पुणे पुलिस ने बॉम्बे हाईकोर्ट में तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता को लेकर बड़ा खुलासा किया है. पुणे पुलिस द्वारा न्यायालय में प्रदत्त जानकारी के अनुसार जांच में पता चला है कि गौतम नवलखा आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन और कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के साथ निरंतर संपर्क में रहे हैं. इस कारण नवलखा की गिरफ्तारी पर लगी रोक को हटाया जाए. रणजीत मोरे और भारती डांगरे की खंडपीठ भीमा-कोरेगांव केस में दायर एफआईआर को खारिज करने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. जिसमें गौतम नवलखा पर आरोप है कि वो नक्सलियों के लिए काम करते हैं.
पुणे पुलिस ने कोर्ट से मांग की कि नवलखा की गिरफ्तारी पर लगी रोक को हटा लिया जाए, क्योंकि ये जांच में बाधा बनी हुई है. पुणे पुलिस का पक्ष रखते हुए एडिशनल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अरूणा ने भीमा-कोरेगांव केस के संबंध में कुछ पत्रों का हवाला दिया, जो दूसरे आरोपियों और गौतम नवलखा के बीच लिखे गये थे. इन पत्रों को पिछले महीने सीलबंद लिफाफे में न्यायालय में जमा करवाया गया था.
बुधवार को सुनवाई के दौरान अरूणा पई ने आरोपी गौतम नवलखा के लैपटॉप से बरामद पत्रों को भी जमा किया, जिससे प्रमाणित होता है कि नवलखा नक्सलियों और आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के संपर्क में थे.
नवलखा जम्मू कश्मीर में इस्लामिक स्टूडेंट्स मूवमेंट के नेताओं से लगातार संपर्क में रहे और उनके माध्यम से हिज्बुल मुजाहिदीन और कश्मीरी अलगाववादियों को समर्थन के संदेश भेजे. पुणे पुलिस की ओऱ से अधिवक्ता ने ये भी बताया कि नवलखा 2011 से हिज्बुल मुजाहिदीन के संपर्क में थे और हथियारों की आपूर्ति और सीक्रेट इन्फॉर्मेंशन देने का काम भी किया.
हालांकि गौतम नवलखा के वकील युग चौधरी ने इन सभी आरोपों को नकारा और कहा कि ये आरोप मनगढ़ंत हैं. उन्होंने न्यायालय में जमा किये पत्रों की प्रति की मांग की, लेकिन पुलिस ने मना कर दिया. इसी केस में न्यायालय में वीरवार को भी सुनवाई जारी रहेगी