राजनीतिक लाभ के लिये शांति भंग करने का षड्यंत्र नाकाम
औरंगाबाद. औरंगाबाद में तीन दिन में मुस्लिम युवकों के साथ मारपीट करने व जबरन जय श्री राम बुलवाने की दो समाचार आए. रविवार रात को आजाद चौक में मुस्लिम भीड़ ने मार्च निकाला व नारे लगाए. पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में करने के पश्चात घटनाओं की जाँच की तो दोनों ही समाचार तथ्यहीन निकले.
कई जगह मॉब लिंचिंग की झूठी खबरें फैला कर हिन्दुओं को बदनाम करने के प्रयास तेजी से चल रहे हैं. महाराष्ट्र में विधानमंडल के चुनाव नजदीक हैं, राजनीतिक कारणों से माहौल को गरमाने की कोशिशें हो रही हैं. औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र से एमआईएम का प्रत्याशी विजयी हुआ है.
सोमवार रात को औरंगाबाद के पुलिस कमिश्नर चिरंजीव प्रसाद ने संवाददाता सम्मेलन में दोनों घटनाओं में निजी कारणों से हुई मारपीट को जय श्री राम के नारे से जोड़कर बढ़ा चढ़ाकर बताने का खुलासा किया.
तीन दिन में दो बार जय श्रीराम के नारे लगवाने के लिए मारपीट के आरोप कर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की गई. दोनों ही मामलों में हिन्दू संगठनों पर आरोप लगाए गए. लेकिन पुलिस ने सीसीटीवी की सहायता से जांच को आगे बढ़ाया तो सच सामने आ गया, सारी कहानी मनगढ़ंत निकली.
गुरुवार रात को मदिना होटल के कर्मचारी इमरान ने शिकायत में कहा था कि वह देर रात काम से घर लौट रहा था तो उसे करीब दस लोगों ने घेरा और मारपीट कर उसे जबरन जय श्री राम का नारा लगाने के लिए मजबूर किया. उसने तीन बार जय श्री राम का नारा लगाया. भीड़ उसे पत्थर से मारने की कोशिश में थी, तब नजदीक ही रहने वाले गणेश व उसकी पत्नी ने आकर उसे बचाया. जांच के पश्चात पुलिस कमिश्नर ने बताया कि कहानी मनगढ़ंती थी. मारपीट निजी कारणों से हुई थी और मारपीट को जय श्री राम से जोड़ विवाद खड़ा करने की कोशिश की गई.
रविवार रात को जबरन जय श्री राम बुलवाने की दूसरी शिकायत सामने आई. इसमें कहा गया कि सिडको क्षेत्र के आजाद चौक में ज़ॉमेटो के दो कर्मचारी देर रात जा रहे थे तो एक कार में आए कुछ लोगों ने उन्हें रोक कर मारपीट की और जबरन जय श्रीराम के नारे लगवाए. दो कथित पीड़ित युवाओं में शेख आमेर शेख अकबर (कटकट गेट नेहरूनगर निवासी, आयु 23), शेख निजामोद्दीन (कटकट गेट निवासी) शामिल थे. शेख आमेर की शिकायत के अनुसार दोनों बैंगन के भरते का ऑर्डर सर्व करने बाईक (एमएच 20 डीएच 9549) से आजाद चौक से बजरंग चौक की तरफ जा रहे थे. अचानक नारायणी अस्पताल के सामने एक कार (नंबर एमएच 20 6777) ने उन्हें रोका. कार ड्राईवर संदीप, सुनील परमेश्वर, अक्षय नवनाथ, ऋषिकेश अंकुश कार में सवार थे. इन चारों ने शेख आमेर और शेख निजामोद्दीन के साथ मारपीट की और जय श्री राम के नारे लगवाए.
उनके जाने के पश्चात आमेर ने पांच-छह लोगों को बुलाया. उनमें कुछ बातचीत के पश्चात सभी ने शोर मचाना शुरू किया, जिस कारण भीड़ एकत्रित हो गई. इससे क्षेत्र में तनाव फैल गया.
सूचना मिलने पर कमिश्नर चिरंजीव प्रसाद, उपायुक्त डॉ. राहुल खाडे तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे. पुलिस बल ने स्थिति को नियंत्रण में लिया, मॉब लिंचिंग की शिकायत पुलिस थाने में दर्ज की गई. देर रात कार सवार चार युवकों को पुलिस ने हिरासत में लिया. पुलिस ने पूछताछ की तो सच सामने आया, सीसीटीवी फुटेज से इसकी पुष्टि भी हो गई.
फुटेज के अनुसार घटनास्थल पर शेख आमेर की बाईक और कार आ कर रूके तो ठीक उसी समय एक निजी बस वहां आई. बस ड्राईवर, कार में सवार संदीप एवं बाईक चालक में ट्रैफिक को लेकर कुछ विवाद हुआ. बस निकल जाने के बाद भी कार से कोई व्यक्ति नीचे नहीं उतरा, संदीप व आमेर में कुछ देर विवाद के पश्चात सभी वहां से चले गए. सोमवार को संदीप सहित साथियों को जमानत दे दी गई. सीसीटीवी फुटेज से साफ हो गया कि जय श्री राम का नारा लगवाने की कहानी मनगढ़ंत थी, चारों कार से नीचे उतरे ही नहीं थे.
पुलिस पूछताछ में शेख आमेर ने बताया कि उसके साथ मारपीट नहीं हुई. कुछ लोगों ने घटना का महत्व बढ़ाने के लिए जय श्री राम का नारा लगवाने की कहानी जोड़ने के लिए कहा, और अपने समाज में मेरा नाम होगा, इसलिए मैंने जय श्री राम का नारा लगवाने की बात जोड़ दी.
विश्व हिन्दू परिषद के प्रान्त अध्यक्ष संजय बारगजे और प्रचार प्रमुख राजीव जहागीरदार ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि श्री राम करोड़ों देशवासियों के दिल में बसे हुए हैं. उनका जयकारा लगाने के लिए किसी को जबरदस्ती करने की आवश्यकता नहीं है. हिन्दुत्व और मर्यादा पुरूषोत्तम को बदनाम करने हेतु मर्यादाएं व कानून तोड़कर शांति भंग करने के प्रयास सहन नहीं किये जाएंगे.