‘योग’ निरपेक्ष, निःस्वार्थ कर्म का मार्ग है… श्रीमद भगवद्गीता

साधारणतःयोग का अर्थ ध्यान,आसन, प्राणायाम और मुद्राओं से ही लिया जाता है परंतु श्रीमद्भगवद्गीता में योग…