
“सज्जन लोग शक्तिशाली बने और शक्तिशाली लोग सज्जन बने” – माननीय श्री भैयाजी जोशी
डॉ. बाबा साहेब तराणेकर ज्ञान – विज्ञान की प्रतिमूर्ति है – सुमित्रा ताई
वसुधैव कुटुंबकम् भारत का जीवन दर्शन है – शांताक्का दीदी
दिखावे की प्रवृति बंद होना चाहिए – स्वामी रंगनाथाचार्य
इंदौर में श्री दत्त जयंती हीरक महोत्सव एवं डॉ. बाबासाहेब तराणेकर अमृत महोत्सव में अखिल भारतीय त्रिपदी परिवार एवं श्री शाँतीपुरुष सेवा संस्थान, नागपुर के हजारों प्रतिनिधियों एवं भक्तों की गरिमामय उपस्थिति रही।
कार्यक्रम की शुरुआत 750 महिलाओं द्वारा सामुहिक रूप से श्री सत्यनारायण भगवान् के पूजन से हुई। वैदिक विद्वानों ने मंत्रोंच्चार से विधि -विधान के साथ करीब ढाई घंटे तक लगातार पूजा कराई।
महोत्सव में राजस्थान के इटालाखेड़ी की सुगंधेश्वरी देवी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भैया जी जोशी, बालाघाट के परमहंस यति श्री नर्सिह सरस्वती स्वामी विशेष रूप से उपस्थित थे।
डॉ. बाबा साहेब तराणेकर ने कहा कि सौ वर्ष पूर्व श्री नाना महाराज तराणेकर ने अपने भक्तों को दत्त भगवान् की स्तुति करुणा त्रिपदी सिखाई थी। बाद में यह एक परिवार बन गया और आज त्रिपदी परिवार देश से लेकर विदेश तक में फैल गया है। आज त्रिपदी परिवार की 350 से अधिक शाखाएं देश-विदेश है और इसके हजारों सदस्य है। नाना महाराज ने ही केसर बाग रोड पर दत्त मन्दिर की स्थापना की थी।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पद्मभूषण श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि यह आयोजन ज्ञान और विज्ञान का सेतु है और डॉ. बाबा साहेब इसकी प्रतिमूर्ति है। उन्होंने श्री नाना महाराज के सेवा कार्यो को जन जन में फैलाया।
राष्ट सेविका समिति प्रमुख शांताक्का दीदी ने कहा कि परमात्मा ने केवल महिलाओं को ही श्रेष्ठ संतान को जन्म देने का वरदान दिया है। महिलाएं सृजनशील होती हैं। वे निस्वार्थ भाव से कार्य करती हैं। उनका मातृत्व गुण बेमिसाल है। भारत का जीवन दर्शन वसुदेव कुटुंबकम है।परिवार से समाज और समाज से राष्ट्र और राष्ट्र से विश्व को जोड़ने की सामर्थ्य भारत में है। वसुदेव कुटुंबकम से भारत में सामाजिक समरसता आएगी और जातिवादी व्यवस्था दूर होगी।
स्वामी रंगनाथाचार्यजी महाराज ने कहा कि वैदिक ज्ञान , विज्ञान से भी श्रेष्ठ है। इसका प्रमाण हमें कई बार मिला । बीते वर्षों में जब उज्जैन में अवर्षा या कम वर्षा की स्थिति थी तब उज्जैन में सोमयज्ञ कराएं। इसके बाद पूरे क्षेत्र में अच्छी बारिश होती हैं। समाज में दिखावा प्रवृत्ति दिनों-दिन बढ़ती जा रही हैं। शादी विवाह सबसे खर्चीले आयोजन बनते जा रहे हैं। ये सब पश्चिमी अंधानुकरण के प्रमाण हैं। दूसरी तरफ गोमाता के प्रति समाज में उदासीनता है। नदियां नालों में बदल रही हैं और जंगलों को बेरहमी से काटा जा रहा है। जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि संतानों को पढ़ा लिखाकर हम उन्हें बड़े बड़े पैकेज तो दिलवा रहे हैं, लेकिन उन्हें संस्कार रुपी अच्छी संपत्ति मिले, इस पर चिंतन नहीं हो रहा है। भोगवादी जीवन से निकलने की आवश्यकता है। अहंकारी प्रवृत्ति से अकारण युद्ध हो रहे हैं। इसको रोकने की जरूरत है।
राष्टीय स्वयसेवभैयाजी जोशी, हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल व्ही. एस. कोकजे, सांसद शंकर लालवानी , महापौर पुष्य मित्र भार्गव के आतिथ्य में पुस्तक विमोचन का कार्यक्रम हुआ।अतिथियों ने पुस्तक दीपे दीप लाविला, तस्मात शास्त्र प्रमाणम, डिवाइन साईटिस्ट श्री बाबा महाराज, शांति पुरुष विशेषांक का विमोचन किया।
अपने संबोधन में भैया जी जोशी ने कहा कि डॉ. बाबा साहेब ने जीवन में जो पुरुषार्थ किया उसका प्रत्यक्ष प्रमाण आज यहाँ देखा जा सकता है। डॉ . साहेब तराणेकर शतायु हो और उस महोत्सव को देखने का अवसर हम सबको मिले। उन्होंने आगे कहा कि भक्तों की इच्छा के कारण यह आयोजन हो रहा है जब हम बाबा महाराज के जीवन को देखते है तब हमें दिखा कि उनके दादाजी नाना महाराज से उनको संस्कार मिले। बाबासाहेब ने हजारों लोगों को भक्त बनाया। दत्त भगवान के चित्र देखते हैं तो हमें संदेश मिलता है कि जीवन के प्रति संयमित रहो। पुरुषार्थ करें, परिश्रम करें। बहुआयामी बनो यही संदेश हमें भगवान दत्तात्रेय के दर्शन से मिलता है। ईश्वर के बताए रास्तों पर चलोगे तो आपका जीवन सफल होगा। दत्तात्रेय के चित्र में हमें गोमाता और श्वान दिखता है।
गोमाता ममता का प्रतीक है ।श्वान सजगता का गुण है। आदमी जागृत रहें। भैयाजी जोशी ने कहा कि सज्जन शक्तिशाली बने और शक्तिशाली सज्जन बने यह जरूरी है। सज्जनों की निष्कृयता समाज के लिए घातक है।
रविवार 26 अक्टुम्बर को सुबह 7:00 बजे से भगवान् श्री दतात्रय, वासुदेवानंद सरस्वती स्वामी महाराज व श्री नाना महाराज की राजोपचार पूजा होगी। सुबह 10:00 बजे परमहंस परिरिवाजाकाचार्य यति श्री नर्सिह सरस्वती स्वामी महाराज बाला घाट के सानिध्य में संत समागम होगा। इसके बाद दत्त योग होगा।
