बड़ा काम का घड़ा – तो अक्षय तृतीया के दिन घड़ा बदलने का इतना बडा वैज्ञानिक कारण था

अक्षय_तृतीया विशेष

गाँव में पहले हर घर में एक आँगन और उस आँगन में लगभग उत्तर दिशा में पण्डेरी होती थी । पण्डेरी अर्थात घर का जल मन्दिर । जिसमें पूरे परिवार के पीने के लिए जल भरकर रखा जाता था । अधिकांश जल पात्र मिट्टी के बने मटके होते थे । एक-दो पीतल के बर्तनों में भी पानी रखा जाता था । घर की महिलाएँ बड़े सबेरे गाँव के बीच में ही स्थित कुओं अथवा कुण्डियों से रस्सी से खींचकर जलभर ले आती थी । जिसे कपड़े से छानकर मटकों में भर दिया था ।
अक्षय तृतीया के दिन #पण्डेरी के पूरे मटके बदल जाते थे । गाँव का कुम्हार एक-दो दिन पहले ही परिवार के सदस्यों की संख्या के आधार पर मटके दे जाता था । बदले में उसे अनाज मिलता था ।
अक्षय तृतीया के दिन सुबह आँगन में रखकर मटकों में पानी भरकर उसके ऊपर गर्मी का कोई फल तरबूज, आम या आम के पत्ते अथवा नया अन्न का भोजन बनाकर रखकर मटके की पूजा करते थे । शाम को मटके का पानी बदलकर पण्डेरी पर रख दिया जाता था । नये मटके का पहला पानी इसलिए नहीं पीते हैं कि उसमें अनेक प्रकार के मिट्टी, राख या अन्य पदार्थ चिपके रहते हैं जिससे गला खराब हो जाता है । यह मटका एक वर्ष तक चलता था । पुराने मटके को फेंकते नहीं थे, उसमें कुछ दिन बाद आम का अचार बनाकर रखते थे । अथवा सिका हुआ होला, महुआ आदि रखकर गीली मिट्टी से उसका मुँह बन्द (airtight) कर देते थे । ये चीजें सावन की झड़ी में काम आती थी । पहले रत्न आदि भी पुराने घड़े में भरकर बुरे वक्त के लिए जमीन में गाड़ देते थे ।
मटका अथवा #घड़ा केवल एक बर्तन नहीं हैं अपितु यह हमारी संस्कृति या कहें मानव सभ्यता की एक अनमोल धरोहर है । अनेक धातुओं के बर्तन और फ्रीज आ गए किन्तु फिर से हमें मटके की ओर लौटना पड़ रहा है । क्योंकि मटके में रखा हुआ पानी न केवल स्वच्छ होता है अपितु हमारे पेट के तापमान के अनुसार होता है । इसलिए मटके का पानी पीने पर हमें तृप्ति मिलती है सुस्ती (dullness) नहीं आती ।
ये मटके कहीं बाहर से नहीं आते थे । हर गाँव में #कुम्हार समाज के परिवार गाँव की मिट्टी से ही यह मटके बनाने का काम करते थे । विवाह व अनेक माङ्गलिक कार्यों में मिट्टी के दिए, हाथी-घोड़े, कलश व अन्य बर्तन लगते थे सो कुम्हार को वर्षभर रोजगार मिलता था ।

अक्षय तृतीया एक प्रकार से बसन्त ऋतु का अन्त और ग्रीष्म ऋतु का प्रारम्भ है । अतः आज के अक्षय शुभ मुहूर्त में घर में ठण्डा पानी पीने के लिए एक मटका अवश्य लेकर आएं । जहाँ तक हो सके फ्रीज का पानी न पीयें ।

  • मोहन नागर

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