हरिहरमिलन भक्ति और बंधुत्व के संगम की उज्जैन परंपरा

श्री दीपक पांचाल

vskmalwa

  • इस वर्ष उज्जैन में आयोजित होने वाला पवित्र ‘हरि-हर मिलन’ उत्सव वैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर मनाया जाएगा, जो 4 नवंबर 2025, मंगलवार को पड़ रही है।
  • हरि-हर मिलन उज्जैन में वैकुंठ चतुर्दशी (कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी) की रात मनाया जाता है — यह वही रात है जब महाकाल (शिव) की पालकी गोपाल/विष्णु मंदिर तक जाती है।
  • समारोह की मुख्य अनुष्ठानिक प्रक्रिया में भगवान महाकालेश्वर की भव्य पालकी यात्रा, मध्यरात्रि में भगवान विष्णु के साथ उनका मिलन तथा दोनों देवताओं के बीच तुलसी माला और बिल्वपत्र का प्रतीकात्मक आदान-प्रदान संपन्न होता है।
  • आयोजन का समय-बिंदु सामान्यतः मध्यरात्रि (रात 12 बजे) माना जाता है — महाकाल की सवारी तब गोपाल मंदिर पहुँचती और पूजा संपन्न होती है।
  • उज्जैन में यह परंपरा स्थानीय जनस्मृतियों के अनुसार लगभग 100 वर्ष या उससे अधिक पुरानी बताई जाती है; आधुनिक सार्वजनिक रूप (शाही सवारी और भव्य व्यवस्था) 19वीं से 20वीं सदी के बाद संगठित हुआ।
  • हरि-हर मिलन का धार्मिक मतलब यह है कि शिव (हर) और विष्णु (हरि) के रूपों में सृष्टि-निर्वाह और पालन-रक्षण की संयुक्त जिम्मेदारी का प्रतीकात्मक हस्तांतरण और समानता प्रदर्शित होती है। यह हरि-हर सम्प्रदाय की लोक-प्रकटीकरण परंपरा का जीवंत उदाहरण है।
  • यह आयोजन महाकालेश्वर मंदिर से प्रारंभ होकर गोपाल मंदिर तक जाने वाले मार्ग पर संपन्न होता है।
  • अनुष्ठान में प्रयुक्त प्रमुख प्रतीकात्मक वस्तुएँ हैं — बेल-पत्र, तुलसी-माला, पालकी, और पूजा-सामग्री, जो शिव और विष्णु की आराधना तथा उनके मिलन के प्रतीक रूप में उपयोग की जाती हैं।
    समारोह में स्थानीय समुदाय, पुजारी, महंत, क्षेत्रीय समाज-समूह और तीर्थयात्री सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। यह न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण आयोजन है।
  • “हरि-हर मिलन” केवल लोगों के आपसी मेल-मिलाप या सामाजिक एकता का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह उससे भी गहरा धार्मिक संदेश देता है। यह आयोजन हिंदू धर्म के भीतर विभिन्न पंथों — विशेषकर वैष्णव (हरि) और शैव (हर) के बीच सामंजस्य, संवाद और एकता का जीवंत प्रतीक है।
  • यह पर्व दर्शाता है कि भले ही पूजा-पद्धति या देवता अलग-अलग हों, लेकिन सत्य, भक्ति और मोक्ष का मार्ग एक ही है और यही धार्मिक समन्वय “हरि-हर मिलन” का मूल संदेश है।

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