भोपाल. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि कार्यकर्ता अपने व्यक्तिगत जीवन को उदाहरण बनाकर सामाजिक समरसता का वातावरण तैयार करने के प्रयास करें. संघ संस्कारों से युक्त परिवारों के माध्यम से समाज व्यवस्था का परिवर्तन कर भारतीय मूल्यों से युक्त अनुशासित समाज का निर्माण करने में अपना सहयोग दें. संगठन को परिवार की तरह विकसित करें एवं सामाजिक परिवर्तन के लिए ध्येयनिष्ठ व्यक्तित्व विकसित करें. सरसंघचालक जी विविध संगठनों की समन्वय बैठक में कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे.
समन्वय बैठक में महिलाओं एवं युवाओं के माध्यम से अपने सामाजिक जीवन मूल्यों को स्थापित कर एक सादगी एवं शुचिता से जातिगत विषमता समाप्त कर सामाजिक समरसता युक्त समाज का निर्माण करने की संघ की योजना पर चर्चा हुई एवं गत वर्ष किए गए प्रयासों की समीक्षा भी की गयी.
परिवार व्यवस्था में समाई हैं भारतीय संस्कृति की जड़ें
सरसंघचालक डॉ. भागवत जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मानना है कि परिवार भारतीय समाज की मूल इकाई है. सामाजिक परिवर्तन के लिए परिवारों में भारतीय मूल्यों की स्थापना आवश्यक है. वर्ष 2019 में ग्वालियर में आयोजित संघ की सर्वोच्च बैठक अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में भी कुटुंब प्रबोधन पर प्रतिवेदन पारित किया गया था. इस प्रतिवेदन में भारतीय पारिवार व्यवस्था के संरक्षण एवं विकास पर विशेष कार्य करने की आवश्यकता बताई गयी थी. बैठक में उक्त विषय पर अब तक हुए कार्यों के वृत्त विभिन्न संगठनों द्वारा प्रस्तुत किए गए. सरसंघचालक जी ने कार्यों की समीक्षा की एवं योजना के विस्तार के लिए विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा की.
कुटुंब प्रबोधन के कार्य के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं. मध्यक्षेत्र के सभी प्रान्तों में नगर स्तर पर कुटुंब प्रबोधन के कार्य शुरू हो गए हैं. इसके अंतर्गत विविध संगठनों में काम करने वाली महिलाओं के बीच समन्वय, दंपत्ति कार्यकर्ताओं के माध्यम से भारतीय मूल्यों से युक्त आदर्श परिवारों के निर्माण के प्रयास किये जा रहे हैं. एक आदर्श परिवार कैसा हो? विषय पर कार्यकर्ताओं द्वारा समाज में प्रबोधन कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. इनमें विभिन्न आयुवर्ग के सदस्यों के बीच संवाद एवं निश्चित समय पर परिवार के सभी सदस्यों के साथ समय बिताने जैसे विषयों पर चर्चा एवं अपने अनुभव साझा करने के लिए वर्ष में एक बार सभी परिवारों के मिलन भी आयोजित किये जा रहे हैं. इन प्रयासों से पारिवारिक मूल्यों की स्थापना के माध्यम से समाज में व्यवस्था परिवर्तन होगा, ऐसी अपेक्षा संघ की है.