गोवा और दमन दीव की मुक्ति में लता जी की महत्वपूर्ण भूमिका

1510 में पुर्तगालियों ने गोवा, दमन, दीव, दादरा और नागर हवेली आदि पर कब्ज़ा कर लिया था. उनका शासन 450 साल तक रहा. अंग्रेज़ों और फ्रांसीसियों से ज़्यादा समय तक पुर्तगाली हिंदुस्तान में रहे. वैसे तो गोवा की आज़ादी की शुरुआत 1946 में ही हो गयी थी. मोहनदास गांधी ने तमाम राजनीतिक पार्टियों से एकजुट होकर गोवा को आज़ाद करने का आह्वान किया था. फिर भी हिंदुस्तान के आज़ाद होने के 14 बरस बाद गोवा को पुर्तगालियों से आजाद कराया जा सका. ऐसा इसलिए कि एक तो जवाहरलाल नेहरू सैनिक कार्रवाई नहीं करना चाह रहे थे और इसके पीछे कई कारण थे और अंत में रूस की मदद से सैन्य कार्रवाई भी की गई ।

लता मंगेशकर ने भी गोआ ,दमन दीव की आज़ादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

एक इंटरव्यू में खुद लता मंगेशकर बताती हैं कि जब संगीतकार सुधीर फ़डके उनके पास आये और कहा कि गोवा के क्रांतिकारियों के संघर्ष के लिए धन इकट्ठा करने की ज़रूरत है, तो वे तुरंत ही राज़ी हो गईं. दो मई, 1954 में पुणे में एक कॉन्सर्ट में उन्होंने भाग लिया और उसके ज़रिये पैसों का इंतजाम किया गया और वह सम्पूर्ण राशि गोआ तथा दमन दीव की मुक्ति के लिए दीदी ने समर्पित कर दी ।

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