बहराइच की हिंसा के निहितार्थ एवं कटू सत्य।

गंगा ज़मनी तहजीब की दुहाई देने वालों अब वक्त आ गया है कि हिंदू जनमानस को सेक्युलरिज्म की घुट्टी पिलाकर हिन्दू मुस्लिम एकता की बात करने वालो को अब इस्लामिक पुस्तको, हदीस व कुरान के अनुसार बात करनी ही होगी।
अगर आप हिन्दू मुस्लिम एकता की बात करते है, तो किस आधार पर???
यह आपको इतिहास, कुरान आदि से साबित करना ही होगा क्योंकि हमें जो इतिहास पढ़ाया गया यह तथाकथित कम्युनिस्टों ने इस्लाम की जो व्याख्या हमारे सामने रखी वह व्याख्या और हदीस और कुरान में लिखी बातें दोनों एकदम विपरीत है।
हिन्दुओं के त्योहारों को मनाने नहीं देना क्योंकि आप उस क्षेत्र में बहुसंख्यक हैं।
हिन्दुओं का जुलूस आपके क्षेत्र से नहीं निकलेगा क्योंकि आप बहुसंख्यक हैं।
मस्जिद के सामने ढोल ताशे बेंड डीजे नहीं बजेगा क्योंकि वह आपके धर्म के खिलाफ हैं।
दिन में पांच वक्त भोंगे पर नमाज अदा करेंगे लेकिन हिंदुओं के त्योहारों के भोंगे आप लगने नहीं देंगे।

ऐसी एक नहीं अनेकों घटनाएँ विगत कुछ महीनों में बहुतायत में देखी जा रही है। इसके पीछे का विमर्श इसके पीछे की वास्तविकता समझने की आवश्यकता हैं??

इस्लाम धर्म की वास्तविकता का ज्ञान आज प्रत्येक हिन्दू को होना ही चाहिए। सर्वधर्म समभाव, हिन्दू मुस्लिम भाई भाई या हिन्दू मुस्लिम भाईचारा जिसमे सारे मुसलमान भाई है और हिंदू उनका चारा है। यह केवल एक राष्ट्रद्रोही ढकोसला है।

” हम उस धर्म का आदर कैसे कर सकते है ? जिसे हम भटका हुआ या झूठ समझते है ? समान आदर का तो प्रश्न ही नही उठता। यह बात #मुशीरुल_हक़ ने पुस्तक “धर्म निरपेक्ष भारत मे इस्लाम:” –
पेज 26 पर लिखी है।

“मुशीरुल हक” की लिखी बात प्रत्येक मुसलमान अपने जीवन में उतारता है। उनका कार्य इसी प्रकार का है।
हिन्दू को गाय को माता मानते है और मुसलमान इसकी हत्या करता है। भला कीड़ो मकोड़ो पर दया रखने वाले हिन्दू गाय के हत्यारों से भाईचारा कैसे रख सकते है?? समान आदरभाव कैसे हो सकता है ?
खाने की वस्तुओं पर थूकना उसमें पेशाब करना दूषित और अमानक खाद्य सामग्री हिंदुओं को बेचना। क्या यह सब सोची समझी साजिश का हिस्सा नहीं है???

फ्रेंचविद्धवानएललूलबातयोर अपनी पुस्तक ” #दधिम्मी” के प्राथक्कन में लिखते है –

“किसी को यह बात पसन्द हो, या ना पसन्द हो, इस्लाम अपने आप को विश्वधर्म के रूप में देखता है। उसकी घोषणा यह है कि वह अकेला ही सत्यधर्म है। जिसका पालन प्रत्येक व्यक्ति को अनिवार्य होना चाहिए। हमे कोई भरम नही रहना चाहिये कि विश्व का कोई भी भाग इस्लामीकरण से बचेगा।

उपरोक्त बात दिन में पाँच बार नमाज के रूप में सिद्ध होती है। दुर्भाग्य से हम नमाज में जो कहा जा रहा है उसको समझते नहीं हैं इसीलिए हमें पता ही नहीं चलता की नमाज में क्या कहा जा रहा है। जबकि वस्तु स्थिति तो यह है।

Arabic Verse

بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ

قُلْ يَا أَيُّهَا الْكَافِرُونَ ①
لَا أَعْبُدُ مَا تَعْبُدُونَ ②
وَلَا أَنتُمْ عَابِدُونَ مَا أَعْبُدُ ③
وَلَا أَنَا عَابِدٌ مَّا عَبَدتُّمْ ④
وَلَا أَنتُمْ عَابِدُونَ مَا أَعْبُدُ ⑤
لَكُمْ دِينُكُمْ وَلِيَ دِينِ ⑥

सुरः काफ़िरून बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम

कुल या अय्युहल काफिरून
ला अ’अबुदु मा तअ’बुदून
वला अन्तुम आबिदूना मा अ’अबुद
वला अना आबिदुम मा अबद्तुम
वला अन्तुम आबिदूना मा अअ’बुद
लकुम दीनुकुम वलिय दीन

✦ तर्जुमा ✦

अल्लाह के नाम से जो रहमान व रहीम है।
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि ऐ काफिरों!
तुम जिन चीज़ों को पूजते हो, मैं उनको नहीं पूजता
और जिस (ख़ुदा) की मैं इबादत करता हूँ उसकी तुम इबादत नहीं करते
और जिन्हें तुम पूजते हो मैं उनका पूजने वाला नहीं और जिसकी मैं इबादत करता हूँ उसकी तुम इबादत करने वाले नहीं तुम्हारे लिए तुम्हारा दीन मेरे लिए मेरा दीन

इस्लाम की संकीर्ण शिक्षा, और मुस्लिम समाज की जड़ो से अनभिज्ञ हिन्दू नेतृत्व में इस प्रक्रिया को रोकने की शक्ति और इच्छाशक्ति दोनो का ही अभाव है। गांधी, नेहरू और कांग्रेस ने तो यह स्वीकार भी कर लिया था कि भीरु डरपोक सहिष्णु हिन्दू समाज मुसलमानो को चुनौती नही दे सकता और इसी का यह परिणाम रहा कि यह देश तीन हिस्सों में टूट गया।
शताब्दियों ने सहिष्णु हिन्दू भीरु कायर निरुत्साहित ओर उदासीन रहा है और आज भी परिस्थिति जस की तस है जैसे स्वतंत्रता के पूर्व थी।

ईरान के पूर्व राष्ट्रपति और इस्लाम के सबसे प्रमुख व्यक्ति माने जाने वाले अयातुल्लाह खुमैनी का यह वक्तव्य कौरी धमकी नही थी, बल्कि वास्तविकता है जिसे हमें स्वीकार करना ही पड़ेगा। जिसमे उन्होंने कहा था –

“विश्व के शासकों को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए, कि इस्लाम को पराजित नही किया जा सकता। विश्व के सभी देशों पर इस्लाम विजय प्राप्त करेगा, और कुरान की शिक्षा विश्व पर वर्चस्व प्राप्त करके रहेगी ।”
उपरोक्त कही गई बात हमें पड़ोसी देश बर्मा में सिद्ध होते दिखी भी है।
बर्मा एक बौद्ध देश है। वहाँ पर मुसलमानों की संख्या 3% या 4% आस-पास रही होगी। 1971 में बांग्लादेश के उदय के बाद वहाँ के राष्ट्रपति जियाउर रहमान ने बांग्लादेश में हिन्दुओं के धर्मान्तरण एवं बर्मा में भी बौद्धों के धर्मान्तरण में सऊदी अरब और अन्य इस्लामिक देशों का पैसा खूब लुटाया। और आज रोहिंग्याओं के रूप में एक बहुत बड़ी समस्या विश्व के सामने आई हैं। जिसे आप सब लोग भली भाँति जानते ही हैं।

सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, एक समय लीबिया जैसी पेट्रोल शक्तियां विश्व का इस्लामीकरण करने को बहुत धन अन्य देशों में रह रहे अल्पसंख्यको को उपलब्ध करवाती है। इस्लामी साहित्य के प्रकाशन ओर वितरण, मदरसा, अन्य धर्मों के इतिहास के साथ छेड़छाड़ इन सब में अरबो द्वारा पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है और यह बात मैं नहीं तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने कही है।

“अरब से अपार धन भारत मे आ रहा है, जिसका उपयोग अल्पसंख्यको की दशा सुधारने तथा, अछूतों को मुसलमान बनाने के उपयोग में लिया जा रहा है। “
इंदिरा गांधी

विश्व का ऐसा कौनसा भाग है, जहां मुसलमानो का काफिरों के विरुद्ध युद्ध न चल रहा हो ??
कुरान के अनुसार तो मूर्तिपूजक ओर बहुदेवी देवता पूजक काफिर कहलाते है और हिन्दू कौम काफिरों में भी सबसे नीच काफ़िर है। तो सोचिए कैसे गंगा जमनी तहजीब रह पाएगी? आप कैसे इन लोगों से शांति की बात कर सकेंगे केवल शांतिप्रिय धर्म कह देने से कोई धर्म शांतिप्रिय नहीं हो जाता उसका इतिहास और उसके वर्तमान के क्रियाकलाप उसकी असलियतको उजागर कर देते हैं।

जमाते इस्लामी के मुख्य पत्र ” रेडियन्स” ने लिखा था – भारत में हिन्दू मुसलमान समस्या तभी समाप्त होगी, जब सम्पूर्ण भारत इस्लाम धर्म ग्रहण कर लेगा ।”

यह केवल कट्टरवादी जमाते इस्लाम के विचार नही है। सर सैय्यद अहमद, हकीम अजमल खान, मौलाना मदनी, मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे उदारवादी कहे जाने वाले मुसलमान भी ऐसा ही कहते रहे है। इसलिए वर्तमान के ओवैसी मदनी और अन्य मौलाना अगर कट्टरपंथ की बात कह रहे हैं तो इसे आश्चर्य नहीं मानना चाहिए।
इस्लाम का थोड़ा सा भी अध्यनन करने से यह स्पष्ठ हो जाता है, कि यह सब जो यह लोग करते है, पूर्णतः इस्लामी चरित्र के अनुसार ही है।

1300 वर्ष पहले अफगानिस्तान पूर्ण रूप से 100% हिन्दू आबादी वाला देश था, आज वहां कितने हिन्दू है ??
800 साल पहले मलाया, इंडोनेशिया , जावा, सुमात्रा आदि पूर्वी द्वीप 100% हिन्दू ओर बौद्ध थे । आज वहां केवल मुसलमान है ।
150 वर्ष पहले पश्चिमी पंजाब , सिंध, बलूचिस्तान, कश्मीर, पूर्वी बंगाल , 100% हिन्दू थे, आज वहां कितने हिन्दू है ?
1947 में स्वतंत्र हुए पाकिस्तान और 1971 में स्वतंत्र हुए बांग्लादेश में आज कितने % हिन्दू बचे हैं? यह गहन चिंता का विषय है समझने का विषय है।

इस्लाम को रोकने के लिए केवल इसी मार्ग का अनुसरण करना पड़ेगा जो स्पेन के राजा एवं बर्मा के बौद्ध भिक्षुक असीन बिराथु ने अपनाया था।
स्पेन के राजा ने साफ आदेश दिया था ” इस्लाम छोड़ो, या परिणाम भुगतने को तैयार रहो । स्पेन अपवाद बन गया, की इस्लाम का पौधा लगने कर बाद भी स्पेन के महान राजा ने उस पौधे को पनपने नही दिया।
बर्मा के बौद्ध भिक्षुक ने भी स्पेन के राजा का ही अनुकरण किया। और आज बर्मा रोहिंग्याओं की समस्या से लगभग मुक्त है।
भारत मे एक ऐसे ही नेतृत्व की आवश्यकता है जिसका खुला आदेश हो भारत में रहना है तो वन्दे मातरम कहना ही होगा।

श्रीपाद अवधूत की कलम से

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