
फिल्म_समीक्षा
श्री पीयूष शर्मा
कल इंदौर के निर्माता निर्देशक देवेंद्र मालवीय और आशु मालवीय की बहुप्रतीक्षित फिल्म “2020 देहली” देशभर के सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई। दिल्ली चुनावों के पूर्व इस फिल्म की सुगबुगाहट ने राजनीतिक क्षेत्र में हलचल पैदा कर दी थी। फिल्म के रिलीज के पहले ही कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रेसवार्ता कर फिल्म का विरोध दर्ज करवाया था। तभी से इस फिल्म ने जनमानस में जिज्ञासा पैदा कर दी थी।
फिल्म का कथानक सन् 2020 में शाहीन बाग प्रदर्शन और उसके बाद हिंदू-मुस्लिम दंगों पर आधारित है। इस दंगे में पचास से अधिक लोग मारे गए थे। फिल्म में देवेंद्र ने पाकिस्तान से आये हिंदू शरणार्थियों की पीड़ा को भी अपना विषय बनाया है।
फिल्म की पटकथा और संवाद प्रभावी और विषय के साथ न्याय करते हैं। भारत की पहली #वनटेक ( #onetake ) शैली में फिल्माई यह फिल्म इस एक दिन के कथानक को दर्शकों के सामने जीवंत करती है, जब दंगे भड़काए गए थे।
फिल्म की शुरुआत ही दर्शकों को दंगों के भयानक वातावरण में खींच लेती है। एक के बाद एक बदलती घटनायें फिल्म को तेजी से आगे बढ़ाती है। घटनाओं के इस प्रवाह में दंगों के पीछे हो रही राजनीति, छद्म बुद्धिजीवी, दंगाई और दंगों से पीड़ित सभी के किरदार आते चले जाते हैं। इन्हीं घटनाओं के साथ-साथ कई सच उघड़ते जाते है।
इन्हीं सब के बीच यह फिल्म तुष्टिकरण के चलते राजनीति के अपराधीकरण और पाकिस्तान से विस्थापित हिन्दुओं का सच बखूबी स्थापित करती है।
फिल्म में समय-समय पर निर्देशक ने कई “मेटाफोर” भी प्रयोग किए है, जो सांकेतिक रूप से एक बड़े विमर्श की ओर इशारा करते हैं।
समर जय सिंह, सिद्धार्थ भारद्वाज और भूपेंद्र सिंह का अभिनय प्रभावित करता है। वॉचमैन के किरदार में बृजेश काला के अभिनय ने सब को भावुक किया। फिल्म में नए कलाकारों ने भी सधा हुआ काम किया है।
फिल्म का संगीत प्रभावी है। संगीतकार सौरभ मेहता ने विषय के साथ पूर्ण न्याय किया है। विस्थापितों की पीड़ा व्यक्त करता “सोनचिरैया” गीत अत्यंत भावपूर्ण बना है।
तकनीकी रूप से फिल्म दर्शकों पर अच्छा प्रभाव छोड़ती है। फिल्म में एनिमेशन इफेक्ट स्तरीय हैं और वातावरण के चित्रांकन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
कुल मिला कर राजधानी में घटे दंगों के सच को उघाड़ने का प्रयास करती यह फिल्म सच के बहुत पास से गुजरती है, तो साथ ही मनोरंजन की दृष्टि से भी ये दर्शकों को निराश नहीं करती है।
सत्य घटना पर आधारित फ़िल्में पसंद करने वाले दर्शकों के लिए यह फिल्म एक अच्छा अनुभव सिद्ध होगी।