पुणे (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य सुहास राव हिरेमठ जी ने कहा कि समाज के पीड़ित और वंचित लोगों के लिए सेवा कार्य चलने चाहिए. सारा समाज सुखी एवं संपन्न होने के लिए सेवा कार्य नितांत आवश्यक है. लेकिन हम आज जिनकी सेवा कर रहे हैं, वह कल सेवा देने वाला कैसे बने, इस पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से आयोजित ‘सेवा संगम’ प्रदर्शनी का रविवार को समापन हुआ. समापन कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. मुकुल माधव फाउंडेशन की अध्यक्षा रितु छाबड़िया जी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की. प्रांत कार्यवाह डॉ. प्रवीण जी, जनकल्याण समिति के अध्यक्ष डॉ. रवींद्र सातालकर ने स्वागत किया.
उन्होंने बताया कि स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था – ‘त्याग और सेवा भारतीयों के सर्वश्रेष्ठ आदर्श हैं, इसलिए भारतीयों को सेवा की सीख देने की आवश्यकता नहीं है’. सुहास जी ने कहा कि स्वयंसेवकों द्वारा पूरे देश में डेढ़ लाख सेवाप्रकल्प चलाए जा रहे हैं. इसके साथ ही सेवा भावना से, कर्तव्य भाव से लगभग 20 से 25 लाख सेवा कार्य विभिन्न व्यक्ति और संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार के आवश्यक सेवा कार्य करने के साथ ही जिनकी सेवा कर रहे हैं, वह स्वावलंबी बनें यह देखना कार्यकर्ताओं का काम है. इससे महत्त्वपूर्ण काम यह है, कि हम आज जिसकी सेवा कर रहे हैं, वह कल सेवा करने वाला बनना चाहिए.
रितु जी ने कहा कि समर्पण, समाज के प्रति भक्ति और अनुशासन संघ कार्य की तीन महत्त्वपूर्ण विशेषताएं हैं. सेवा कार्य मन से, त्याग की भावना से और सेवावृत्ति से किया जाना चाहिए. कार्यक्रम की प्रस्तावना शैलेंद्र बोरकर तथा निवेदन सुवर्णा जी ने किया.