
श्री अथर्व पँवार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 सितंबर को राष्ट्रीय टेलीविज़न पर आए और उन्होने केंद्र सरकार द्वारा 22 सितंबर से लागू होने वाली जीएसटी दरों में कटौती पर भाषण दिया। इसे उन्होने ‘जीएसटी बचत उत्सव’ कहा। केंद्र सरकार के इस निर्णय के बाद कई वस्तुओं के दामों में गिरावट आई है तो कई में अब शून्य प्रतिशत कर(टैक्स) लागू किया गया है। लेकिन इस ‘सस्ताई’ के बीच मध्यप्रदेश में एक बवाल खड़ा हो गया है। दरअसल मध्यप्रदेश की राज्य सरकार ने 18 सितम्बर 2025 को एक नोटिफ़िकेशन जारी किया है जिसमें सम्पूर्ण राज्य कर में छूट प्राप्त करने वाली वस्तुओं में “गोवंशीय पशुओं का मांस” लिखा दिखाई दे रहा है। इसे लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी सहित कई लोग मुद्दा बनाकर आवाज उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी सरकार को घेरा जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह एक भ्रामक सूचना है जो अज्ञानतावश लोगों में फैल गई है।
‘गोवंशीय पशु’ का सच
दरअसल अँग्रेजी में एक शब्द है Bovine Animals। इस शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा से हुई है जिसका अर्थ होता है Cow, लेकिन विशेषकर यह उन सभी पशुओं के लिए प्रयोग किया जाता है जिनकी विशेषताएँ गाय के समान होती है। जैसे बैल, याक, भैंस, जंगली भैंसा आदि। जब हम किसी भी सरकारी दस्तावेज़ में देखेंगे तो आपको इन पशुओं के लिए Bovine Animals ही लिखा हुआ दिखेगा। बता दें कि यह पशु Bovidae पशुओं के परिवार के सदस्य हैं।
लेकिन जब इस ‘Bovine animals’ का हिन्दी में अनुवाद करते हैं तो वह होता है ‘गोवंशीय’ या ‘गोजातीय’ पशु। हाल ही में हो रहे विवाद का कारण यह अनुवाद ही है। क्योंकि ‘गोवंशीय पशु’ शब्द केवल गाय के मांस के लिए नहीं लिखे गए हैं, बल्कि भैंस का मांस भी इसी श्रेणी में शामिल होता है।
मध्यप्रदेश में पहले से ही प्रतिबंधित है गौ-हत्या
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में पहले ही गौहत्या प्रतिबंधित है तथा इसे रोकने के लिए सख्त कानून भी बनाए व संशोधित किए गए हैं। सर्वप्रथम मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार द्वारा ‘मध्यप्रदेश गोवंश प्रतिषेध अधिनियम 2004’ लाया गया था जिसे 26 मार्च 2004 को राज्यपाल द्वारा स्वीकृति दी गई थी। इसमें गायों, बछड़ों, बैल व सांड के वध व बिक्री को अपराध घोषित किया गया है व गौमांस रखने, उसका परिवहन करने व इन पशुओं को वध हेतु ले जाने को अपराध मानकर दंड का विधान बनाया गया था। इसमें 2019 में काँग्रेस सरकार व 2024 में पुनः भाजपा सरकार ने संशोधन किए गए हैं। अंतिम संशोधन में गौवंश की तस्करी करते वाहन की जब्ती का प्रावधान पारित किया गया है।
निर्यात भी नहीं होता गौमांस
भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा 14 नवंबर 2024 को जारी किए गए नोटिस (नोटिस संख्या 22/2024-25) में उस सामग्री की जानकारी है जो भारत से निर्यात होती है। इस नोटिस की पृष्ठ संख्या 9 में ‘Bovine Animals’ यानि गोवंशीय पशुओं की जानकारी भी है, जहां स्पष्ट रूप में लिखा गया है कि “Beef in the form of offal of cows, oxen and calf is not permitted to be exported”, अर्थात ‘गाय, बैल और बछड़ों के विविध मांस के रूप में बीफ के निर्यात की अनुमति नहीं है’। इसका अर्थ है कि भारत में जो बूचड़खाने बीफ निर्यात करते हैं उन्हें केवल भैंस के मांस की ही अनुमति है तथा गौमांस का निर्यात भारत द्वारा नहीं किया जाता है।
निष्कर्ष
पारित कानूनों के कारण मध्यप्रदेश में गौवंश (गाय, बछड़ा, बैल) की हत्या पूर्णतः प्रतिबंधित है, लेकिन भैंस के मांस की बिक्री या भैंस के वध पर कोई प्रतिबंध नहीं है। सरकार की शब्दावली के अंतर्गत भैंस को गौवंशीय पशु (Bovine Animals) की श्रेणी में रखा जाता है। प्रसारित राज्यसरकारीय सूचनापत्र में जिन पशुओं की बात की जा रही है, उसमें केवल भैंस के मांस का ही विवरण है (प्रतिबंधित गौमांस का नहीं)। अतः यह कहना कि मध्यप्रदेश में गाय का मांस बिकता है या उसपर 0 प्रतिशत जीएसटी लगता है, यह पूर्णतः निराधार व गलत सूचना है।