वैचारिक द्वेष एवं अश्लीलता फैलाने को आतुर : वेब सीरीज़

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जिस समाज में साहित्य और सिनेमा को समाज का दर्पण कहा जाता रहा है, उस समाज को समय-समय पर इसका भी आकलन करते रहना चाहिए कि कही वह दर्पण ही टूटकर उस समाज के लिए खतरा न बन जाए और ऐसा ही हो रहा है इस समाज में सिनेमा के माध्यम से…
वैसे तो विश्व के इस युवा देश भारत की शक्ति युवाशक्ति को दिग्भ्रमित एवं विचार शून्य करने हेतु अनेक षड्यंत्र रचे गए है और रचे जा रहे है। इस सन्दर्भ में वर्तमान समय में OTT प्लेटफार्म पर वेब सीरीज़ अपने पैर पसार रही हैं इस का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले ३ महीने में नेटफ्लिक्स एप को डाउनलोड करने वालो की संख्या डेढ़ करोड़ से अधिक रही है और वही मैक्स प्लेयर पर उपलब्ध एक वेब सीरिज़ मस्तराम को देखने वालो की संख्या एक ही दिन में एक करोड़ दस लाख से ऊपर पहुँच गयी। इन समस्त वेब सीरिज़ का उद्देश्य पैसे कमाने से कही अधिक
◆ हिन्दुत्व को अपमानित करना
◆ समाज की भ्रमित साम्प्रदायिक छवि प्रस्तुत करना
◆ देश की संस्थाओं को बदनाम करना
◆ समाज में नग्नता एवं अश्लीलता परोसना
वर्तमान समय की इन वेब सीरिज़ो में यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
हाल ही में रिलीज़ हुई एक वेब सीरीज़ में सेना एवं सैनिकों के प्रति अपमानित ढंग से प्रस्तुतिकरण दिया जाता है, बेहद ही अपरिपक्वता पूर्ण तरीके से एक सैनिक की पत्नी को दर्शाया जाता हैं।
किस प्रकार एक वेब सीरिज़ में एक युवक-युवती में अप्राकृतिक रूप से यौनिक सम्बन्ध बताकर उनके नाम कृष्ण और राधा रखा जाता है और कहानी को श्रीकृष्ण लीला नाम से प्रदर्शित किया जाता हैं।
उपलब्ध एक वेब सीरिज़ लैला में हिन्दू धर्म के कथित भ्रांतियों को बड़े ही भयावह रूप से बताया गया, साथ ही हिन्दुराष्ट्र की एक मनगढ़ंत कहानी प्रस्तुत कर सामाजिक विध्वंस फैलाने की एक निहित साजिश इसमें स्पष्ट परिलक्षित होती है।
सिक्रेड गेम्स सीजन 2 नाम से रिलीज़ एक वेब सीरिज़ में देश की छद्म साम्प्रदायिकता को प्रस्तुत किया जाता है। इसमें पुलिस से पूछताछ के क्रम में एक मुस्लिम अभियुक्त कहता है कि \”इस देश में मुसलमान को उठाने के लिए किसी कारण की आवश्यकता नही होती।\” इस पूरे संवाद से इस वेब सीरिज़ में यह दर्शाया जाता है कि इस देश में मुसलमानों के प्रति बड़ा ही भय का माहौल हैं।
समाज के मध्य ही किस प्रकार मनोरंजन के माध्यम से एक धीमा ज़हर मिलाया जा सकता है, यह वेब सीरिज़ इसका जीवंत प्रमाण है। विशेषकर तब जब इन सभी को देखने वालों में सबसे बड़ा वर्ग युवा ही है अतः हम इन सबके द्वारा आज की पीढ़ी की विचारधारा किस ओर गढ़ रहे है और उन्हें किस दिशा में ढकेला जा रहा है, यह चिन्तन का विषय हैं।
सामान्यतः विदेशों से आयातित कुछ वेब सीरिज़ की समाज में आसानी से पैठ और लोकप्रिय हो जाने के बाद इन्ही की भांति भारतीय निर्माता भी इन्ही बिंदुओं को अपना लेते है। आज के समय में यह भी किसी से छुपा नही है कि इन समस्त वेब सीरिज़ में यौनिकता, अश्लीलता का क्या स्तर होता है, इसी के साथ-साथ हिंसा की सीमा का भी इनमें कोई स्तर नही मिलता हैं। भले ही यह वेब सीरिज़ वयस्क श्रेणी में डाल दी जाती रही हो परन्तु इसकी पहुँच समाज के प्रत्येक वर्ग तक बड़ी ही सरलता से हो जाती हैं।
अतः आज के समय में यह इस प्लेटफार्म ही नही अपितु समस्त OTT साधनों पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा नितांत नियम एवं उसके कड़ाई से पालन सहित इन माध्यमों को राष्ट्रीय दृष्टि से प्रस्तुत करने की आवश्यकता है, ताकि समाज को इस कुठाराघात एवं वैमनस्य भाव से बचाया जा सके एवं समाज वास्तविक चित्रण प्रस्तुत हो।

– चैतन्य जी गुंजाल

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