चतुर्थ सरसंघचालक सुदर्शन जी की इच्छा को मिला साकार स्वरूप
कच्छ (विसंकें). सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले, तथा वंचित समाज के लोगों को भी जीवन के लिए उपयोगी सुविधाएं प्राप्त हों, इसके लिए विभिन्न संगठन कार्य कर रहे हैं. इसी के निमित्त कच्छ के सीमावर्ती क्षेत्र में कोली समाज के लिए उनके कच्चे घरों (झोंपड़ी) के स्थान पर पक्के घरों का निर्माण कर उन्हें सौंपा गया. इसके लिए लोकार्पण कार्यक्रम 16 अगस्त को संपन्न हुआ. घरों का निर्माण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रेरित सेवा साधना ट्रस्ट, सीमा जागरण मंच तथा विद्या भारती लोक शिक्षा आयाम के माध्यम से किया गया.
इस सीमावर्ती क्षेत्र में तीन दर्जन पक्के घरों का निर्माण किया जाना है. क्षेत्र को पक्के संपर्क मार्ग व सड़क मार्ग बनाकर मुख्य सड़क मार्ग से जोड़ा गया है. ग्राम देवता का मंदिर, शिक्षा के लिए विद्यालय भवन बनाया गया है, स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था की जा रही है. इसके अलावा स्वावलंबन के लिए रोजगार उपलब्ध करवाने की योजना पर कार्य चल रहा है, जिससे उन्हें आजीविका के लिए बाहर न जाना पड़े.
पहले चरण में 19 पक्के घरों का निर्माण पूरा हुआ है, जिनके लोकार्पण का कार्यक्रम 16 अगस्त को संपन्न हुआ. प्रातःकाल हवन किया गया, तत्पश्चात गणमान्यजनों ने पौधारोपण किया, भवन लोकार्पण के बाद सामूहिक भोजन रहा. इनके अलावा 17 पक्के घरों का निर्माण कार्य चल रहा है. बिजली, पानी, शौचालय की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी. उपरोक्त संगठनों द्वारा यहां रहने वाले लोगों के लिए रोजगार उपलब्ध करवाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है. इस योजना को पूरा करने के लिए डेढ़ से दो करोड़ रुपये खर्च होंगे, जिसमें समाज ने ही सहयोग किया है. सीमावर्ती क्षेत्रों से हिन्दू जनसंख्या का पलायन न हो, सुरक्षा की दृष्टि से यह अत्यंत महत्वपूर्ण है. इस विषय को ध्यान में रखते हुए योजना पर कार्य किय़ा जा रहा है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक मुकेश मलकान ने कहा कि वर्ष 2002 में भूकंप के पश्चात संघ के तत्कालीन सरसंघचालक कुप्प.सी, सुदर्शन जी कच्छ आए थे, उस दौरान स्थिति को देखते हुए उन्होंने अपना मनोगत व्यक्त किया था. उन्होंने इच्छा व्यक्त की थी कि यहां कालाडुंगर की यात्रा प्रारंभ होनी चाहिए. और यहां के लोगों के लिए पक्के घरों की व्यवस्था होनी चाहिए. आज उनकी इच्छा का साकार रूप धरातल पर उतरा है. प्रांत संघचालक ने कहा कि समाज ने संघ पर भरोसा किया, कदम से कदम मिलाकर सहयोग किया, साथ ही समाज के दान दाताओं ने सहयोग किया. दोनों का आभार.
पश्चिम क्षेत्र प्रचारक अतुल लिमये ने कहा कि एक व्यक्ति को जीवन जीने के लिए रोटी, कपड़ा, मकान आवश्यक है. मकान खड़ा हो गया है, और स्वावलंबन की व्यवस्था करने जा रहे हैं. यहां इस कार्य का एक विशेष प्रयोजन है. भीष्म पितामह ने कहा था सीमाएं माता के वस्त्रों के समान होती हैं, और उनकी सुरक्षा करना प्रत्येक पुत्र का कर्तव्य होता है. आज समाज ने मां के पुत्र का कर्तव्य पालन किया है.
कार्यक्रम में सीमा जन कल्याण समिति के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री मुरलीधर, गुजरात सरकार के मंत्री, सांसद व अन्य लोग उपस्थित थे.