उज्जैन का गोपाल मंदिर, जो हरिहर मिलन और अपनी विशेषताओं के कारण विश्वप्रसिद्ध है

गोपाल मंदिर उज्जैन नगर का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। शहर के मध्य व्यस्ततम क्षेत्र में स्थित इस मंदिर की भव्यता आस-पास बेतरतीब तरीके से बने मकान और दुकानों के कारण दब-सी गई है।गोपाल मंदिर के पुजारी जगदीशचंद्र पुरोहित ने कहा कि इस मंदिर का निर्माण दौलत राव सिंधिया की धर्मपत्नी वायजा बाई ने संवत 1901 में कराया था जिसमें मूर्ति की स्थापना संवत 1909 में की गई। इस मान से ईस्वी सन 1844 में निर्माण 1852 में मूर्ति की स्थापना हुई। मंदिर के चाँदी के द्वार यहाँ का एक अन्य आकर्षण हैं।मंदिर में प्रवेश करते ही गहन शांति का अहसास होता है। इसके विशाल स्तंभ और सुंदर नक्काशी देखते ही बनती है। मंदिर के आसपास विशाल प्रांगण में सिंहस्त या अन्य पर्व के दौरान बाहर से आने वाले लोग विश्राम करते हैं। पर्वों के दौरान ट्रस्ट की तरफ से श्रद्धालुओं तथा तीर्थ यात्रियों के लिए कई तरह की सुविधाएँ प्रदान की जाती है।


श्रीराम पाठक ने बताया कि कम से कम दो सौ वर्ष पूराना है यह मंदिर। मंदिर में भगवान द्वारकाधीश, शंकर, पार्वतीऔर गरुढ़ भगवान की मूर्तियाँ है ये मूर्तियाँ अचल है और एक कोने में वायजा बाई की भी ‍मूर्ति है। यहाँ जन्माष्टमी के अलावा हरिहर का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हरिहर के समय भगवान महाकाल की सवारी रात बारह बजे आती है तब यहाँ हरिहर मिलन अर्थात विष्णु और शिव का मिलन होता है। जहाँ पर उस वक्त डेढ़ दो घंटे पूजन चलता है।कैसे पहुँचे:सड़क मार्ग: मध्यप्रदेश के इंदौर से लगभग 60 किलोमिटर दूर उज्जैन हिंदुओं का विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल हैं। इंदौर बस स्टेंड से बस द्वारा उज्जैन पहुँचा जा सकता है।रेल मार्ग: तीर्थ स्थल उज्जैन का रेलवे स्टेशन देश के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। यहाँ से छोटी और बड़ी लाइन की रेलगाड़ियाँ मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और कोलकाता के लिए जाती है।हवाई मार्ग: उज्जैन का सबसे नि‍कटतम विमानतल इंदौर है

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