इंदौर में घटी एक घटना से जय भीम जय मीम के नारे का खोखलापन सामने आ गया ।वैसे भी यह नारा पूज्य बाबासाहब भीम राव आबेडकर के विचारों के अनुरू[ नहीं है । सच तो यह है कि जय भीम जय मीम को का यह नारा शुद्ध रूप से राजनीतिक स्वार्थ साधने का एक औजार मात्र है । दरअसल इंदौर के रावजी बाजार स्थित प्रकाश बगीचा में एक जनजाति समाज के हिंदू परिवार ने अपने घर पर लिख डाला कि मुस्लिम प्रताड़ना से परेशान होने के कारण यह मकान बिकाऊ है।
मामला सामने आने के बाद क्षेत्र में हलचल फैल गई । वास्तव में किसी विवाद के चलते मकान मालिक राजेश और पत्नी मीनाक्षी कलमोदिया ने रावजी बाजार थाने में शादाब रईस और सोनू के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई थी । इससे चिढ़कर शादाब रईस और सोनू अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर काफी समय से कलमोदिया दंपति को डरा और धमका रहे थे वे अपने विरुद्ध रिपोर्ट वापस लेने का दबाव बना रहे थे । कलमोदीया दंपति ने शिकायत में कहा है कि शादाब रईस और सोनू अपने कई साथियों के साथ मिलकर उन्हें अश्लील गालियां देते और जाति सूचक अपमानजनक शब्द भी कहते थे । उन्होंने उन्हें जान से मारने और झूठा केस करने की धमकी भी दी । इसी प्रताड़ना से परेशान होकर कलमोदिया परिवार ने अपना घर बेचकर वहां से पलायन करने का निर्णय ले लिया ।
इस पूरे प्रकरण पर पुलिस प्रशासन सक्रिय हो चुका है ।
घटना सामने आने पर हिंदू संगठन हरकत में आए और संगठित रूप से प्रताड़ित हिंदू परिवार की सहायता के लिए आगे आ गए । अपराधियों के विरुद्ध रावजी बाजार थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है ।
इस घटना से एक बार फिर साफ हो गया की जय भीम और जय भीम का हिंदुओं को विखंडित करने का राजनीतिक पैंतरा भर है, जिसकी धरातल पर कोई व्यावहारिक सच्चाई नहीं है । समस्त हिंदू समाज को विखंडन के इस षड्यंत्र को समझ कर यह सच्चाई जान लेनी चाहिए कि बटेंगे तो कटेंगे ।