बुद्ध पूर्णिमा

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महात्मा बुद्ध का अवतरण भारतीय उपमहाद्वीप व विश्व की एक विलक्षण घटना है महात्मा बुद्ध का व्यक्तित्व व कृतित्व संसार को एक नए रूप में परिभाषित कर गया।

बुद्ध मानव मात्र को धर्म के केंद्र में स्थापित कर संसार में जीने का नया मार्ग प्रतिपादित कर गए। बुद्ध का धर्म आम सामान्य मानव को गरिमा पूर्ण जीवन प्रदान करता है। बुद्ध का धर्म अखिल ब्रह्मांड की संकल्पना या उसके संचालन की व्यवस्थाओं को व्याख्याओं में प्रतिपादित करने के बजाय मानव के दुखों का निषेध करता दिखाई देता है।

बुद्ध का दर्शन व्यक्ति केंद्रित और व्यक्ति को सामर्थ्यवान, शक्तिशाली बनाने का मार्ग दिखाता है। महात्मा बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग सामाजिक समरसता के साथ मानव विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। बुद्ध का दर्शन अजातशत्रु जैसे राजा को आकर्षित करता है तो मगध की नगर वधुओं को भी मुक्ति का मार्ग दिखाता है। बुद्ध का मार्ग पाली भाषा में सामान्य जन को भी जीवन के यथार्थ से अवगत करवाता है।

महात्मा बुद्ध समाज को एक रूपता देने का प्रयास करते दिखते हैं। जातक कथाओं के रूप में बुद्ध का अवतरण समाज के प्रत्येक वर्ग में होता दिखाई देता है। सामाजिक वर्ग भेद का विरोध करते हुए संसार के हर प्राणी को मुक्ति और उन्नति देते दिखाई देते हैं।

महात्मा बुद्ध व्यक्ति को संदेश देते हैं अप्प दीपो भवः अर्थात स्वयं के दीपक बनो। आपके मार्ग का निर्धारण आप स्वयं ही कर सकते हैं। कोई अन्य कैसे आपका मार्ग दिखा सकता है। आध्यात्मिकता स्वयं से स्वयं के विकास का मार्ग है। आपके विकास को आप ही दिशा दे सकते हैं एवं यह सिद्धांत व्यक्ति को सामर्थ्यवान बनाता दिखता है।

जीवन के विकास के लिए शक्तियों का संचयन अत्यावश्यक है। बुद्ध के अनुसार स्थिर मन, शांत व्यक्तित्व व आनंदित व्यक्ति ही शक्ति का प्रतीक है। आत्मिक आनंद की प्राप्ति सांसारिक वस्तुओं से संभव नहीं वह तो गहन आध्यात्मिक विकास निराकार संरचना के अनुभव आसक्तियों के त्याग से ही हो सकती है।

बुद्ध के जन्म से भारत में नए समाज का उद्भव भी दिखाई देता है। यह समाज आर्थिक उन्नति का समाज था। कृषि व उद्योग आधारित समाज व्यापार के लिए उदयत समाज व आध्यात्मिक रूप से संसार का नेतृत्व करता समाज बुद्ध के दर्शन की देन था।

बुद्ध ने भारत के बाहर भी आध्यात्मिक क्रांति का नेतृत्व किया। एक प्रकार से पूर्ण पूर्वी एशिया भारतीय उपमहाद्वीप व चीन जापान कोरिया जैसे देश बुद्ध को अंगीकार कर पूर्णता प्राप्त करते हैं। जीवन के उच्च आदर्शों के साथ जीवदया, मानव प्रेम, समभाव जैसे आदर्शों को भी प्रतिपादित करते हैं।

महात्मा बुद्ध भारत की संस्कृति के वह अमूल्य रत्न है जिसने भारतीय मानस दर्शन एवं मूल्यों के नये सोपानों गढ़ा। वे वास्तव में श्रीहरि के नवें अवतार के रूप में वर्तमान में जीवन जीने का यथेष्ट मार्ग प्रतिपादित करते हैं। आज भी भारतीय दर्शन उनके अलौकिक प्रकाश से चमत्कृत है।

संसार जब भी आतंकवाद, आर्थिक युद्ध, जैविक युध्दों, अति से अधिक उपभोग के भंवर में फंसकर मार्ग ढूंढेगा, महात्मा बुद्ध का प्रक्रिक से सामंजस्य व स्वयं के अस्तित्व से सामंजस्य का सिद्धांत उसका नेतृत्व करेगा।

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