
यहां की एक महिला डॉक्टर की कहानी पढ़कर आपको उसे सलाम करने का मन करेगा। सिविल हॉस्पिटल की 58 वर्षीय नर्स उर्मिला पांचाल का हंसता-खेलता परिवार इन दिनों दर्द की आह से कराह रहा है। कुछ ही दिनों पहले उनके कोरोनाग्रस्त पति की मौत हो गई। तब उनके सामने दुविधा थी कि, लाश का अंतिम संस्कार कौन करे? क्योंकि घर के सभी लोग कोरोना की चपेट में आ गए थे। ऐसे में उर्मिला बेन ने हॉस्पिटल के एसआई जैमिन भाई से बात की। जिसके बाद जैमिन भाई समेत पांच दोस्तों ने अंत्येष्टि क्रिया कराई।
उर्मिला कहती हैं- मेरी इच्छा थी कि पति का अंतिम संस्कार देखूं। तब वीडियो कॉल से अंतिम संस्कार की पूरी विधि देखी। मगर, मैंने पति की इच्छा के बावजूद भी वीआरएस नहीं लिया। मैंने तो जीवन भर मरीजों की सेवा करने का संकल्प ले लिया है, तो भला रिटायरमेंट के बारे में कैसे सोच सकती हूं। मेरे पूरे परिवार की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई, तो मुझे दुख हुआ। लेकिन मैंने तय कि मैं अपनी जिम्मेदारी निभाती रहूंगी। मेरे बेटा-बहू दोनों ही मेडिकल लाइन में हैं। बेटी कनाडा में रहती है।
बकौल उर्मिला पांचाल, \’\’कई लोग सवाल करते हैं, लेकिन मैं चाहती हूं कि वीआरएस न लूं। इसके लिए मेरा मन नहीं माना। अपने पति की इच्छा उनके जीते-जी पूरी नहीं कर पाई, इसका दु:ख रहेगा। मगर वो भी कहते थे कि कर्तव्य करते रहना चाहिए।