कहते है, शिखर दर्शनम -पाप नाशनम, अर्थात शिखर के दर्शन करने से वही पुण्यलाभ प्राप्त होता है जो गर्भगृह में प्रतिष्ठित शिवलिंग या प्रतिमा के दर्शन से मिलता है, लेकिन महाकाल के आसपास इतना अधिक अव्यवस्थित निर्माण हो गया था कि शिखर के दर्शन, परिसर में जाने के बाद या उज्जैन के पुलों पर से ही होता पाता था, महाकाल मन्दिर शिखर के बहुत दूर से भी दर्शन अब अव्यवस्थित निर्माण के हटने के बाद हो सकेंगे
महाकाल मंदिर का पूरा क्षेत्र, जिसे पहले महाकाल कॉरिडोर कहा गया और अब महाकाल लोक नाम दिया है, इसे शास्त्रों में महाकाल वन नाम से पुकारा गया, रुद्रसागर से लेकर सम्पूर्ण महाकाल वन क्षेत्र के बारे में विशेषता शास्त्रों में बताई ही गई है और उसी महाकाल वन का वर्तमान तकनीकी का उपयोग कर, लेकिन पुरातन का ध्यान रखते हुए विकास कार्य किया जा रहा है
महाकाल लोक, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से तीन गुना बड़ा है, महाकाल लोक को बनाने में ७५० रूपये खर्च होने है, इसमें राज्य सरकार,महाकाल मन्दिर ट्रस्ट और केंद्र सरकार मिलकर खर्च कर रहे है, महाकाल मन्दिर का पूरा क्षेत्र पहले मात्र दो हेक्टेयर का था लेकिन इस महाकाल लोक से ये क्षेत्र बढ़कर ४५ हेक्टेयर के आसपास हो जाएगा,
महाकाल लोक इतना अधिक बड़ा और देखने लायक है कि इसे ठीक से देखो तो इसे देखने में ५ से ६ घंटे लगेंगे, नंदीद्वार जहाँ से ये महाकाल लोक प्रारम्भ होता है वहां से गर्भगृह तक की दुरी ९५० मीटर, यानि लगभग एक किलोमीटर है,इस क्षेत्र में ६०० सीसीटीवी केमरे भी लगाये जा रहे है जो २४ घंटे हर घटना पर निगरानी रखेंगे
जिस नंदी द्वार से ये महाकाल लोक प्रारम्भ हो रहा है, वही से यह लोक मन मोहने लगता है, महाकाल लोक के प्रवेश द्वार अर्थात नंदी द्वार पर बहुत सारी प्रतिमाये उकेरी गई है,यूँही कोई भी प्रतिमाये नहीं उकेरी गई है,हर प्रतिमा के पीछे कारण है, इसीलिए नंदी द्वार दिग्पालो के भित्ति चित्र उकेरे गए है
इस भव्य कोरिडोर में पर्यावरण का ध्यान रखते हुए,इसे ग्रीन कवर दिया गया है, जगह-जगह पोधे लगाये गए है, इन पोधो में भी ध्यान रखा गया है कि भगवान महाकाल के प्रिय पोधे जैसे बिल्वपत्र, रुद्राक्ष, शमी, कैलाशपति, सप्तपर्णी जैसे पोधे लगाये गए है
आगे बढ़ने पर महाकाल लोक का सबसे ऊँचा स्तम्भ, शिव स्तम्भ जो ५४ फीट ऊँचा है वह दिखाई देता है, इसमें सबसे उपर भगवान शिव का पंचमुखी अवतार, उनके नीचे उनके अन्य स्वरूप, स्वरूप के नीचे उस स्वरूप का प्रिय अलंकरण जैसे किसी स्वरूप का त्रिसुल तो किसी का डमरू तो किसी का रुद्राक्ष है, अलंकरण के नीचे उस स्वरूप का मन्त्र है इसी शिवस्त्म्भ के चारो और मंडलाकार सप्तऋषियो की प्रतिमाये है, इन प्रतिमाओं के नीचे इन ऋषियों के बारें में सब कुछ जानकारी अंकित की गई है, कुछ समय बाद इन प्रतिमाओं के नीचे बारकोड लगाये जायेंगे, जिससे इनके बारे में आने वाले श्रद्धालु अपने मोबाइल में सीधे विडियो देख सकेंगे या पोडकास्ट सुन सकेंगे, महाकाल मन्दिर इस तरह की तकनीक का उपयोग करने वाला देश का पहला मन्दिर होगा
महाकाल लोक का जो प्राकृतिक स्वरूप है वो रुद्रसागर है, रुद्रसागर का अपना पोराणिक महत्व है, रुद्रसागर को पूरी तरह विकसित किया जा रहा है, भविष्य में रुद्रसागर में लाइट एंड साउंड शो भी होंगे, इसके किनारे पर सेकड़ो लोगो के बेठने की व्यवस्था भी की जा रही है. एक मुक्ताकाश मंच या ओपन थिएटर भी रुद्रसागर के किनारे होगा, जहाँ प्राक्रतिक वातावरण में नाटक व कार्यक्रम हो सकेंगे
महाकाल लोक में १०८ खम्भे है, इन खम्भों पर भगवन शिव के प्रिय तांडव के आनन्द नृत्य के मनोहर भित्ति चित्र उकेरे गए है
महाकाल लोक के बीचो बीच समुद्र मंथन के उस दृश्य को उकेरा गया है,जिसमे मंथन से निकले विष को भगवन महाकाल पीते है
महाकाल लोक की सबसे लम्बी दीवार जो 900 मीटर की है, वो पूरी तरह से म्यूरल वाल है, इस पर सेकड़ो प्रतिमाये, हिन्दू दर्शन के भित्ति चित्र उकेरे गये है, सबकी कहानिया,मन्त्र और विशेषताए भी है
इसी महाकाल लोक में एक कमल सरोवर भी है, जिसमे भगवान शिव ध्यानमुद्रा में है, यहाँ तकनीक का उपयोग कर भगवान की जटाओ से गंगा निकाली जायेगी, रात्रि में यह दृश्य और भी सुंदर होगा उज्जैन के कलेक्टर ने मीडिया को बताया कि अभी साल भर में लगभग डेढ़ करोड़ श्रद्धालु महाकाल मन्दिर दर्शन को आते थे, महाकाल लोक से ये संख्या दुगुनि याने तीन करोड़ होने की आशा है, इतने श्रद्धालुओ के आने से उज्जैनवासियो को अधिक रोजगार मिलेगा और अर्थव्यवस्था को फायदा होगा, महाकाल लोक आने वाले श्रद्धालुओ की एक-एक सहूलियत का ध्यान रखा गया है,ताकि जो जिधर से आये उधर पार्किंग कर सकें, कही ३५० तो कही २५० कारो की पार्किंग की जा सकती है, साथ ही जो महाकाल लोक पैदल चलकर नहीं घूम सकते, उनके लिए e-cart की सुविधाए भी रहेंगी
महाकाल लोक के पहले चरण में महाकालेश्वर वाटिका, महाकालेश्वर मार्ग, रुद्रसागर तट विकास, शिव अवतार वाटिका, गणेश विद्यालय परिसर, पार्किंग, नूतन विद्यालय, प्रवचन हाल का विकास किया गया है.
दुसरे चरण में महाराजवाडा परिसर, पार्किंग एवं पर्यटन सुचना केंद्र, महाकाल द्वार,रुद्रसागर रि-डेवलपमेंट, हरिफाटक ब्रिज चोडिकरण, रुद्रसागर पर पैदल पुल, छोटा रुद्रसागर लेक फ्रंट, रामघाट फसाड ट्रीटमेंट,रुद्रसागर म्यूजिकल फाउंटेन, बेगमबाग रोड डेवलपमेंट और इमरजेंसी व एग्जिट गेट शामिल है, अधिकारी कह रहे कि जून २०२३ तक ये काम पुरे होने की उम्मीद है
रात में श्री महाकाल लोक की आभा और अधिक बढती है, इसलिए रात्रि में यहाँ अधिक श्रद्धालुओ के आने की उम्मीद है, प्रधानमन्त्री संध्याकाल में ही इसे लोकार्पित करेंगे