टीपू सुल्तान को महान बताने वालों को यह पढना चाहिए…..

भारत में इतिहास को छेड़छाड़ कर के और अर्धरूप से दिखाकर क्रूर इस्लामी शासकों का महिमामंडन किया जाता रहा है | हाल ही में नयी सिक्षा नीति और केंद्रीय शिक्षा बोर्ड ने इन आक्रान्ताओं के ‘आक्रान्ता को अभिनेता’ बनाने वाले इतिहास को पढ़ाने पर रोक लगायी है | पर नयी पीढ़ी आज भी इन लूटेरों से सहनुभूति रखती है | सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले छात्रों को आज भी गलत इतिहास ही पढ़ाया जा रहा है | इन आक्रान्ताओं ने धर्म देखकर हिन्दुओं पर जो अत्याचार किये हैं उन्हें आज का युवा बुद्धिजीवी वर्ग नकार देता है | यह वर्ग मानता है कि इन अत्याचारी शासकों से घृणा नहीं करना चाहिए वह तो सभी धर्मों का आदर करते थे | इन्हीं अत्याचारियों के क्रम में एक नाम है टीपू सुल्तान | इस शासक के नाम पर एक राजनीतिक पार्टी तक बन गयी है और लोग इसे tiger of mysoore भी कहते हैं | स्वतंत्रता संग्राम में अपनी सत्ता बचाने के लिए भले ही टीपू सुलतान अंग्रेजों से लड़ा हो पर हिन्दुओं पर किये हुए उसके अत्याचारों से वह महान नहीं बन जाता

टीपू की तलवार –
लोग कहते हैं कि टीपू हिन्दुओं का भी उतना की हितैषी था जितना मुसलमानों का , उसने मंदिर भी बनवाए और जैसा कहा जाता है कि वह अतिवादी था यह सब अफवाहे हैं | पर जब हम उसकी तलवार को ध्यान से देखें तो उपरोक्त कथन बस ढकोसला लगते हैं |टीपू की तलवार पर लिखे हुए वाक्यों का अंग्रेजी अनुवाद है – “ My victorious sabre is lightning for the destruction of the unbelievers. Haidar, the Lord of the Faith, is victorious to my advantage. And moreover, he destroyed the wicked race who were unbelievers. Praise be to him, who is the Lord of the Worlds! Thou art our Lord, support us against the people who are unbelievers. He to whom the Lord giveth victory prevails over all (mankind). Oh Lord, make him victorious, who promoteth the faith of Muhammad. Confound him, who refuseth the faith of Muhammad; and withhold us from those who are so inclined. The Lord is predominant over his own works. Victory and conquest are from the Almighty. Bring happy tidings, Oh Muhammad, to the faithful; for God is the kind protector and is the most merciful of the merciful. If God assists thee, thou wilt prosper. May the Lord God assist thee, Oh Muhammad, with a mighty victory. “

इसमें हम देख सकते हैं कि टीपू उसके ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है जिसने काफिरों की तुच्छ जाति का विध्वंस किया और वह ऐसा चाहता है कि उसकी तलवार काफिरों के विनाश के लिए चमके और काफिरों के विरुद्ध उसे उसके ईश्वर से सहायता भी मिले |

रामनामी अंगूठी का सत्य –
कुछ मार्क्सवादी और नेहरूवादी इतिहासकारों ने यह भ्रम फैलाया कि टीपू सुल्तान रामनामी अंगूठी पहनता था और यह उसकी देह के पास मिली थी | यह कथन पूरी तरह से असत्य है | मेजर एलेग्जेंडर एलन एकमात्र व्यक्ति थे जिन्होंने उसकी लाश को प्रत्यक्ष रूप से देखा था | उनके द्वारा लिखी गयी पूरी रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि उसके शव से किसी भी प्रकार का आभूषण प्राप्त नहीं हुआ था |

मेलकोट के अयंगर ब्राह्मणों का नरसंहार –
मेलकोट एक छोटा सा नगर है जो बेंगलुरु से 100 किलोमीटर दूर है | यहाँ के लोग विशेषकर अयंगर ब्राह्मण हिन्दुओं का प्रमुख उत्सव दीपावली नहीं मानते हैं और आज भी यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है | इसका कारण है कि नरक चतुर्दशी के दिन टीपू सुल्तान ने 800 मंडायम अयांगारों ( अयंगर उपजाति ) लोगों को कटवा दिया था |
टीपू के पिता हैदर अली के मृत्यु के बाद वह गद्दी पर बैठा | उस समय रानी लक्ष्मम्मानी अपने राज्य के हित के लिए अंग्रेजों के साथ मिलकर सहायता प्राप्त करना चाहती थी | शमैया अयंगर जो टीपू के दरबार में मंत्री था , गुप्त रूप से मद्रास आर्मी के जनरल लार्ड हैरिस से मिलने गया था , टीपू को इस बात का जब पता चला तो उसकी क्रूरता का परिणाम मेलकोट के मंडयम अयंगर समुदाय को अपनी जान देकर भुगतना पड़ा | उस समय जब पूरा दक्षिण भारत उत्सव मन रहा था , टीपू की सेना ने मेलकोट को घेर लिया था और 800 से भी अधिक लोगों को मारकाट कर उनका नरसंहार कर दिया था | पूरा क्षेत्र उस रात भूतहा हो गया था |

महिलाओं पर अत्याचार –
एक फ़्रांसिसी फिजिशियन फ्रांसिस बचनन हैमिलटन ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि टीपू के हरम में लगभग 600 औरतें थी | जिनमें से कई ब्राह्मणों और राजाओं की बेटियां थी जो जोर जबरजस्ती से अपहरण कर के लायी गयी थी | उन्हें कम आयु में ही उठा कर बंद कर दिया जाता था और उन्हें इस्लामी शिक्षा दे कर उनका विचार परिवर्तन किया जाता था |

इतिहास में कई और भी ऐसे प्रमाण मिलते हैं जिनमें टीपू सुल्तान ने हिन्दू मंदिरों को लूटा , जिहाद के नाम पर उन्हें क़त्ल किया , हजारों लोगों का बलपूर्वक धर्म परिवर्तन करवाया , ब्राह्मणों को उनके ब्राह्मण होने के अपराध में मारा , और जिन्होंने मजहब नहीं स्वीकार उन्हें पेड़ों पर मरकर लटका दिया गया | चाहे वह टीपू और उसके सेनाध्यक्षों का पत्राचार हो , इतिहास की पुस्तकें हो या पुरातात्विक प्रमाण ; इस दक्षिण के औरंगजेब माने जाने वाले टीपू सुल्तान के बारे में अनेक ऐसे साक्ष्य मौजूद है जो बताते हैं कि यह मैसूर का शेर नहीं बल्कि मैसूर का भेड़िया था |

आज की युवा पीढ़ी इस लहूलुहान अत्याचारों से भरे इतिहास से अनजान है | वे उन्हीं को अपना आदर्श मान रही और समर्थन कर रही है जिन्होंने उनके पूर्वजों पर बेरहमी से बर्बरता की | मार्क्सवादियों द्वारा भ्रमित यह पीढ़ी इन अत्याचारियों के एक दो अच्छे कार्यों के आधार पर उन्हें बिना पढ़े , बिना जाने , और उनके उद्देश्यों और कूटनीति से अनजान हो कर उन्हें आदरभाव देने लगती है |

उन सभी से कुछ प्रश्न है – “यदि कोई व्यक्ति आपको बहुत मारे , आप का पूरा शरीर लहुलुहान कर दे , आपको शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दे , आपके घर की महिलाओं और वरिष्ठों को भी न बक्शे पर इसके बाद में आपको उस पीड़ा से निवारण दिलाने के लिए पेनकिलर खिला देता है ; तो क्या वह व्यक्ति आपका हितैषी बन जाएगा ? क्या आप उसके द्वारा दिए गए कष्ट आप भूल जायेंगे ? क्या आप अपने परिजनों पर हुए अत्याचारों को उस पेनकिलर से भूल जायेंगे ?”

लेखक:- श्री अथर्व पंवार

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