370 वाले दिन अब नहीं आएंगे जम्मू कश्मीर में…
6 अगस्त 2019 के मोदी सरकार के जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने का निर्णय सही था -सुप्रीम कोर्ट
भारत के अभिन्न अंग जम्मू कश्मीर में धारा 370 अस्थाई प्रावधान था। विदित हो कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 को पूर्ण रूप से समाप्त करने के विरोध में 2019 में याचिकाकर्ताओ उनमें शोएब कुरैशी, मुजफ्फर इकबाल, रिफतबन, शकीरा, शब्बीर, नेशनल कांफ्रेंस के सांसद मोहम्मद अकबर लोन, इंद्रजीत टिक्कू,पत्रकार सतीश जैकब तथा और भी कई गैर राजनीति और राजनीतिक संगठनों ने याचिका लगाई थी।
इस संदर्भ में 2019 से चल रही सुनवाई के बाद आज दिनांक 11 दिसंबर 2023 को सर्वोच्च न्यायालय की पाँच जजों की संविधान पीठ ने तीन अलग-अलग निर्णय दिये। जिनका निष्कर्ष एक ही है कि सरकार का अनुच्छेद समाप्त करने का निर्णय असंवैधानिक नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाकर्ताओ की याचिकाओं को निरस्त करते हुए अपने निर्णय में कहा -आर्टिकल 370 सिर्फ शुरुआती व्यवस्था थी, जो युद्ध स्थिति में शुरू की गई थी।
जम्मू कश्मीर से संबंधित सभी लिखित दस्तावेजों में वर्णित है कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और महाराजा हरि सिंह के विलय के प्रस्ताव के बाद जम्मू कश्मीर संप्रभु राज्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह एक अस्थाई व्यवस्था थी और धारा 370 को जम्मू कश्मीर से हटाना गलत नहीं है।
धारा 370 के संदर्भ में विश्व संवाद केंद्र मालवा के अक्टूबर माह में आयोजित सोशल मीडिया कॉन्क्लेव में जम्मू कश्मीर की पहली महिला यूट्यूब यानामीर ने अपने उद्बोधन में जम्मू कश्मीर से अनुत्छेद 370 हटाने के निर्णय को सही ठहराते हुए अपने वक्तव्य में कश्मीरियों की पीड़ा को बताते हुए धारा 370 के हटने के बाद के जम्मू कश्मीर में हो रहे सकारात्मक परिवर्तनों की सराहना करते हुए जम्मू कश्मीर को भारत की मुकुट मणि कहा ।
जम्मू कश्मीर की पहली महिला यूट्यूबर याना मीर के सोशल मीडिया कॉन्क्लेव में दिया गये संबोधन का वीडियो विश्व संवाद केंद्र मालवा के सभी हैंडल्स और यूट्यूब पर उपलब्ध है।