“विनाशपर्व” अंग्रेजों का ‘न्यायपूर्ण’ शासन..?

प्रशांत पोळ ज्ञात इतिहास में भारत पर आक्रांताओं के रूप में आने वालों में शक, हूण,…

सबके लिए प्रेरणास्रोत हैं अटलजी

अश्विनी कुमार चौबे   भारत की इस वीर, पुण्य व प्रतापी भूमि पर 25 दिसंबर के दिन…

राष्ट्रीयता व हिंदुत्व की प्रतिमूर्ति पंडित मदन मोहन मालवीय

पूनम नेगी  देश की भावी पीढ़ी को आधुनिक शिक्षा के साथ सनातन जीवन मूल्यों की आध्यात्मिक…

अब तो आर्यों को बाहर का बताने वाली किताबों को जला दिया जाए

अब जब ऑस्ट्रेलिया के पीटर केवुड शोध टीम की अगुआई करने वाले वैज्ञानिक, जिन्‍होंने तीन देशों…

गोवा मुक्ति आंदोलन और राजाभाऊ महांकाल

पुर्तगाल में एक कहावत आज भी है की “जिसने गोवा देख लिया उसे लिस्बन (पुर्तगाल की…

विजय दिवस की 50वीं वर्षगांठ, भारत ने पाकिस्तान को दी थी करारी शिकस्त

16 दिसम्बर 1971 वही तारीख है जब पाकिस्तान को भारत के हाथों न केवल शर्मनाक शिकस्त…

भारतीय परिप्रेक्ष्य में मानवाधिकार

लोकेंद्र शर्मा उज्जैन पूरे विश्व में औपनिवेशिक अधिकारिता और साम्राज्यवाद को चलाने वाले अमेरिका ब्रिटेन डच…

वे कौन हैं जो CDS बिपिन रावत की मौत पर हँस रहें हैं !!!

नहीं है आपका ख़ून शामिल यहां की मिट्टी में एक तरफ कहते हैं कि ‘सभी का…

सामाजिक समरसता के अग्रदूत : महात्मा ज्योतिबा फुले

महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था. उनकी माता का…

लाचित बरफुकन का व्यक्तित्व शौर्य साहस स्वाभिमान समर्पण और राष्ट्रभक्ति का पर्याय हैं। उन्हें पूर्वोत्तर भारत का “शिवाजी” कहा जाता हैं।

17 वीं शताब्दी में, मुगल साम्राज्य भारतीय उपमहाद्वीप के एक बड़े भूभाग पर प्रभावी था। दक्षिण…