लॉकडाउन में सब बन्द है फिर भी जीवन चल रहा है। उसी प्रकार संघ भी इस लॉक डाउन में नित्य काम ना करते हुए अन्य काम के माध्यम से चल रहा है।
सेवा भारती के काम ने इस महामारी में समाज की विभिन्न रूप में मदद की।
तथागत के लेख को चीनी भाषा मे छपवाने के लिए जो धन इक्कठा किया था, उसे सेवा भाव मे खर्च किया। ऐसा दो बार हुआ। जब तीसरी बार मे कामयाबी मिली तो उसने कहा कि ये तथागत के जीवन की यह तीसरी आवर्ती है। क्योकि पहले 2 सेवा कार्य भी इसी का हिस्सा थे।
यह सेवा हम कीर्ति प्रसिद्धि के लिए नही कर रहे, यह समाज देश अपना है इसलिए यह पुण्य कार्य कर रहे है।
इस महामारी में नियमो का पालन करना हम सब ने। व समाज को सीखना।
कोरोना को हराने के लिए सुनियोजित प्रयास करना।
कंगाल आदमी का प्रसंग…. डिफरेन्स बिटवीन सुसक्सेस एंड फेल्यर इन 3 फ़ीट
शिक्षा:- प्रयास अंतिम समय तक करना।
हमने विश्व के मानव की सेवा, नुकसान उठा कर करी।
आयुष मंत्रालय द्वारा दी गयी गाइडलाइन का पालन करना। ताकि हम स्वस्थ रह कर दुसरो की सेवा करना।
उनकी ही मदद की जाए , जिन्हें इसकी जरूरत है।
इस सेवा के साथ साथ अच्छाई का प्रचार प्रसार करते रहना चाहिए।
विदुर नीति की बात दोषों को टालने की:- छः दोशो को दूर करना। सफलता पाने के लिए आलस्य, असावधानी, निंद्रा, भय, क्रोध को टालना।
संघ ने देश के ऊपर आये इस संकट में स्वेच्छा से जून तक सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए।
कोरोना को फैलाने में समाज विशेष के द्वारा गड़बड़ की गई। हमे ऐसे लोगो से बचना। ओर अपना सेवा कार्य जारी रखना।
सेवा समुह के मुखिया ने अपने लोगो को राजनीति के शिकार होने से बचाना।
इस देश के सेवक सन्यासीयो की हत्या होना गलत है। 28 तारीख को श्रधांजलि देंगे हम सभी समाज।
भय क्रोध से बचना।
लॉक डाउन खुलने के बाद समाज को सिखाना पड़ेगा कि अब कैसे रहना है:- ई क्लासेस, बाजार ने डिस्टेंस बनाये रखना, कंपनी में सभी नियमो का पालन करना होगा।
अनुशाशन का उदाहरण स्वयं का सबके सामने रखना होगा।
परिवार में आदत लाना होगा नए तरीके से जीने का।
स्वालम्बन की सिख दे रहा है यह संकट। अब हमे स्व-आधारित तंत्र का निर्माण करना होगा। नए विकास का मॉडल तैयार करना होगा। जिसमें सरकार, प्रशासन, ओर समाज को संकल्प लेना होगा। समाज को स्वदेशी होना पड़ेगा।
पर्यावरण बहुत मात्रा में शुद्ध हुआ है इस महामारी में। आगे भी यह स्वच्छ वातारण बना रहे इसका ध्यान करना होगा।
अब हमें जैविक खेती, गो-पालन करना चाहिए। हम करेंगे तो प्रशासन इसके लिए कुछ करेगा।
कुटुंब में संस्कार को बढ़ाना पड़ेगा, अनुशासित होना होगा।
सरकार जल्दी ही संस्कार निहित वाली शिक्षा नीति लाएगा।
राजनीतिज्ञ लोगो को भी अब राष्ट्र के लिये सोचना चाहिए।
हमारी भूमिका ये है कि इस संकट को अवसर बना कर भारत के नव-निर्माण करना।