जितना मिला है, उससे अधिक देना ही भारत की संस्कृति है – सुमंत आमशेकर

नागपुर, १८ जुलाई।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पश्चिम क्षेत्र प्रचारक सुमंत आमशेकर ने कहा कि जितना मिला है, उससे कुछ अधिक देने की प्रवृत्ति ही भारत की पहचान है और यही भारत की संस्कृति है।

हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक शंकरराव तत्ववादी का निधन हो गया था। उनकी स्मृति में तत्ववादी परिवार ने कुछ संस्थाओं को समर्पण निधि प्रदान की। कार्यक्रम शुक्रवार शाम नागपुर के रेशीमबाग स्थित स्मृति मंदिर परिसर के मधुकर भवन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका शांताक्का जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विदर्भ प्रांत सह संघचालक श्रीधर गाडगे जी, महानगर संघचालक राजेश लोया जी और डॉ. वसंत तत्ववादी मंच पर उपस्थित रहे।

विवेकानन्द केन्द्र की प्रार्थना – ‘जीवने यावदादानं स्यात् प्रदानं ततोऽधिकम् इत्येषा प्रार्थनाऽस्माकं भगवन् परिपूर्यताम्’ की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए सुमंत आमशेकर ने कहा कि “यह प्रार्थना है कि मुझे जीवन में जितना मिला है, उससे थोड़ा अधिक देने की क्षमता प्रदान करें। हम इसे अभी घटित होते हुए देख रहे हैं।”

“जितना मिलता है, उससे अधिक देने की प्रवृत्ति, यही भारत की पहचान है, यही भारत है, और जब ये हमारे सामने व्यवहार में आता है, तो हमें प्रेरणा देता है। आज का ये पारिवारिक समारोह, ऐसा ही एक प्रेरणादायी कार्यक्रम है।” शांताक्का जी ने अभी शंकरराव जी की प्रशंसा करने के बाद यह बताया कि उन्होंने कहा था – ‘यह संघ की वजह से है।’ संघ की प्रतिज्ञा में कहा गया है, ‘मैं जीवन भर राष्ट्र सेवा के इस व्रत का पालन करूँगा।’

शंकरराव जी द्वारा लिए गए इस संकल्प की पूर्ति समर्पण निधि को विभिन्न संस्थाओं को देकर की जा रही है। शांताक्का जी ने शंकरराव जी से जुड़ी स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि उनका और मेरा रिश्ता भाई-बहन जैसा था। वे हमेशा भाऊबीज और रक्षाबंधन पर आते थे। उनका अध्ययन बहुत गहरा था। बौद्धिकों में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देते हुए, वे संबंधित श्लोकों के साथ-साथ सात-आठ पुस्तकों और उनके लेखकों के बारे में भी बताते थे। इसलिए मेरा भी उन पुस्तकों को पढ़ने का मन करता था।

अपनी यात्रा-प्रवास के दौरान वे जिस भी घर में जाते, वह परिवार उनका अपना हो जाता। वे हर किसी की ऐसी पूछताछ करते जैसे वह उनका अपना घर हो, उनका अपना परिवार हो। वे विनम्रता से कहते, कि उनके पास जो कुछ भी है, वह संघ के कारण है। शंकरराव के भतीजे किशोर ने भी इस अवसर पर अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं।

इस अवसर पर तत्ववादी परिवार और बड़ी संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *