ह बनाया गया, जो दीपोत्सव के मुख्य आकर्षणों में से एक रहा |
मंदिर ट्रस्ट दिवाली पर अयोध्या को ना केवल भक्ति का केंद्र बनाना चाहता है, बल्कि प्रयास है कि यह स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी एक अच्छा उदाहरण बने और समाज को सकारात्मक संदेश देता रहे |
विश्व मालवा केंद्र इंदौर

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