‘स्व’ पर आधारित जीवनदृष्टि को पुनः स्थापित करने हेतु प्रतिबद्ध हों – दत्तात्रेय होसबाले

स्वाधीनता का अमृत महोत्सव – स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर

कर्णावती.
भारत स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मना रहा है. स्वतंत्रता आंदोलन सार्वदेशिक और सर्वसमावेशी था. स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविंद आदि आध्यात्मिक नेतृत्व ने देश के जन और जननायकों को ब्रिटिश अधिसत्ता के विरुद्ध सुदीर्घ प्रतिरोध हेतु प्रेरित किया. महिलाओं, जनजातीय समाज तथा कला, संस्कृति, साहित्य, विज्ञान सहित राष्ट्रजीवन के सभी आयामों में स्वाधीनता की चेतना जागृत हुई. लाल-बाल-पाल, महात्मा गाँधी, वीर सावरकर, नेताजी-सुभाषचंद्र बोस, चंद्रशेखर आज़ाद, भगतसिंह, वेळू नाचियार, रानी गाईदिन्ल्यू आदि ज्ञात-अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों ने आत्म-सम्मान और राष्ट्र-भाव की भावना को और प्रबल किया. प्रखर देशभक्त डॉ. हेडगेवार के नेतृत्व में स्वयंसेवकों ने भी अपनी भूमिका का निर्वहन किया.

कर्णावती में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक के अवसर पर स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के निमित्त सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने एक वक्तव्य जारी किया.
उन्होंने वक्तव्य में कहा कि यह अवसर शताब्दियों तक चले ऐतिहासिक स्वतंत्रता संग्राम का प्रतिफल और हमारे वीर सेनानियों के त्याग एवं समर्पण का उज्ज्वल प्रतीक है. स्वतंत्रता आन्दोलन की सबसे बड़ी विशेषता थी कि यह केवल राजनैतिक नहीं, अपितु राष्ट्रजीवन के सभी आयामों तथा समाज के सभी वर्गों के सहभाग से हुआ सामाजिक-सांस्कृतिक आन्दोलन था. इस स्वतंत्रता आन्दोलन को राष्ट्र के मूल अधिष्ठान यानि राष्ट्रीय “स्व” को उजागर करने के निरंतर प्रयास के रूप में देखना प्रासंगिक होगा.
सरकार्यवाह जी ने अपने वक्तव्य में कहा – अंग्रेजों ने भारतीयों के एकत्व की मूल भावना पर आघात करके मातृभूमि के साथ उनके भावनात्मक एवं आध्यात्मिक संबंधों को दुर्बल करने का षड्यंत्र किया. उन्होंने हमारी स्वदेशी अर्थव्यवस्था, राजनैतिक व्यवस्था, आस्था-विश्वास और शिक्षा प्रणाली पर प्रहार कर स्व-आधारित तंत्र को सदा के लिए विनष्ट करने का भी प्रयास किया.

भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में कतिपय कारणों से ‘स्व’ की प्रेरणा क्रमशः क्षीण होते जाने से देश को विभाजन की विभीषिका झेलनी पडी. स्वतन्त्रता के पश्चात् इस स्व की भावना को राष्ट्र-जीवन के सभी क्षेत्रों में अभिव्यक्त करने का सुअवसर कितना साध्य हो पाया, इसका आकलन करने का भी यह उचित समय है.

उन्होंने कहा कि स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ भारतीय समाज को एक राष्ट्र के रूप में सूत्रबद्ध रखने और राष्ट्र को भविष्य के संकटों से सुरक्षित रखने के लिए ‘स्व’ पर आधारित जीवनदृष्टि को ढृढ़ संकल्प के साथ पुनः स्थापित करने की दिशा में पूर्ण प्रतिबद्ध होने का अवसर उपलब्ध कराती है.

अमृत महोत्सव के अवसर पर यह आवश्यक है कि छात्रों और युवाओं को जोड़ते हुए, भारत-केन्द्रित शिक्षा नीति का प्रभावी क्रियान्वयन करते हुए भारत को एक ज्ञान सम्पन्न समाज के रूप में विकसित और स्थापित किया जाए तथा भारत को विश्वगुरु की भूमिका निभाने के लिए समर्थ बनाया जाए. स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अवसर पर हमें अपने ‘स्व’ के पुनरानुसंधान का संकल्प लेना चाहिए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

gaziantep escort bayangaziantep escortkayseri escortbakırköy escort şişli escort aksaray escort arnavutköy escort ataköy escort avcılar escort avcılar türbanlı escort avrupa yakası escort bağcılar escort bahçelievler escort bahçeşehir escort bakırköy escort başakşehir escort bayrampaşa escort beşiktaş escort beykent escort beylikdüzü escort beylikdüzü türbanlı escort beyoğlu escort büyükçekmece escort cevizlibağ escort çapa escort çatalca escort esenler escort esenyurt escort esenyurt türbanlı escort etiler escort eyüp escort fatih escort fındıkzade escort florya escort gaziosmanpaşa escort güneşli escort güngören escort halkalı escort ikitelli escort istanbul escort kağıthane escort kayaşehir escort küçükçekmece escort mecidiyeköy escort merter escort nişantaşı escort sarıyer escort sefaköy escort silivri escort sultangazi escort suriyeli escort şirinevler escort şişli escort taksim escort topkapı escort yenibosna escort zeytinburnu escort